फिनटेक क्षेत्र के स्व-नियामक संगठनों (एसआरओ-एफटी) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जो मसौदा मानक तैयार किए हैं, वे उनके लिए वांछित आदर्श गुणों की व्यापक परिभाषा देते हैं। यह आंतरिक लचीलेपन के लिए भी गुंजाइश छोड़ता है।
मसौदा ढांचे में कहा गया है कि विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए एसआरओ-एफटी को स्वतंत्र ढंग से काम करना चाहिए, उस पर किसी सदस्य या सदस्यों के समूह का प्रभाव नहीं होना चाहिए, उसे हितों के टकराव से बचना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सदस्यों की पूर्वग्रह रहित निगरानी हो।
स्वतंत्रता से एसआरओ-एफटी की निष्पक्ष और विश्वसनीय संस्था की छवि मजबूत होगी और उद्योग जगत के प्रतिभागियों और नियामकों का विश्वास हासिल होगा। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि ऐसी संस्थाओं के पास मजबूत आईटी ढांचा हो और वे तय समय में तकनीकी हल उपलब्ध कर पाने में सक्षम हों। उनके पास समुचित संपत्ति होनी चाहिए और एसआरओ-एफटी की जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए जरूरी अधोसंरचना स्थापित करने की क्षमता भी।
किसी एसआरओ-एफटी में यह क्षमता होनी चाहिए कि वह सदस्यों को नियामकीय प्राथमिकताओं से जोड़ सके और अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा दे। उसे यह अधिकार भी होना चाहिए कि वह संहिताओं, मानकों और नियमों का पालन नहीं करने वाले सदस्यों के विरुद्ध जांच करे और अनुशासनात्मक कदम उठा सके। इससे उसे नियामकीय माहौल को नवाचारों के अनुकूल बनाने में मदद मिलेगी और साथ ही उपभोक्ताओं के हित भी सुरक्षित होंगे।
एसआरओ-एफटी की सदस्यता स्वैच्छिक होनी चाहिए लेकिन फिनटेक्स को सदस्यता के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मसौदा मानकों में यह तय करने का काम इस क्षेत्र पर छोड़ दिया गया है कि फिनटेक्स के लिए एक एसआरओ होना चाहिए या अनेक, हालांकि यह हितधारकों को अनेक एसआरओ की ओर प्रेरित करती नजर आती है।
मसौदे में कहा गया है कि फिनटेक्स की विविधताभरी प्रकृति को देखते हुए एक एसआरओ-एफटी तक सीमित रहना उद्योग जगत की कुछ चिंताओं को कम कर सकती है। दूसरी ओर कई एसआरओ-एफटी स्वनियमन की प्रतिनिधित्व वाली प्रकृति को सीमित कर सकते हैं। यह फिनटेक पर छोड़ दिया गया है कि वे इस विषय पर सर्वसम्मति बनाए। मान लेते हैं कि एकाधिक एसआरओ की स्थापना होगी तो दिशानिर्देश विभिन्न एसआरओ-एफटी के लिए भी अलग-अलग ढंग से लक्ष्य हासिल करने की गुंजाइश छोड़ते हैं।
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मसौदे में ढांचे के संबंध में भी दिशानिर्देश तय किए गए हैं। एसआरओ को गैर लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए और उसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत होना चाहिए। आवेदक को फिनटेक क्षेत्र का प्रतिनिधि होना चाहिए और उसकी सदस्यता सभी आकार, चरणों और गतिविधियों वाली संस्थाओं में होना चाहिए। अगर आवेदन के समय प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है तो आवेदन में एक खाका शामिल किया जाना चाहिए कि कैसे इसे तयशुदा समय में हासिल किया जाएगा।
रिजर्व बैंक आवेदक कंपनी, निदेशक मंडल और प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों की उपयुक्त और उचित स्थिति पर अपनी वीटो शक्तियों को स्पष्ट रेखांकित करता है। यह बोर्ड में पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर सकता है। यह एसआरओ-एफटी के बही खाते देख सकता है या उनके अंकेक्षण की व्यवस्था कर सकता है।
इसका खर्च एसआरओ-एफटी को वहन करना होगा। फिलहाल अधिकांश फिनटेक सीधे विनियमित नहीं हैं। यह तेजी से विकसित होता उद्योग है और वित्तीय संस्थानों के समावेशन की दृष्टि से अहम है। बहरहाल एसआरओ की सदस्यता को प्रोत्साहित करने के तरीके तलाश करना जरूरी है।
इस तेजी से विकसित होते क्षेत्र को बेहतरीन संचालन और परिचालन व्यवहार अपनाना चाहिए। एसआरओ से उम्मीद होगी कि वह इस क्षेत्र की निगरानी करे और वृद्धि को सही दिशा दे। यह मसौदा उन कामों के लिए व्यापक दिशानिर्देश स्थापित करने के मामले में अच्छा काम करेगा जिन्हें एसआरओ को बिना किसी प्रतिबंध के पूरा करना हो।