एक महिला एक अग्रणी टेक फर्म में सीनियर डेटा साइंटिस्ट पद के लिए ऑनलाइन साक्षात्कार में शामिल हुई। साक्षात्कारकर्ता उसकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और अनुभव से खासे प्रभावित हुए और उन्होंने आकर्षक वेतन के साथ नौकरी का प्रस्ताव रखा। फिर एक प्रबंधक ने महिला से पूछा कि क्या उसके मन में कोई सवाल है? उसने कहा कि वह कोई सवाल तो नहीं पूछना चाहती लेकिन घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) चाहती है। कंपनी की मानव संसाधन निदेशक सकते में पड़ गई क्योंकि वह अपने सभी कर्मचारियों को मध्य नवंबर में दफ्तर बुलाने की योजना बना रही थी। महिला से कहा गया कि क्या वह स्थायी तौर पर घर से काम करने की मंजूरी देने की स्थिति में कम वेतन पर काम करना चाहेगी? महिला ने साफ इनकार कर दिया।
यह कार्यस्थल पर तनाव का एक नया रूप है जिसने कोविड के बाद की दुनिया में कामकाजी तरीके को काफी हद तक बदल दिया है। किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि घर से काम करने या कहीं से भी काम करने की छूट एक अच्छे नियोक्ता और औसत नियोक्ता के बीच फर्क का आधार बन सकता है। इसने प्रबंधन के समक्ष बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। प्रबंधन इस सवाल से जूझ रहा है कि कर्मचारियों को लंबे वक्त के बाद दफ्तर आने के लिए किस तरह राजी किया जाए?
हजारों प्रतिभाशाली लोगों ने पिछले डेढ़ साल का वक्त अपनी कामकाजी जिंदगी की प्राथमिकताओं का पुनर्आकलन करते हुए बिताया। उनके मन में यह सवाल उठता रहा कि लंबा सफर तय कर दफ्तर जाने और वहां कई घंटे बिताने का क्या मतलब है? हद से ज्यादा किराया देकर कंक्रीट के बने जंगलों में रहने का क्या कोई तुक है? क्या करियर में बदलाव करने का वक्त आ गया है? क्या दफ्तर में सहकर्मियों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान आने वाले नवाचारी विचारों का कोई मतलब है? कई लोगों के लिए यह वक्त कामकाजी जीवन को नए सिरे से परिभाषित करने वाला पल साबित हुआ है।
गत जून में ऐपल के मुखिया टिम कुक ने सभी कर्मचारियों को भेजे गए संदेश में कहा था कि उन्हें सितंबर की शुरुआत से हफ्ते भर में कम-से-कम तीन दिन दफ्तर आना होगा। लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने घर से काम की व्यवस्था जारी रखने की उत्सुकता जताने के साथ ही कंपनी के शीर्ष प्रबंधन को एक पत्र भी लिखा। उसमें कहा गया कि ‘दफ्तर से दूर रहते हुए काम करने को लेकर प्रबंधन टीम की सोच और ऐपल के कर्मचारियों के निजी अनुभवों में तालमेल नहीं है।’
घर से काम को लेकर यह दबाव ऐपल तक ही सीमित नहीं है। कई सर्वेक्षणों ने भी दिखाया है कि घर से काम कर रहे आधे से अधिक लोग अभी इस व्यवस्था को जारी रखने के पक्ष में हैं। दफ्तर आने-जाने के लिए घंटों तक सफर करने की मजबूरी से मुक्ति उनकी इस हिचक के पीछे की अहम वजह है। इन कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि घर से काम के दौरान वे खासे उत्पादक रहे हैं और नियोक्ता सिर्फ भरोसे की कमी के कारण उन्हें दफ्तर बुलाना चाहते हैं। उनकी नजर में बॉस की कुर्सी पर बैठे लोगों की अपने कर्मचारियों पर दबदबा जमाने की पुरानी चाहत भी इसकी एक वजह है।
कर्मचारियों के जोर देने से ही टिम कुक शायद दो महीने बाद यह कहने को मजबूर हुए कि रिमोट वर्किंग के बारे में कई अच्छी बातें हैं और ऐपल घर से काम की व्यवस्था को लेकर ज्यादा नरमी दिखाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि कंपनी के कुछ कामों के लिए कर्मचारियों का एक साथ इक_ा होना अहम है। कुक ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘नवाचार हमेशा एक सोची-समझी गतिविधि नहीं होती है। इसके लिए एक-दूसरे के विचारों में टकराहट भी होती है और उसके लिए आपका साथ होना जरूरी होता है।’
हालांकि नेटफ्लिक्स के रीड हेस्टिंग्स ने रिमोट वर्किंग को ‘विशुद्ध रूप से नकारात्मक’ करार दिया तो जेपी मॉर्गन चेज के जैमी डिमन ने कहा कि अगर कर्मचारी जल्द ही दफ्तरों में नहीं लौटते हैं तो उसका दूरगामी नुकसान उठाना होगा। मॉर्गन स्टैनली के मुख्य कार्याधिकारी जेम्स जॉर्मन ने कहा कि अगर लोग जल्द दफ्तर नहीं लौटते हैं तो वह बेहद निराश होंगे।
इस तरह दोनों पक्षों के बीच तनातनी के हालात बन चुके हैं। कुछ नियोक्ताओं का अपने कर्मचारियों को दफ्तर आने के लिए कहना और घर से काम में रम चुके कर्मचारियों के बीच टकराव के हालात बनने लगे हैं। अमेरिकी वयस्कों के बीच कराए गए एक सर्वे के मुताबिक 39 फीसदी लोग घर से काम को लेकर नियोक्ता के लचीलापन न दिखाने की सूरत में नौकरी भी छोडऩे के बारे में सोच सकते हैं। इसमें पीढ़ीगत सोच का फर्क भी नजर आया। ब्लूमबर्ग न्यूज की तरफ से कराए गए सर्वे में कहा गया है कि नई सदी में कामकाजी बनने वाली पीढ़ी में यह आंकड़ा 49 फीसदी तक था।
इसका मतलब है कि दफ्तर में मौजूदगी को लेकर सख्त रुख अपनाने वाले बॉस को प्रतिभाओं की कमी को देखते हुए सजग हो जाना चाहिए। कर्मचारियों की अपेक्षा से उलट दफ्तर में सभी कर्मचारियों की मौजूदगी चाहने वाली या दफ्तर में उनसे ज्यादा वक्त बिताने की अपेक्षा रखने वाली कंपनियों को गंभीरता से विचार करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो इसके आसार बन सकते हैं कि उनके पसंदीदा कर्मचारी जल्द ही बाहर का रुख कर लें।
पीडब्ल्यूसी के श्वेतपत्र के मुताबिक कारोबारी प्रमुखों को ऐसी कामकाजी नीतियां एवं योजनाएं बनानी होंगी जिनमें ज्यादा लचीलापन एवं वैयक्तिकरण की गुंजाइश हो। रिमोट वर्क एवं दफ्तर में मौजूदगी का हाइब्रिड मॉडल इसका जवाब हो सकता है लेकिन उसकी योजना भी सोच-समझकर बनानी होगी क्योंकि चलताऊ रवैये का नतीजा उलटा हो सकता है। यह चर्चा शुरू हो गई है कि किन लोगों को कब और कितने वक्त के लिए दफ्तर बुलाना है?
