facebookmetapixel
100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्तावRBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, इसमें सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिश

कुछ बदलावों के साथ रिजर्व बैंक की उदार नीति बरकरार

Last Updated- December 12, 2022 | 3:58 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया और अपना उदार रवैया बरकरार रखा है। हालांकि इस बार केंद्रीय बैंक ने यथास्थिति कायम रखने के साथ ही कुछ बदलावों की ओर इशारा किया है। इस संदर्भ में यह जानना जरूरी है कि आरबीआई उदार नीति बरकरार रखने के साथ-साथ किन बदलावों की ओर संकेत दे रहा है।
पहली बात तो यह कि आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारिक समिति ने उदार मौद्रिक नीति आगे भी जारी रहने की बात कही है। एमपीसी ने एकमत होकर कहा है कि आवश्यकता महसूस होने तक बिना किसी रुकावट के उदार मौद्रिक नीति जारी रहेगी। समिति ने मुख्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया। समिति अब किसी समय सीमा में नहीं बंधकर आंकड़ों के आधार पर भविष्य के लिए अनुमान व्यक्त करने की बात कर रही है।
हालांकि एक शब्द एक बड़े बदलाव का द्योतक बन गया है। इस बार आरबीआई ने कहा है कि आर्थिक वृद्धि दर टिकाऊ बनाए रखने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उदार नीति दीर्घ अवधि तक जारी रहेगी। केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में महंगाई दर निर्धारित लक्ष्य के भीतर थामने की पूरी कोशिश की जाएगी। अप्रैल में एमपीसी ने कहा था कि वृद्धि दर में निरंतरता बनाए रखने के लिए उदार नीति जारी रहेगी और महंगाई भी नियंत्रण में रखी जाएगी।
जून मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने न केवल वृद्धि दर को मजबूती देने की बात कही है, बल्कि इसे दोबारा पटरी पर लाने का भी जिक्र किया है। इस तरह, आरबीआई फरवरी में घोषित अपनी नीति पर दोबारा अमल करने में जुट गया है। कुल मिलाकर केंद्रीय बैंक मान चुका है कि अप्रैल तक अर्थव्यवस्था में सुधार के जो संकेत दिखने लगे थे वे अब लुप्त हो गए हैं। कोविड-19 की दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था पर घातक प्रहार किया है। मार्च तक ऐसा लग रहा था कि परिस्थितियां सामान्य हो गई हैं और अर्थव्यवस्था अब बिना किसी रुकावट के साथ रफ्तार से आगे बढ़ पाएगी लेकिन मध्य अप्रैल के बाद सूरत पूरी तरह बदल चुकी है।
दूसरा महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि मौद्रिक नीति समिति में वृद्धि दर का अनुमान भी संशोधित किया गया है। फरवरी में एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 10.5 प्रतिशत रहने की बात कही थी।  
कोविड-19 की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर थमने के बावजूद आरबीआई ने पिछले महीने जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में भी 10.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान बरकरार रखा था। इसके उलट दूसरी एजेंसियों ने अपने अनुमानों में कमी करना शुरू कर दिया था। हालांकि अब आरबीआई ने भी आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर शून्य से 18.5 प्रतिशत निचले स्तर पर रहने का अनुमान जताया गया है। अब सारा दारोमदार टीकाकरण की रफ्तार पर है, लेकिन आरबीआई ने राजकोषीय और मौद्रिक नीति दोनों स्तरों पर अर्थव्यवस्था को राहत देने की जरूरत बताई है।
तीसरी अहम बात यह है कि वृद्धि के अनुमान में पूरे एक प्रतिशत अंक की कमी की गई है, लेकिन महंगाई दर का अनुमान मात्र 10 आधार अंक बढऩे का जिक्र किया गया है। अब यह 5 प्रतिशत के बजाय 5.10 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अप्रैल में थोक महंगाई दर 11 प्रतिशत के उच्चतम स्तर 10.49 प्रतिशत पर पहुंच गई थी और इससे पहले मार्च में यह 7.39 प्रतिशत के साथ आठ महीने के उच्चतम स्तर पर थी। हालांकि खुदरा महंगाई दर अप्रैल में कम होकर 4.29 प्रतिशत रह गई। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी से ऐसा हुआ। मार्च में खुदरा महंगाई दर 5.52 प्रतिशत थी। आरबीआई खुदरा महंगाई पर नजर रखता है और इसका दायरा 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखने का प्रयास करता है। महंगाई दर बढऩे की आशंका जरूर है और कच्चे तेल के दाम बढऩे से थोड़ा जोखिम है लेकिन मांग कम होने से महंगाई दर ऊपर नहीं भागेगी।
मौद्रिक नीति समीक्षा की एक और महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि आरबीआई सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) आगे भी जारी रखेगा। अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने की बात कही थी। दूसरी तिमाही में भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी। आरबीआई ने तो दूसरे चरण के जी-सैप में 1.2 लाख करोड़ रुपये मूल्य की प्रतिभूतियां खरीदने का लक्ष्य रखा है। हालांकि इसके बावजूद बॉन्ड बाजार में शुक्रवार को उत्साह नहीं दिखा। आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसकी वजह यह है कि 17 जून को जी-सैप के 40,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड खरीदारी कार्यक्रम में 10,000 करोड़ रुपये मूल्य के राज्य विकास ऋणों के मद में जारी बॉन्ड शामिल होंगे। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दूसरे जी-सैप में राज्य विकास ऋणों की हिस्सेदारी बढ़ेगी। इस तरह, केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों की खरीदारी 1.2 लाख करोड़ रुपये से कम रहेगी।
बॉन्ड खरीदारी कार्यक्रम में राज्यों के बॉन्ड भी शामिल करने होंगे नहीं तो केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिभूतियों के प्रतिफल के बीच अंतर और भी अधिक हो जाएगा। अंत में, प्रोत्साहन एवं लचीली मौद्रिक नीति वापस लेने की फिलहाल कोई योजना नहीं दिख रही है। निकट भविष्य में तो ऐसा होता नहीं दिख रहा है। मौजूदा वर्ष में आरबीआई ऐसा करने का जोखिम नहीं उठा सकता है जब दूसरी एजेंसियां नियमित अंतराल पर देश की वृद्धि दर का अनुमान कम कर रही हैं।
(लेखक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक, लेखक और जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published - June 6, 2021 | 8:45 PM IST

संबंधित पोस्ट