बीते वर्ष गुजरात में रोजगार के मामले में असाधारण सुधार देखने को मिला। सितंबर से दिसंबर 2022 के बीच गुजरात मे 2.67 करोड़ लोगों को रोजगार मिला। अगर इसकी तुलना सितंबर-दिसंबर 2021 में मिले रोजगारों से करें तो उस अवधि में 2.59 लाख करोड़ लोगों को रोजगार मिला था।
गुजरात में रोजगार में हुए इस इजाफे को व्यापक तौर पर वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में हुई बढ़ोतरी के रूप में आंका जा सकता है। इसके अलावा कृषि से अन्य पेशों मसलन सवैतनिक रोजगार, छोटे कारोबारियों, श्रमिकों तथा स्वरोजगार आदि में स्थानांतरण भी देखा जा रहा है।
सितंबर से दिसंबर 2021 और सितंबर से दिसंबर 2022 के बीच गुजरात में वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में 9 लाख का उल्लेखनीय इजाफा हुआ। इस अवधि में विभिन्न कारोबारों में लगे लोगों की तादाद में 4.5 लाख का इजाफा हुआ। छोटे कारोबारियों और श्रमिकों की संख्या में दो लाख की बढ़ोतरी हुई। जबकि किसानों की तादाद में 7.6 लाख की कमी आई।
सितंबर-दिसंबर 2022 में गुजरात के करीब 31 फीसदी कामगार छोटे कारोबारी और श्रमिक थे। वेतनभोगियों की हिस्सेदारी 30 फीसदी थी। कुल रोजगार में किसानों की हिस्सेदारी 25.5 फीसदी थी जबकि कारोबारियों की 13.8 फीसदी के साथ अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी थी।
महामारी के पहले गुजरात की श्रमशक्ति किसानों, छोटे व्यापारियों और श्रमिकों तथा वेतनभोगियों के बीच अपेक्षाकृत समान रूप से बंटी हुई थी। सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान गुजरात के रोजगार में किसानों की हिस्सेदारी 30 फीसदी से अधिक थी। यह प्रदेश में कृषि का सबसे बड़ा स्वरूप था। छोटे व्यापारी और मेहनतकश मजदूर 29 फीसदी रोजगार के साथ दूसरे स्थान पर थे। 27.6 फीसदी हिस्सेदारी के साथ वेतनभोगी कर्मचारी इस अवधि में श्रम शक्ति में तीसरे हिस्सेदार थे।
इस अवधि में रोजगार में कारोबारियों की हिस्सेदारी काफी कम यानी करीब 12.7 फीसदी थी। महामारी के पहले गुजरात के श्रम बाजार में कृषि क्षेत्र, मजदूर तथा बेहतर वेतनभोगी कर्मचारियों का मिश्रण मौजूद था। हाल के दिनों में इस ढांचे में बदलाव आया है।
गुजरात में महामारी ने छोटे कारोबारियों और मजूदरों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। छोटे व्यापारियों और श्रमिकों का रोजगार सितंबर-दिसंबर 2019 तिमाही के 71 लाख से घटकर मई-अगस्त 2020 तक 48 लाख रह गए। इस अवधि में श्रम शक्ति में उनकी हिस्सेदारी 29 फीसदी से घटकर 22.4 फीसदी रह गई।
इसी प्रकार गुजरात में किसानों की तादाद में उल्लेखनीय इजाफा हुआ क्योंकि वे महामार के दौरान रोजगार की हानि से सबसे कम प्रभावित हुए। सितंबर-दिसंबर 2019 के 30.4 फीसदी से बढ़कर मई-अगस्त 2020 तक इनकी हिस्सेदारी 36.8 फीसदी हो गई थी। इससे पता चलता है कि खेती को रोजगार का मजबूत विकल्प माना गया।
सितंबर-दिसंबर 2021 से ही हमें श्रम शक्ति में किसानों की तादाद में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है। इसके साथ ही अन्य पेशों मसलन कारोबार, वेतनभोगियों तथा श्रमिकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
मई-अगस्त 2002 और सितंबर-दिसंबर 2022 के बीच गुजरात के कामगारों में कारोबारियों की तादाद तेजी से बढ़ी। सितंबर-दिसंबर 2022 में करीब पांच लाख कारोबारी लोग श्रम शक्ति का हिस्सा बने। राज्य में कारोबारी लोगों की कुल तादाद 37 लाख हो गई जो 2019 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा था। सितंबर-दिसंबर 2022 में इस समूह की रोजगार में हिस्सेदारी 13.8 फीसदी थी। यह तीन वर्ष पहले के 12.7 फीसदी की तुलना में काफी बड़ा आंकड़ा है।
वेतनभोगी कर्मचारी तथा छोटे व्यापारियों और श्रमिकों के रूप में काम करने वाले इस समय गुजरात के रोजगार में बड़े हिस्सेदार हैं। कुल रोजगार में उनकी संयुक्त हिस्सेदारी 61 फीसदी है। इन दोनों पेशेगत समूहों ने सितंबर-दिसंबर 2022 में काफी प्रगति की है। गुजरात में वेतनभोगियों की तादाद जनवरी-अप्रैल 2021 से लगातार बढ़ रही है और सितंबर-दिसंबर 2022 में यह उच्चतम स्तर पर रही। इस अवधि में इनकी संख्या 69 लाख से बढ़कर 80 लाख हो गई।
सवैतनिक रोजगार में इस सकारात्मक उछाल को निश्चित रूप से गुजरात के लिए बेहतर माना जा सकता है क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि प्रदेश में रोजगार की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। वेतनभोगी कर्मचारियों में प्रबंधक, कार्यालय जाने वाले पेशेवर अथवा लिपिकीय काम करने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ औद्योगिक श्रमिकों आदि को शामिल किया जाता है। यह वह तबका है जिसे आय के मामले में एक हद तक स्थिरता हासिल रहती है।
गुजरात के कामगारों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी छोटे व्यापारियों और दैनिक मजदूरों की है। सितंबर से दिसंबर 2022 के बीच प्रदेश के कुल रोजगार में इस समूह की हिस्सेदारी लगभग 30.8 फीसदी रही। वहीं इनकी कुल तादाद की बात करें तो गुजरात में छोटे व्यापारियों और श्रमिकों की संख्या जनवरी-अप्रैल 2022 के 79 लाख से घटकर मई-अगस्त 2022 के बीच 73 लाख रह गई। इसके बाद सितंबर-दिसंबर 2022 के बीच इनकी संख्या बढ़कर 82 लाख हो गई यानी इस अवधि में गुजरात में छोटे व्यापारियों और श्रमिकों की संख्या में 9 लाख का इजाफा हुआ।
महामारी के पहले खेती रोजगार का सबसे बड़ा जरिया थी लेकिन बाद के वर्षों में इसमें तेजी से गिरावट आई। सितंबर-दिसंबर 2021 में जहां प्रदेश में 76 लाख लोग खेती करते थे, वहीं सितंबर-दिसंबर 2022 में इनकी संख्या घटकर 68 लाख रह गई। सितंबर-दिसंबर 2022 में प्रदेश के कुल रोजगार में किसानों की हिस्सेदारी 25.5 फीसदी थी। यह मई-अगस्त 2020 की महामारी की अवधि की तुलना में 11.3 फीसदी की जबरदस्त गिरावट थी।
साफ जाहिर होता है कि गुजरात के रोजगार बाजार में तेजी से बदलाव आ रहा है और लोग रोजगार के सबसे बड़े जरिये के रूप में खेती से दूरी बना रहे हैं। इसके बजाय लोग वेतन वाले रोजगार, श्रमिकों और कारोबार को अपना रहे हैं। इसके उजले पहलू को देखें तो बीते वर्ष की तुलना में छोटे व्यापारियों तथा श्रमिकों के बजाय वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ है।
सितंबर-दिसंबर 2021 और सितंबर-दिसंबर 2022 के बीच वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में 9 लाख का इजाफा हुआ जबकि सवैतनिक श्रमिकों की संख्या में करीब दो लाख का इजाफा हुआ। यह गुजरात के लिए बहुत सकारात्मक बात है।