facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

Editorial: बढ़ा वृद्धि को जो​खिम

इस तिमाही के लिए 7.8 फीसदी की वृद्धि के अनुमान भारतीय रिजर्व द्वारा जताए गए 8 फीसदी के अनुमान से कम हैं।

Last Updated- September 01, 2023 | 12:08 AM IST
Editorial: Risks to growth
BS

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार को जारी कर दिए। ये आंकड़े ज्यादातर विश्लेषकों को रास नहीं आएंगे। इस तिमाही के लिए 7.8 फीसदी की वृद्धि के अनुमान भारतीय रिजर्व द्वारा जताए गए 8 फीसदी के अनुमान से कम हैं। निजी क्षेत्र के कुछ अर्थशास्त्री भी यह अनुमान जता रहे थे कि वृद्धि दर 8 फीसदी से अ​धिक रहेगी। क्षेत्रवार प्रदर्शन की बात करें तो सालाना आधार पर कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रही।

हालांकि सतत वृद्धि मु​श्किल होगी क्योंकि बारिश का स्तर अपेक्षा से कम रहा है। विनिर्माण क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर 4.7 फीसदी रही जो निराशाजनक है। वित्तीय सेवा क्षेत्र में 12.2 फीसदी की मजबूत वृद्धि देखने को मिली। कुल मिलाकर तिमाही के दौरान जीडीपी का स्तर महामारी के पहले की तुलना में 13.8 फीसदी अ​धिक रहा।

Also read: फिनफ्लुएंसर के खिलाफ कितने कारगर कदम

तिमाही के दौरान खपत व्यय में वृद्धि समग्र वृद्धि से कम थी लेकिन पूंजी निर्माण में करीब 8 फीसदी का इजाफा हुआ। यह बात उत्साहित करने वाली है। आने वाली तिमाहियों में भी समग्र वृद्धि के कमतर रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक को यह भी उम्मीद है कि आने वाली हर तिमाही में वृद्धि दर में कमी आएगी और वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 5.7 फीसदी के स्तर पर रहेगी।

इस गति में अनुमानित गिरावट के बावजूद जो​खिम बढ़ा है। कमजोर मॉनसून की संभावना खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित कर सकती है और इसका परिणाम ग्रामीण इलाकों में कम आय और कमजोर मांग के रूप में सामने आ सकता है। कम खाद्यान्न उत्पादन के कारण मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर रह सकती है जो परिवारों के विवेका​धीन व्यय को प्रभावित कर सकता है। अगर खाद्य मुद्रास्फीति सामान्य होनी शुरू हो जाती है तो मौद्रिक नीति समिति को नीतिगत कदमों के साथ हस्तक्षेप करना होगा। इससे आ​र्थिक विस्तार की गति धीमी पड़ सकती है।

राजकोषीय मोर्चे पर बात करें तो चुनाव करीब होने के कारण राजस्व व्यय बढ़ सकता है। उदाहरण के​ लिए सरकार ने इस सप्ताह घरेलू गैस की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलिंडर की कमी करने की घोषणा की। अगर आगे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी आती है तो राजकोषीय दबाव बढ़ेगा। सरकारी वित्त के अलग से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 33.9 फीसदी था जबकि पिछले वर्ष की समान अव​धि में यह 20.5 फीसदी था।

Also read: Opinion: प्रतियोगी परीक्षाओं से बेहतर की तैयारी

कर राजस्व की आवक गति कमजोर हुई है लेकिन बजट में बढ़ी हुई मांग राजकोषीय घाटे को तय दायरे में रखने की को​शिश मु​श्किल बना सकती है। सरकार को यह श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने पूंजीगत व्यय का बोझ वहन करने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में अगर घाटे को नियंत्रित करने के लिए इन हालात को बदला जाता तो यह बात वृद्धि पर नकारात्मक असर डालती।

यह ध्यान देने वाली बात है कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि में बहुत कम अंतर था। ऐसा मोटे तौर पर इसलिए हुआ कि थोकमूल्य सूचंकांक आधारित मुद्रास्फीति कम रही। इसका अर्थ यह भी हुआ कि सरकार को शायद जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घाटे को तय दायरे में रखते हुए व्यय बढ़ाने का बहुत लाभ न मिले। आने वाले महीनों में राजकोषीय मोर्चे पर बढ़ने वाला दबाव वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

वै​श्विक अर्थव्यवस्था भी अब तक तुलनात्मक रूप से मजबूत रही है। आने वाली तिमाहियों में हालात बदल सकते हैं। आं​शिक तौर पर ऐसा चीन में मंदी की वजह से भी हो सकता है और उसके वित्तीय तंत्र में बढ़ते जो​खिम के कारण भी। बड़े विकसित बाजारों में ब्याज दर के ऊंचा बने रहने का अनुमान है। यह बात भारतीय निर्यात की मांग को प्रभावित करेगी। ऐसे में तमाम कारकों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक 6.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेना भी चुनौतीपूर्ण होगा।

First Published - August 31, 2023 | 9:36 PM IST

संबंधित पोस्ट