facebookmetapixel
Upcoming IPOs: SEBI ने दी 7 नए IPO को मंजूरी!महाराष्ट्र में गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले खड़ी चुनौती, किसान और मजदूरों ने दी हड़ताल की चेतावनी  SEBI ने फर्स्ट ओवरसीज कैपिटल पर लगाया 2 साल का बैन, ₹20 लाख का जुर्माना भी ठोकारक्षा मंत्रालय ने ₹79,000 करोड़ के सौदों को दी मंजूरी; भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की बढ़ेगी ताकतSEBI का नया प्रस्ताव: म्युचुअल फंड फोलियो खोलने और पहली बार निवेश के लिए KYC वेरिफिकेशन जरूरीChhath Puja 2025: छठ पूजा में घर जानें में नहीं होगी दिक्कत! रेलवे चला रही है 5 दिन में 1500 स्पेशल ट्रेनें2400% का तगड़ा डिविडेंड! टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनी ने निवेशकों पर लुटाया प्यार, कब होगा भुगतान?अब अपने खाते का बना सकेंगे चार नॉमिनी! 1 नवंबर से होने जा रहा है बड़ा बदलाव, जानें हर एक डिटेलColgate Q2FY26 Result: मुनाफा 17% घटकर ₹327.5 करोड़ पर आया, ₹24 के डिविडेंड का किया ऐलानNPS और APY धारक दें ध्यान! PFRDA ने पेंशन सिस्टम में ‘डबल वैल्यूएशन’ का रखा प्रस्ताव, जानें क्या है यह

कोविड की नई दस्तक

Last Updated- December 22, 2022 | 12:14 AM IST

चीन में बुरी तरह अलोकप्रिय हो चुकी कोविड शून्य नीति को वापस लिए जाने के बाद कोविड-19 संक्रमण के मामलों में विस्फोटक ढंग से इजाफा हुआ है। इससे यह आशंका उत्पन्न हो गई है कि कहीं हालात 2019 के आखिरी और 2020 के आरंभिक दिनों जैसे न हो जाएं। अमेरिकी लोक स्वास्थ्य वैज्ञानिक एरिक-फील-डिंग ने इस लहर को ‘थर्मोन्यू​क्लियर बैड’ करार दिया और आशंका जताई कि अगले तीन महीनों में चीन की 60 फीसदी और विश्व की 10 फीसदी आबादी इससे संक्रमित होगी। चीन में पहले ही मौत के मामले सामने आने लगे हैं और यह वायरस अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और जापान में दस्तक दे चुका है। ऐसे में भारत में इसके प्रसार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि भारत में कोविड से जुड़े जो अनुभव हुए हैं उनके आधार पर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि यहां हालिया इतिहास न दोहराया जाए।

सरकार ने भी सक्रियता दिखाई है और प्रयोगशालाओं से कहा गया है कि वे संक्रमित नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गति तेज करें। राज्य सरकारों से भी कहा गया है कि वे कोविड के मामलों की जांच और रिपोर्टिंग की गति बढ़ाएं। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ट्विटर के माध्यम से लोगों से यह अपील की कि वे भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें और टीके की बूस्टर खुराक लें। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अभी घबराने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि चीन में ज्यादातर मामले प्रायः कम घातक ओमीक्रोन स्वरूप के हैं। इसके अलावा भारत में कोविड के मामलों का सात दिनों का औसत केसलोड मात्र 155 है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हम पूरी तरह आश्वस्त हो जाएं।

कोविड-19 में हालिया उभार के बावजूद भारत के अपेक्षाकृत सुरक्षित रहने की संभावना इसलिए है कि हमारे टीकाकरण कार्यक्रम और अर्थव्यवस्था को खोलने की नीति ने देश की आबादी को एक हद तक प्रतिरक्षा प्रदान की है। यह स्थिति चीन से एकदम उलट है जहां कोविड शून्य के नाम पर कठोर लॉकडाउन लगाया गया और देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा वायरस के संपर्क में आने से बचा रहा जिसके चलते उसमें जरूरी प्रतिरक्षा विकसित नहीं हो सकी। इसके अलावा चीन की नीति पूरी तरह स्वदेशी टीकों सिनोवैक और साइनोफार्म पर निर्भर रहने की रही है जो गलत साबित हुई है क्योंकि ये दोनों टीके संक्रमण रोकने में 45 से 55 फीसदी तक ही कारगर साबित हुए हैं।

परंतु भारत के लिए भी अपने टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता को लेकर बहुत जश्न मनाने की स्थिति नहीं है क्योंकि आबादी का बड़ा हिस्सा अभी तक या तो टीके की तीसरी खुराक नहीं ले सका है या फिर उसका बूस्टर डोज लेना बाकी है। गत 31 अक्टूबर तक के उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 12 से 14 वर्ष की आयु के 50 प्रतिशत से भी कम भारतीयों ने टीके की दूसरी खुराक ली है। वही 15 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के भारतीयों में से 30 फीसदी से कम ने दूसरा टीका लगवाया है। इन दोनों आयुवर्गों के युवा स्कूल और कॉलेज जाने वाली उम्र के हैं जो नैसर्गिक रूप से वायरस के प्रसार की वजह बन सकते हैं। केवल 45 से 59 और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ही टीके की दोनों खुराक लग सकी हैं।

लेकिन अगर बूस्टर खुराक की बात करें जिसे अब सरकार ने नि:शुल्क लगाना बंद कर दिया है तो तस्वीर एकदम अलग नजर आती है। यहां 18 से 44 आयुवर्ग के 17 फीसदी से भी कम, 45 से 59 आयुवर्ग में से एक चौथाई से भी कम और बुजुर्गों में केवल 35 फीसदी लोगों ने तीसरी खुराक लगवाई हैं। यानी हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी पूरी तरह टीकों की सुरक्षा नहीं हासिल कर सका है। इस बीच वायरस का वैश्विक प्रसार दोबारा शुरू हो गया है। लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होती है। दोबारा लॉकडाउन से बचने के लिए यह जरूरी है कि सरकार बूस्टर खुराक के लिए नि:शुल्क अभियान दोबारा शुरू करे। बड़ी संख्या में भारतीय अब चौथे टीके की अर्हता हासिल कर चुके हैं। साथ ही यह भी आवश्यक है कि मास्क और शारीरिक दूरी के मानकों को दोबारा अनिवार्य बनाया जाए।

First Published - December 21, 2022 | 9:21 PM IST

संबंधित पोस्ट