पिछले साल जुलाई में मैंने इसी स्तंभ में लिखा था, ‘इससे पहले कि काफी देर हो जाए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पी2पी (पीयर टू पीयर) लाइसेंस देने की प्रथा कम करनी चाहिए। कई पी2पी प्लेटफॉर्म जमा लेने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) जैसा काम कर रहे हैं और उधार लेने वालों से बिना भुगतान लिए ही रोजाना ब्याज देते हैं और इससे कुछ लोगों के लिए परिसंपत्ति-देनदारी असंतुलन जैसी स्थिति पैदा होती है।’
आरबीआई ने जून और सितंबर 2023 के बीच कुछ एनबीएफसी-पी2पी कंपनियों की जांच की जिसमें पता चला कि नियामक द्वारा अक्टूबर 2017 में निर्धारित किए गए मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है जब भारत के वित्तीय क्षेत्र में इन कंपनियों के एक समूह के लाइसेंस देने के नियम तय किए गए थे।
इससे पहले मार्च 2016 में आरबीआई ने इस क्षेत्र के लोगों के साथ परामर्श करने के लिए पी2पी द्वारा कर्ज देने की प्रक्रिया पर अपना पहला मसौदा जारी किया था। इसके लाइसेंसिंग मानदंडों को देखें तो पी2पी मंच के संचालन के लिए पूरी तरह से मुफीद होने के अलावा कम से कम 2 करोड़ रुपये की पूंजी जरूर होनी चाहिए।
आरबीआई ने अब तक करीब 25 लाइसेंस जारी किए हैं लेकिन सभी चालू नहीं हैं। करीब 15 कंपनियां चालू हुईं लेकिन इनमें से एक-तिहाई बंद हो चुकी हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि उद्योग का बकाया ऋण लगभग 6,000 करोड़ रुपये है और इनमें से चार कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से अधिक है। शुरुआत में कोई कर्जदाता 10 लाख रुपये बतौर कर्ज दे सकता था। दिसंबर 2019 में यह राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई थी।
कोई भी कर्जदाता यह पूंजी कई पी2पी मंच पर कर्ज लेने के इच्छुक लोगों या उद्यमों को दे सकता है। हालांकि कर्ज लेने वाले 10 लाख रुपये से अधिक राशि नहीं पा सकते हैं चाहे कर्जदाताओं की संख्या कितनी भी हो।
आखिर में, एक कर्जदाता ऋण लेने वाले एक व्यक्ति या संस्था को अधिकतम 50,000 रुपये का ऋण दे सकता है। इसका अर्थ यह है कि अगर कर्ज लेने वाले को 10 लाख रुपये की दरकार है तब उसे कम से कम 20 कर्जदाताओं से संपर्क करना होगा।
दरअसल पी2पी एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस या कर्ज देने वाला मंच है जो किसी व्यक्ति के एस्क्रो खाते में पूंजी संग्रह करता है और इस राशि को किसी व्यक्ति या सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को बिना किसी गिरवी के बतौर कर्ज देता है।
(एस्क्रो खाता, लेन-देन की प्रक्रिया के दौरान दो पक्षों के बीच एक तीसरे पक्ष द्वारा रखा गया एक अस्थायी खाता है। यह तब तक कार्य करता है जब तक कि लेन-देन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है और यह खरीदार और विक्रेता के बीच सभी शर्तों के निपटारे के बाद लागू होता है)
पी2पी कंपनियां, अपने खुद की बैलेंसशीट पर उधार नहीं दे सकती हैं। वे केवल उधार लेने और देने की सुविधा दे सकती हैं। ये कर्जदाताओं और उधारकर्ताओं दोनों से जुड़कर, ऋण अदायगी का संग्रह करते हुए संबद्ध सहायता सेवा देकर शुल्क लेती हैं। एनबीएफसी-पी2पी मंच कर्ज देने के लिए सीधे या परोक्ष रूप से जमा राशि एकत्रित नहीं कर सकते हैं।
अब मौजूदा स्थिति पर विचार करते हैं। सबसे पहले आरबीआई ने सभी पी2पी ऋण देने वाले मंचों से डेटा लिए हैं और उनके कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा बड़े पी2पी मंचों की निगरानी भी की गई है। इस निगरानी के बाद जो नतीजे निकले हैं वह आरबीआई के लिए चिंताजनक है।
आरबीआई के पर्यवेक्षण विभाग ने सितंबर-अक्टूबर में ज्यादातर कंपनियों को पत्र लिखकर उन्हें 15 दिनों के भीतर निगरानी में सामने आई खामियों को दुरुस्त करने के लिए कहा था। आखिरकार दिसंबर में, आरबीआई ने अधिकांश एनबीएफसी-पी2पी कंपनियों को एक और पत्र भेजा और उन्हें एक पखवाड़े के भीतर इस उद्योग के काम करने के तीन प्रचलित तरीके में संशोधन करने का निर्देश दिया। पी2पी कंपनियों को आरबीआई के पत्र को अपने संबंधित बोर्ड के सामने पेश करना था।
सवाल यह है कि आखिर आरबीआई की पी2पी मंचों से क्या नाराजगी है? इस संदर्भ में नियामक की चिंताएं क्या हैं?
आरबीआई ने पी2पी मंचों को तत्काल प्रभाव से इस तरह की कवायद बंद करने की चेतावनी दी है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तब उन्हें नियामकीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
कई पी2पी मंच एक निश्चित अवधि यानी छह महीने, एक वर्ष या इससे अधिक अवधि के लिए कर्जदाताओं को लगभग तयशुदा प्रतिफल की पेशकश कर रहे हैं। आमतौर पर सार्वजनिक जमाएं लेने वाले एनबीएफसी भी ऐसा ही करती हैं। वे एक वर्ष से कम अवधि के लिए सावधि जमाएं नहीं ले सकती हैं। उन्हें कारोबार शुरू करने के लिए न्यूनतम 50 करोड़ रुपये की पूंजी (पी2पी-एनबीएफसी के लिए 2 करोड़ रुपये की जरूरत होती है) की जरूरत है और उनका 15 फीसदी पूंजी पर्याप्तता अनुपात होना चाहिए।
यह उन नियमों का उल्लंघन है जिनसे उद्योग संचालित होता है। पी2पी मंच का काम एक कर्जदाता को कर्ज लेने वालों से जोड़ना है और हर मामले में ब्याज दर तथा ऋण की अवधि में अंतर दिखेगा। इसका खुला उल्लंघन करते हुए वे पूंजी संग्रह कर रहे हैं और कर्ज देते हुए कर्जदाताओं को लगभग निश्चित ब्याज दर की पेशकश भी कर रहे हैं।
ग्राहकों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी होगा कि पी2पी मंच की सार्वजनिक जमा लेने की प्रकृति को रोकने के लिए आरबीआई की विनियमन और पर्यवेक्षण इकाई को तुरंत सटीक कार्रवाई करनी होगी।