‘गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ ढांचागत विकास को अंजाम देने के भारत के तौर-तरीकों के बारे में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐसे संकेत दिए थे कि यह पहल कायाकल्प करने वाली होगी। इसमें बहुल-साधन वाले संपर्कों को बढ़ावा दिया जाएगा, प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी और एक विशाल मास्टर प्लान के हिस्से के तौर पर विभिन्न ढांचागत परियोजनाएं शुरू करने के लिए एक संबद्ध प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा।
गति शक्ति असल में क्या है? दरअसल यह भौगोलिक सूचना प्रणाली पर आधारित एक प्लेटफॉर्म है जो देश के सभी विशेष आर्थिक क्षेत्रों एवं क्लस्टर को जोडऩे का काम करेगा। इस प्लेटफॉर्म पर ढांचागत संपर्कों के उन स्तरों का उल्लेेख होगा जो अर्थव्यवस्था को कारगर ढंग से चलाने के लिए जरूरी हैं। इनमें सड़क एवं रेल मार्ग, ऑप्टिकल फाइबर केबल, तेल एवं गैस पाइपलाइन, बिजली पारेषण लाइन और जलापूर्ति करने वाली पाइपलाइन जैसे ढांचागत आधार शामिल होंगे। इस प्लेटफॉर्म के परियोजना डिजाइन एवं निगरानी के लिए एक गतिशील मास्टर प्लान साधन भी साबित होने की उम्मीद है जिसमें अधिकृत संस्थानों एवं कार्मिकों से मिली नियमित जानकारियों का भी इस्तेमाल होगा। इसमें समीक्षा डैशबोर्ड, प्रबंध सूचना प्रणाली और अनुपालना के साधन भी मौजूद होंगे। इस प्लेटफॉर्म का विकास भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बिसाग) ने किया है। गांधीनगर स्थित बिसाग इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसाइटी है और यह उपग्रह संचार, भू-सूचना विज्ञान एवं भू-स्थानिक तकनीकों से जुड़ी परियोजनाओं पर काम करता है।
गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत सभी मौजूदा एवं प्रस्तावित आर्थिक क्षेत्रों को दर्ज किया गया है और उसके साथ उनसे संबद्ध सभी बहु-साधन संपर्क ढांचों की स्थिति के बारे में भी ब्योरा अंकित है। ये आंकड़े 2014-15 की स्थिति, उनके पूर्ण होने की संभावना के बारे में 2020-21 की स्थिति और 2024-25 तक नियोजित हस्तक्षेपों से संबंधित हैं। गति शक्ति को आधारभूत ढांचे का सही मायनों में कायाकल्प करने वाला और नाटकीय बदलाव लाने वाला बताने के पीछे चार प्रमुख कारण हैं। पहला, यह ‘कोष्ठागार संस्कृति’ को तोड़ता है। अमूमन हरेक मंत्रालय या विभाग अपनी-अपनी योजनाएं एवं कार्यक्रम लेकर आते हैं, चाहे उनका आपस में कोई ताल्लुुक ही न हो। नतीजा यह होता है कि रेल मार्ग से संपर्क पर ध्यान दिए बगैर सड़कें बना दी जाती हैं या ऑप्टिकल फाइबर एवं पानी के पाइप बिछाने वाले विभाग एक दूसरे से संपर्क किए बगैर खुदाई करना शुरू कर देते हैं। पूरक संपर्क भी नदारद रहता है। मसलन, कोई पनबिजली या नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन केंद्र पारेषण लाइन को ध्यान में रखे बगैर ही बना दिया जाता है। या, बंदरगाह का विकास करने के पहले समुचित सड़क एवं रेल मार्गों की मौजूदगी का ध्यान ही नहीं रखा जाता। उम्मीद है कि ऐसी असंगति अब अतीत की बात हो जाएगी। दूसरा, यह एक संपूर्ण नजरिया अपनाने पर जोर देता है। तालमेल बिठाने एवं अनुकूलता हासिल करने के लिए इसमें सभी राज्य इकाइयों को अपनी नियोजित परियोजनाओं की जानकारी अनिवार्य रूप से गति शक्ति प्लेटफॉर्म पर दर्ज करनी होगी।
इसके लिए एक नया प्रशासकीय ढांचा भी बनाया गया है। सभी ढांचागत गतिविधियों से जुड़े मंत्रालयों को इस प्रणाली के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे यूजर राइट का इस्तेमाल कर इनपुट दर्ज करने के साथ अपना डेटा भी अद्यतन कर सकें। बिसाग और वाणिज्य मंत्रालय का लॉजिस्टिक प्रकोष्ठ एक नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप बनाएंगे जो गति शक्ति प्लेटफॉर्म के समुचित कामकाज को सुनिश्चित करने के साथ यूजर सहयोग भी देगा। नेटवर्क और अपने-अपने मंत्रालयों के नियोजन प्रकोष्ठ का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रशिक्षित अधिकारियों का एक नया कैडर भी एनपीजी के दायरे में आएगा। यह समूह नई पीढ़ी के योजनाकारों का होगा जो एक-दूसरे के संपर्क में होंगे, आंकड़े दर्ज करेंगे, योजनाओं के बीच तालमेल बिठाएंगे और अपने वरिष्ठों का सहयोग करेंगे। इन मंत्रालयों के अधिकारियों को लॉजिस्टिक शाखा में प्रतिनियुक्त किया जाएगा। वे देश के ढांचागत क्रियान्वयन में संलग्न कुशल एवं काबिल युवाओं के एक नए डिजिटल-सशक्त कैडर का हिस्सा होंगे। कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में गठित सचिवों का एक अधिकार-प्राप्त समूह बनाने का प्रस्ताव रखा गया है जो बुनियादी मास्टर प्लान में किसी भी भावी बदलाव को मंजूरी देने पर विचार करेगा।
तीसरा, इसमें उपलब्ध वित्त के अधिकतम इस्तेमाल को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। फिलहाल ऐसा कोई अंतर-संपर्क नहीं है जिससे वित्त मंत्रालय मंजूरी देता है और संसाधन मुहैया कराता है। चौथा, इसने डिजिटल ढंग से ही वह चीज हासिल कर ली है जिसकी अपेक्षा एक ढांचागत मंत्रालय से होती है। सरकार ने सॉफ्टवेयर, प्रौद्योगिकी एवं पैतृक रचनाशीलता की शक्ति का सूझबूझ भरा इस्तेमाल कर विभिन्न मंत्रालयों को निर्दिष्ट विविध आर्थिक गतिविधियों को एकसूत्र में बांधकर एक सर्वसमावेशी प्रौद्योगिकी-चालित प्लेटफॉर्म को सौंप दिया है। इसमें किस तरह की चुनौतियां हैं? पहली चुनौती तो टीम-वर्क का भाव पैदा करने की ही है। सरकार के मंत्रालय और विभाग अपने बारे में सोचने और अपनी बात पर टिके रहने के लिए कुख्यात हैं। एक सवाल राज्यों को इसका हिस्सा बनने के लिए राजी होने का भी है। राज्यों के शामिल हुए बगैर केंद्रीय स्तर पर एकीकरण का भी शायद कोई खास असर नहीं होगा। क्या व्यावहारिक अर्थों में तकनीक परियोजनाओं की समीक्षा एवं अनुरूपता सुनिश्चित कर पाएगी और क्या यह प्लेटफॉर्म वाकई में एक अचरज पैदा करने वाला जरिया साबित होगा?
यह चर्चा भी है कि गति शक्ति पहल से प्रशासकीय ढांचे में जमीनी स्तर पर बदलावों की शुरुआत हो रही है। मंजूरी के लिए बनी राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के साथ गति-शक्ति अभियान देश के विकास का एक साहसी एवं नया तरीका भी दिखाता है।
