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पान मसाले के प्रचार और विज्ञापनों पर प्रतिबंध की दरकार

यह शर्मनाक बात है कि भारतीय फिल्मी सितारे पान-मसाले के विज्ञापनों में नजर आते हैं। इस विषय में अपनी राय रख रहे हैं जैमिनी भगवती

Last Updated- June 26, 2023 | 9:50 PM IST
pan masala
इलस्ट्रेशन-बिनय सिन्हा

कई दशक पहले भारतीय विदेश सेवा में एक वरिष्ठ सहयोगी साउथ ब्लॉक में पान-मसाले की अपनी लत के लिए जाने जाते थे। मैंने देखा कि वह पान-मसाले का टिन का एक डिब्बा लाते थे जो भूरे रंग के मिश्रण से भरा होता था। वह पूरे दिन एक छोटे प्लास्टिक के चम्मच से उस पाउडर को निकालकर खाते रहते थे। कभी-कभी वह एक दिन में एक से अधिक डिब्बा खपा देते थे। वह अपने पूरे जीवन में फिट रहे और उन्हें एक उत्साही खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था लेकिन 60 वर्ष के करीब उनका निधन हो गया।

यह संभव है कि उस पान मसाले के सेवन के चलते स्वास्थ्य से जुड़ी कोई दिक्कत हो गई होगी और यही उनके जल्दी निधन होने का कारण बना हो। नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन (1966 में भारत सरकार द्वारा स्थापित) की वेबसाइट पर इस विषय पर एक शोध पत्र मौजूद है जिसके अनुसार, ‘पान-मसाले के सेवन से कैंसर होने की आशंका अधिक होती है, भले ही इसका सेवन तंबाकू के बिना किया जाता हो।’

वर्ष 2011 से, सभी राज्य सरकारों ने चबाने वाले तंबाकू (गुटखा) और तंबाकू वाले पान-मसाले की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। आप गुटखा उत्पादकों की लॉबिइंग की ताकत सितंबर 2022 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जिसके तहत गुटखा और तंबाकू युक्त ऐसे अन्य उत्पादों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को निरस्त कर दिया गया था।

एक साल से भी कम समय के भीतर ही 10 अप्रैल, 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पीठ ने सितंबर 2022 के इस फैसले को पलट दिया और गुटखा तथा तंबाकू वाले पान-मसाले की बिक्री के खिलाफ केंद्र और दिल्ली सरकारों की अपील बरकरार रखी।

भारत में पान-मसाले के लिए टेलीविजन और अन्य विज्ञापनों की अनुमति दी गई है लेकिन लेकिन गुटखा जैसे समान उत्पादों के लिए अनुमति नहीं है। गुटखा और पान-मसाले के बीच अंतर करने के लिए भारतीय स्वास्थ्य अधिकारी भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हों जैसे कि गुटखा कैंसर का कारण बनता है और इसलिए इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि, इसके विपरीत पान-मसाले को स्वीकार्य माना गया है।

यह स्पष्ट है कि अगर हम पान-मसाले का सेवन करने वालों को देखते हैं तो अंदाजा मिलता है कि यह किस तरह लत में तब्दील हो जाता है। इसके अलावा, गुटखे पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद इस कार्सिनोजेनिक या कैंसर पैदा करने वाले उत्पाद की खपत कम नहीं हुई है। हम यह जानते हैं कि जब शराब के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तब भारत और अन्य जगहों पर क्या होता है। प्रतिबंध के चलते गुप्त रूप से उत्पादन में तेजी आती है और भूमिगत तरीके से वितरण नेटवर्क अपना काम कर रहा होता है।

भारतीय मीडिया ने समय-समय पर नकली शराब के कारण होने वाली त्रासदियों की खबर दी है, जिसमें बताया गया कि कैसे मिथाइल अल्कोहल के चलते अंधापन और मौत हो सकती है। दुनिया भर की अधिकांश सरकारों ने हेरोइन और कोकीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, कुछ लोग इस बात का विरोध करेंगे कि इन घातक ड्रग पर प्रतिबंध लगाने से क्या वास्तव में भारत या कहीं और इनकी खपत कम हुई हो। यह संभावना है कि भारत में हार्ड ड्रग्स की कम उपलब्धता है जिसकी वजह से खपत बाधित होती है, न कि कानूनी कदमों की वजह से ऐसा संभव हुआ है।

कुछ महीने पहले, मैंने गुवाहाटी से तेजपुर तक टैक्सी से यात्रा की थी। ड्राइवर के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुझे पता चला कि उसने सरकार प्रायोजित टेलीविजन विज्ञापन देखने के बाद पान मसाला खाना बंद कर दिया जिसमें मुंह के कैंसर होने के भयानक परिणाम दिखाए गए थे। ड्राइवर की यह बताते हुए आवाज कांप रही थी कि उनकी पत्नी भी मुंह के कैंसर से पीड़ित थीं और उन्होंने अपनी पत्नी को गुटखा या पान मसाले का सेवन नहीं करने के लिए काफी मनाया था। उन्होंने बताया कि असम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में कई जगहों पर टैक्सी चलाते समय उन्हें कई दिनों तक अपने घर से बाहर रहना पड़ता था और उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी पान-मसाला और गुटखा चबाती रहती थीं।

भारत में छोटे शहरों और एक शहर से दूसरे शहर की ओर जाती हुई सड़कों के दोनों किनारों पर बोतलबंद पानी और स्नैक्स रखने वाली कई छोटी दुकानें पान-मसाला पाउच की लंबी पट्टियां लटकाती रहती हैं। ये चमकीले रंग के पाउच हवा में लहराते हैं और राहगीरों को शायद आकर्षक लगते हैं और पूरे भारत में ये बहुत आसानी से उपलब्ध होते हैं। इस दुखद व्यक्तिगत याद से आगे बढ़ें तो यह बात बेहद सामान्य लगती है कि लंबी दूरी की यात्रा पर जाने वाले ट्रक और टैक्सी चालक लगातार पान-मसाला या गुटखा चबाते हैं।

दुनिया भर में सरकारी एजेंसियां हार्ड ड्रग्स के उत्पादन या उनकी खपत को खत्म करने में असमर्थ हैं, लेकिन भारत या कहीं और ऐसे ड्रग्स के विज्ञापनों की अनुमति नहीं है। फिर भी भारतीय अधिकारी पान-मसाले का विज्ञापन पूरे देश में व्यापक रूप से देने की अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए आप इस तथ्य पर गौर कर सकते हैं कि अप्रैल-मई 2023 के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट मैचों के दौरान मशहूर फिल्मी सितारों को बार-बार पान-मसाले के विज्ञापनों में दिखाया गया था।

विमल और रजनीगंधा प्रमुख पान मसाला ब्रांड हैं जिनका विज्ञापन व्यापक रूप से दिखाया जाता है। हालांकि फिलहाल भारत में इस तरह के विज्ञापनों की अनुमति है लेकिन देश के फिल्मी दुनिया के अमीर सितारों को इस तरह के विज्ञापनों में दिखाई देने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

पान मसाला विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने में एक स्पष्ट बाधा यह है कि इनकी बिक्री से पान मसाला उत्पादकों को काफी राजस्व मिलता है। इंटरनैशनल मार्केट एनालिसिस रिसर्च ऐंड कंसल्टिंग ग्रुप ने अनुमान लगाया है कि पान-मसाले की बिक्री से होने वाली कमाई वर्ष 2021 में 41,821 करोड़ रुपये थी और यह कमाई लगभग 3.5 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रही है।

जाहिर है, पान मसाला उत्पादक, विज्ञापन के सभी अनुमति वाले माध्यमों जैसे कि टेलीविजन चैनलों और समाचार पत्रों का उपयोग करेंगे क्योंकि पान-मसाले की खपत बढ़ाने में उनका बड़ा निहित स्वार्थ है। हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध हमेशा विफल होता है इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यावहारिक कदम यह होगा कि वैसे पान-मसाले के विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए जिसमें तंबाकू नहीं होता है।

इसके अलावा, अगर पान-मसाले की बिक्री से होने वाले राजस्व पर कर बढ़ाया जाता है तो इस हानिकारक उत्पाद की बिक्री पर इसका निराशाजनक प्रभाव पड़ेगा।

सभी मामलों पर गौर करें तो पान-मसाले का सेवन लत लगाने वाला है और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है। यह जानकारी सरकार प्रायोजित संदेशों के माध्यम से सभी भारतीय भाषाओं में सरल शब्दों में समझायी जानी चाहिए।

यह संभावना है कि भारत के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में विशेष रूप से युवाओं के बीच एक गलत तरह की भावना बन रही है कि पान मसाले का सेवन करना किसी किस्म की रईसी को दर्शाता है और इससे बढ़ती आमदनी का भी अंदाजा होता है। ऐसे में निश्चित रूप से टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया पर सभी पान मसाला विज्ञापनों, विशेष रूप से स्थानीय भाषाओं वाले विज्ञापनों को गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए।

(लेखक पूर्व भारतीय राजदूत और विश्व बैंक में मार्केट रिस्क विभाग के पूर्व प्रमुख हैं और वर्तमान में सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक रिसर्च में विशिष्ट फेलो हैं)

First Published - June 26, 2023 | 9:50 PM IST

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