facebookmetapixel
AI की एंट्री से IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव, मेगा आउटसोर्सिंग सौदों की जगह छोटे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट‘2025 भारत के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धियों का वर्ष रहा’, मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदीकोल इंडिया की सभी सब्सिडियरी कंपनियां 2030 तक होंगी लिस्टेड, प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया निर्देशभारत में डायग्नॉस्टिक्स इंडस्ट्री के विस्तार में जबरदस्त तेजी, नई लैब और सेंटरों में हो रहा बड़ा निवेशजवाहर लाल नेहरू पोर्ट अपनी अधिकतम सीमा पर पहुंचेगा, क्षमता बढ़कर 1.2 करोड़ TEU होगीFDI लक्ष्य चूकने पर भारत बनाएगा निगरानी समिति, न्यूजीलैंड को मिल सकती है राहतपारेषण परिसंपत्तियों से फंड जुटाने को लेकर राज्यों की चिंता दूर करने में जुटी केंद्र सरकार2025 में AI में हुआ भारी निवेश, लेकिन अब तक ठोस मुनाफा नहीं; उत्साह और असर के बीच बड़ा अंतरवाहन उद्योग साल 2025 को रिकॉर्ड बिक्री के साथ करेगा विदा, कुल बिक्री 2.8 करोड़ के पारमुंबई एयरपोर्ट पर 10 महीने तक कार्गो उड़ान बंद करने का प्रस्वाव, निर्यात में आ सकता है बड़ा संकट

Editorial: बढ़ा वृद्धि को जो​खिम

इस तिमाही के लिए 7.8 फीसदी की वृद्धि के अनुमान भारतीय रिजर्व द्वारा जताए गए 8 फीसदी के अनुमान से कम हैं।

Last Updated- September 01, 2023 | 12:08 AM IST
Editorial: Risks to growth
BS

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार को जारी कर दिए। ये आंकड़े ज्यादातर विश्लेषकों को रास नहीं आएंगे। इस तिमाही के लिए 7.8 फीसदी की वृद्धि के अनुमान भारतीय रिजर्व द्वारा जताए गए 8 फीसदी के अनुमान से कम हैं। निजी क्षेत्र के कुछ अर्थशास्त्री भी यह अनुमान जता रहे थे कि वृद्धि दर 8 फीसदी से अ​धिक रहेगी। क्षेत्रवार प्रदर्शन की बात करें तो सालाना आधार पर कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रही।

हालांकि सतत वृद्धि मु​श्किल होगी क्योंकि बारिश का स्तर अपेक्षा से कम रहा है। विनिर्माण क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर 4.7 फीसदी रही जो निराशाजनक है। वित्तीय सेवा क्षेत्र में 12.2 फीसदी की मजबूत वृद्धि देखने को मिली। कुल मिलाकर तिमाही के दौरान जीडीपी का स्तर महामारी के पहले की तुलना में 13.8 फीसदी अ​धिक रहा।

Also read: फिनफ्लुएंसर के खिलाफ कितने कारगर कदम

तिमाही के दौरान खपत व्यय में वृद्धि समग्र वृद्धि से कम थी लेकिन पूंजी निर्माण में करीब 8 फीसदी का इजाफा हुआ। यह बात उत्साहित करने वाली है। आने वाली तिमाहियों में भी समग्र वृद्धि के कमतर रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक को यह भी उम्मीद है कि आने वाली हर तिमाही में वृद्धि दर में कमी आएगी और वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 5.7 फीसदी के स्तर पर रहेगी।

इस गति में अनुमानित गिरावट के बावजूद जो​खिम बढ़ा है। कमजोर मॉनसून की संभावना खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित कर सकती है और इसका परिणाम ग्रामीण इलाकों में कम आय और कमजोर मांग के रूप में सामने आ सकता है। कम खाद्यान्न उत्पादन के कारण मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर रह सकती है जो परिवारों के विवेका​धीन व्यय को प्रभावित कर सकता है। अगर खाद्य मुद्रास्फीति सामान्य होनी शुरू हो जाती है तो मौद्रिक नीति समिति को नीतिगत कदमों के साथ हस्तक्षेप करना होगा। इससे आ​र्थिक विस्तार की गति धीमी पड़ सकती है।

राजकोषीय मोर्चे पर बात करें तो चुनाव करीब होने के कारण राजस्व व्यय बढ़ सकता है। उदाहरण के​ लिए सरकार ने इस सप्ताह घरेलू गैस की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलिंडर की कमी करने की घोषणा की। अगर आगे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी आती है तो राजकोषीय दबाव बढ़ेगा। सरकारी वित्त के अलग से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 33.9 फीसदी था जबकि पिछले वर्ष की समान अव​धि में यह 20.5 फीसदी था।

Also read: Opinion: प्रतियोगी परीक्षाओं से बेहतर की तैयारी

कर राजस्व की आवक गति कमजोर हुई है लेकिन बजट में बढ़ी हुई मांग राजकोषीय घाटे को तय दायरे में रखने की को​शिश मु​श्किल बना सकती है। सरकार को यह श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने पूंजीगत व्यय का बोझ वहन करने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में अगर घाटे को नियंत्रित करने के लिए इन हालात को बदला जाता तो यह बात वृद्धि पर नकारात्मक असर डालती।

यह ध्यान देने वाली बात है कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि में बहुत कम अंतर था। ऐसा मोटे तौर पर इसलिए हुआ कि थोकमूल्य सूचंकांक आधारित मुद्रास्फीति कम रही। इसका अर्थ यह भी हुआ कि सरकार को शायद जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घाटे को तय दायरे में रखते हुए व्यय बढ़ाने का बहुत लाभ न मिले। आने वाले महीनों में राजकोषीय मोर्चे पर बढ़ने वाला दबाव वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

वै​श्विक अर्थव्यवस्था भी अब तक तुलनात्मक रूप से मजबूत रही है। आने वाली तिमाहियों में हालात बदल सकते हैं। आं​शिक तौर पर ऐसा चीन में मंदी की वजह से भी हो सकता है और उसके वित्तीय तंत्र में बढ़ते जो​खिम के कारण भी। बड़े विकसित बाजारों में ब्याज दर के ऊंचा बने रहने का अनुमान है। यह बात भारतीय निर्यात की मांग को प्रभावित करेगी। ऐसे में तमाम कारकों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक 6.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेना भी चुनौतीपूर्ण होगा।

First Published - August 31, 2023 | 9:36 PM IST

संबंधित पोस्ट