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आइए जानें चिंता कैसे बदली मनी में

Last Updated- December 05, 2022 | 4:59 PM IST

क्या आपको कहानियां पसंद हैं? क्या कहा, हां! तो चलिए, आज आपको एक सच्ची दास्तान सुनाते हैं। दास्तान एक बीमा कंपनी की, जो सात साल पहले मार्केट में उतरी थी।


 वह कंपनी, जो जीवन बीमा के क्षेत्र में उतरने वाली पहली प्राइवेट कंपनियों में से एक है।पिछले सात सालों में काफी कुछ बदल चुका है। प्राइवेट जीवन बीमा कंपनियों की तादाद भी 12 से बढ़ 16 हो चुकी है, फिर भी वह कंपनी देश की टॉप प्राइवेट इंशोयरर है।


 अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे कि हम आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की बात कर रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक और ब्रिटिश बीमा कंपनी प्रूडेंशियल की संयुक्त उद्यम इस कंपनी अब तक 65 लाख से ज्यादा पॉलिसियां बांट चुकी है।


इसने न केवल अपनी नंबर वन पोजिशिन को बरकरार रखा है, बल्कि उसने तेजी से विकास भी किया है। प्राइवेट जीवन बीमाओं के बाजार में जनवरी, 2008 के अंत तक इसका 29 फीसदी बाजार पर कब्जा था। वहीं, 21 फीसदी बाजार के साथ बजाज आलियांज इसके ठीक पीछे था, जबकि 10 फीसदी बाजार पर कब्जे के साथ स्टेट बैंक तीसरे नंबर पर था।आखिर आईसीआईसीआई ने इस मुकाम को हासिल किया कैसे?


इर्नेस्ट एंड यंग में वित्तीय सेवाओं के राष्ट्रीय प्रमुख अश्विन पारेख का कहना है कि, ‘यह कमाल है बड़े पोर्टफोलियो का। उनकी तो रणनीति ही रही है अपने पोर्टफोलियो ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की। यह एक तरीके से इन-बिल्ट हेज की तरह काम करता है। बाजार में खुद को खतरे से बचाने में यह सिस्टम काफी असरदार होता है। साथ ही, उन्होंने काफी जोरदार डिस्ट्रीब्यूशन नेटनवर्क भी तो बनाया है।’ लेकिन यह तो कहानी का बस एक पहलू है, बाकी के पहलूओं के बारे में  जानने के लिए पढ़ते रहिए :


यूलिप ने किया कमाल


आईसीआईसीआई प्रूडेंसियल की प्रीमियम से होने वाली कमाई मार्च, 2003 से पिछले साल मार्च के बीच 100 फीसदी तक बढ़ चुकी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कंपनी ने अपनी शुरुआत पुराने स्टाइल के इनडाउमेंट प्रोडक्ट्स से की थी। जी हां, यह भारत में यूनिट लिंक्ड इंशोयरेंस पॉलिसी (यूलिप) उतरने वाली पहली कंपनी नहीं है। यह तमागा तो जाता है, बिड़ला सनलाइफ को। हालांकि, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने भी पहले साल के भीतर ही यूलिप बेचने की शुरुआत कर दी।


आज तो यह दूसरी किसी भी बीमा कंपनी से ज्यादा यूलिप बेच रही है और वहीं बिड़ला सनलाइफ तो टॉप फाइव बीमा कंपनियों में भी अपनी जगह नहीं बना पाई है। वहीं एचजीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ जैसे खिलाड़ियों को भी यूलिप बाजार में देर से उतरने की मोटी कीमत चुकानी पड़ रही है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की मैनेजिंग डाइरेक्टर शिखा शर्मा का कहना है कि, ‘यूलिप कस्टमरों को हमारे प्रोडक्ट्स के साथ जोड़ता है। इसकी बड़ी वजह है, इसका पारदर्शी होना।


इनडाउमेंट पॉलिसियों में तो पारदर्शिता कम होती है, इसलिए उनसे लोगों का जुड़ाव भी कम होता है। साथ ही, ग्राहकों इसलिए भी इनडाऊमेंट से उखरे रहते हैं क्योंकि इसमें लंबे समय तक के लिए पैसे लगाने पड़ते हैं।’


शिखा मानती हैं कि यूलिप में समय-समय पर थोड़ी-थोड़ी रकम लगानी पड़ती है। इस वजह से भी कई लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। यूलिप प्रोडक्ट में आपको अपनी उम्र के हिसाब से पैसे चुकाने पड़ते हैं। बिल्कुल इसमें स्टॉक मार्केट में आए उछाल ने भी अहम भूमिका निभाई है।  2007 के वित्त वर्ष में बीमा कंपनियों को लोगों की तरफ 75300 करोड़ रुपए का मोटा प्रीमियम मिला।


किफायत ने बनाया सरताज


आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के लिए केवल यूलिप योजानएं ही कामयाबी की चाबी नहीं बनी। इसने साथ में कीमतों पर भी काफी ध्यान दिया। कंपनी के कार्यकारी निदेशक एन एस कानन का कहना है कि, ‘दूसरी कंपनियों से तुलना करें तो आईसीआईसीआई के शुरुआती चार्जेज हमेशा कम रहे। हमें नहीं लगा कि भारत जैसे कीमत को लेकर संवेदनशील बाजार में ऊंचे शुरुआती खर्चे के साथ पॉलिसी बेचनी चाहिए। हमने हमेशा किफायत में विश्वास किया है।


जहां हमारे प्रतिद्वंद्वी पहले साल में ही 50 से 60 फीसदी तक के मोटे प्रीमियम चार्ज करते हैं, हम केवल 18-20 फीसदी तक अपने ग्राहकों से लेते हैं।’ दूसरी कंपनियों के मामले में लोगों को पहले साल के प्रीमियम के 20 फीसदी के बराबर तो लोगों को चार्ज देने पड़ जाते हैं।


वहीं, आईसीआईसीआई ने अपने जीरो लोड प्लान को बाजार में उतार दिया है। शिखा कहती हैं,’हम नए-नए उत्पादों पर भी काफी फोकस कर रहे हैं। ‘ केपीएमजी के नैशनल इंडस्ट्री डाइरेक्टर संजय अग्रवाल का कहना है कि,’किसी भी कंपनी को आज सफल होने के लिए ग्राहकों पर अपनी पकड़ मजबूत रखनी पड़ेगी।’


रंग लाया मार्केटिंग का फंडा


बीमा उद्योग में एक दौर ऐसा भी था, जब लोगों को लगता था कि एक बार अगर बीमा योजनाएं लोगों के सामने होंगी, तो वे उन्हें खरीदेंगे भी। पर लीक से हटते हुए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने इन्हें मार्केट करने का फैसला किया। शिखा शर्मा को आज भी याद है कि जब मार्केटिंग टीम एक ऐड कैंपेन पर सोच रही, तो लोगों ने कैसे उनका मजाक उड़ाया था। मजाक उड़ाने वालों में कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स भी शामिल थे।


उनका कहना है कि,’बहुत सारे लोगों को लगता था कि हम पैसे बर्बाद कर रहे हैं, पर इसी मार्केटिंग की वजह से हम अपने ब्रांड को बनाने में सफल रहे।’ एक और बड़ी बात यह कि शुरू से ही आईसीआईसीआई ने बीमा के साथ जुड़ी चिंतित छवि को एक हंसी-खुशी वाली छवि में बदल दिया।


इसके पीछे कारण यह था कि कंपनी के बीमा की सकारात्मक छवि को पेश करना चाहती थी। हालांकि, इसके पीछे आईसीआईसीआई बैंक का भरोसेमंद नाम था, फिर भी इस एक विश्वसनीय नाम बनने में काफी मेहनत करनी पड़ी। बीमा के कारोबार में यह मुकाम हासिल करना का अहम होता है, जिसका फायदा कंपनी को लंबे दौर में होता है।


नौजवानों पर जोर


आईसीआईसीआई अब तक कई कैंपन ला चुकी है, पर अभी भी यह देश के टॉप विज्ञापनदाताओं में से एक है। कंपनी विज्ञापनों पर कमाई का 0.5 फीसदी से लेकर 0.75 फीसदी हिस्सा खर्च करती है। अब कंपनी इमोशनल ऐड्स की जगह  तार्किक विज्ञापनों का सहारा ले रही है। इसी बात का उदारहरण है कंपनी का ‘जीते रहो’ कैंपेन।


वहीं कंपनी का टारगेट कस्टमर अब भी 35 से 45 साल का मीडिल या हाई क्लास से ताल्लुक रखने वाला शख्स है, लेकिन इसके ऐड कैंपेन में जोर 30-35 साल के लोगों पर होता है। शिखा का कहना है कि उनके पॉलिसी होल्डरों की उम्र एलआईसी के बीमा होल्डरों की उम्र से आठ साल कम होती है। इन लोगों तक पहुंचने का मकसद लोगों को यह समझना है कि बीमा 15-20 साल तक निवेश वाला एक प्रोडक्ट है।


लोगों तक पहुंच


अगर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल 65 लोगों को पॉलिसियां बेच पाईं हैं तो इसका काफी श्रेय इसके एजेंटो को जाता है। इसके 2.5 लाख एजेंटों की फौज कंपनी को 60 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम लाकर देती है। इसके मुकाबले बजाज आलियांज के पास 2.75 लाख एजेंट हैं, तो एलआईसी के पास तो 10 से भी ज्यादा एजेंटों की लंबी चौड़ी फौज है।


हालांकि, एजेंटों की सैलरी के मामले में भी आईसीआईसीआई ज्यादा आगे नहीं है। वैसे कंपनी दफ्तरों को भी तेजी से खोल रही हैं। मार्च के आखिर तक कंपनी के पास 1500 ऑफिस होंगे। इसमें से तो 900 दफ्तरों ने तो पिछले साल ही काम करना शुरू किया है। कानन का कहना है कि उन्होंने पांच साल में 3500 दफ्तर खोलने का लक्ष्य रखा है।


नाम का कमाल


बीमा जगत की मानें तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल को सबसे ज्यादा फायदा आईसीआईसीआई बैंक से मिला। इसी की मदद से वह अपने कस्टमर बेस को मजबूत कर पाया। वहीं, बजाज आलियांज और बिड़ला सनलाइफ इसी वजह से रेस में पीछे रह गईं। उसकी कुल कमाई में  से 27 फीसदी हिस्सा तो अकेले आईसीआईसीआई बैंक के नाम की वजह से उसके पास आता है।

First Published - March 24, 2008 | 11:29 PM IST

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