गोदरेज समूह ने अपने 127 वर्ष के इतिहास में एक मजबूत ब्रांड विकसित किया है। कुछ अनुमानों के मुताबिक यह देश के 10 सबसे प्रतिष्ठित और मूल्यवान ब्रांड में से एक है। बीते कई दशकों के दौरान उसके उत्पादों खासकर उपभोक्ताओं से जुड़े उत्पादों का मूल्यवर्द्धन हुआ है। परंतु इस दौरान समूह में आंतरिक समन्वय और पारिवारिक नियंत्रण के संस्थानीकरण के क्षेत्र में लगातार संघर्ष की स्थिति बनी रही। वास्तव में कोई ‘गोदरेज समूह’ है ही नहीं जो इसके सभी उपक्रमों को एकजुट करता हो, न ही टाटा संस की तरह कोई एक होल्डिंग कंपनी है।
करीब एक दशक से भी अधिक पहले पारिवारिक कारोबार बोर्ड गठित करने की योजना भी फलीभूत नहीं हो सकी। भारत में परिवारों के स्वामित्व वाले कारोबारों के संस्थापकों की शुरुआती सख्ती के बाद आगे की पीढ़ियों में अलग-अलग दृष्टिकोण वाले कई हितधारक आ गए। यह भी समस्याओं की एक वजह रही।
बहरहाल, हाल ही में घोषित गोदरेज परिवार की हिस्सेदारी में विभाजन जिसे ‘स्वामित्व पुनर्संयोजन’ कहा जा रहा है, वह ऐसी असहमति के प्रबंधन वाला अपेक्षाकृत कम प्रभाव डालने वाला और सौहार्दपूर्ण तरीका प्रतीत होता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि मोटे तौर पर गोदरेज समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के अंशधारक शायद संपत्ति के उस नुकसान से बच जाएं जो आमतौर पर पारिवारिक विवादों के बाद होता है। विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियां मसलन गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड और गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड एक तरफ रहेंगी और इन्हें आदि और नादिर गोदरेज के परिवार चलाएंगे जबकि उनके भाई बहिन यानी जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज कृष्णा गोदरेज एंटरप्राइजेज समूह को चलाएंगे जिनमें गोदरेज ऐंड बॉयस की गैर सूचीबद्ध फर्म का दबदबा है।
कई लोगों की रुचि इस बात में थी कि विक्रोली में भारी भरकम लैंड बैंक का प्रबंधन किस प्रकार होगा। इस पर गोदरेज ऐंड बॉयस का नियंत्रण है। करीब 3,000 एकड़ से अधिक की यह जमीन एक सदी से परिवार के पास है और इसमें मुंबई के निकट ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से लगी हुई काफी जमीन शामिल है।
परिवार ने अपनी मुख्य प्रेस विज्ञप्ति में इस जमीन के भविष्य को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। बहरहाल, एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में जोर देकर कहा गया कि जमीन मालिक और डेवलपर गोदरेज ऐंड बॉयस तथा उसकी अनुषंगी गोदरेज कंस्ट्रक्शंस तथा डेवलपमेंट मैनेजर और मार्केटर गोदरेज प्रॉपर्टीज मिलकर इस जमीन पर काम करना जारी रखेंगे।
सारी जमीन विकास कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं है लेकिन मुंबई की 1,000 एकड़ जमीन पारिवारिक विवाद पैदा करने के लिए पर्याप्त है। खुशकिस्मती से ऐसा प्रतीत होता है कि परिवार इससे बचने में कामयाब रहा है।
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बहरहाल इस जमीन का विकास किस प्रकार होगा और क्या आदि गोदरेज का पक्ष इस पर नियंत्रण खो चुका है, यह आगे पता चलेगा। जमीन के आकार और पर्यावरण को लेकर उसकी संवेदनशीलता तथा मुंबई में जमीन की कमी को देखते हुए ट्रस्टीशिप और प्रबंधन को लेकर गहरे सवाल हैं। ये न केवल परिवार बल्कि शहर और सरकार को भी प्रभावित करते हैं।
जमीन के विकास में कोई भी मूल्यवर्द्धन आंशिक रूप से गोदरेज के ब्रांड नाम के साथ भी जुड़ा होगा। ऐसे में व्यापक प्रश्न यह है कि दोनों अलग-अलग समूह जो परिवार के गोदरेज ब्रांड और लोगो को साझा करते रहेंगे, वे इस एक सदी से भी अधिक पुराने ब्रांड की छवि को कैसे बरकरार रख पाएंगे। ठोस ढंग से बात करें तो दोनों में से कोई भी पक्ष उन हालात का प्रबंधन कैसे करेगा जहां उसे लगता है कि दूसरा पक्ष इस साझा ब्रांड के मूल्य को कम कर रहा है। स्पष्ट संस्थागत ढांचे के अभाव में यह सद्भावना पर निर्भर करेगा।