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ऑटोमैटिक कार की सवारी बन रही हकीकत

वेमो गाड़ी इलेक्ट्रिक जगुआर आई-पेस मॉडल से बनी हैं और इनकी सेवाएं अन्य शहरों में भी जल्द उपलब्ध होंगी।

Last Updated- March 03, 2024 | 11:02 PM IST
ऑटोमैटिक कार की सवारी बन रही हकीकत, A self-driving car ride

भविष्य की कार संभवतः इलेक्ट्रिक, साझा कार और स्वचालित कार होगी। आपने इस तरह के बयान पहले भी सुने होंगे लेकिन सच यह है कि यह भविष्य की कार नहीं बल्कि आज मौजूद है। पिछले महीने की शुरुआत में, मैंने सैन फ्रांसिस्को में एक वेमो कैब की सवारी की। यह स्वचालित कैब शहर की सड़कों से होते हुए कुछ गलियों से गुजरने के साथ ही कई मुश्किल मोड़ पर भी घूमी लेकिन हम बिना किसी परेशानी अपनी मंजिल तक पहुंच गए।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य हाथों ने स्टीयरिंग व्हील घुमाई हो जो मशीन शायद लंबे समय तक स्वचालित कारों का हिस्सा नहीं रहेगी। वेमो गाड़ी इलेक्ट्रिक जगुआर आई-पेस मॉडल से बनी हैं और इनकी सेवाएं अन्य शहरों में भी जल्द उपलब्ध होंगी। इनका किराया उबर और लिफ्ट जैसी टैक्सी सेवाओं के समान ही है।

ब्लूमबर्ग एनईएफ इन स्वचालित वाहनों को अब भी एक ऐसे कारक के तौर पर देखता है जो हमारे आवागमन के तरीके पूरी तरह से बदल सकता है या कुछ शहरों के चुनिंदा क्षेत्रों तक ही सीमित रह सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य अधिक स्पष्ट है, हालांकि इसमें भी बदलाव हो रहा है। इस साल दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 20 फीसदी तक बढ़ सकती है, जिनमें से लगभग 1.67 करोड़ वाहन निर्यात किए जा रहे हैं। बैटरी और धातु क्षेत्र में भी तेज गतिविधियां देखी जा रही हैं।

बीएनईएफ के धातु और खनन विश्लेषक एलन रे रेस्टॉरो का कहना है, ‘लंबी अवधि में मांग में वृद्धि निश्चित है।’ हालांकि, अतिरिक्त उत्पादन क्षमता के कारण अधिशेष मात्रा के चलते कीमतों पर भी दबाव पड़ा है। वर्ष 2023 में निकल की कीमतों में लगभग 47 प्रतिशत की गिरावट आई। लीथियम की कीमतों में गिरावट के बावजूद एक्सॉन मोबिल कॉर्प ने हाल में कहा कि वह अर्कांसस में अपनी परियोजना को आगे बढ़ाएगी।

बीएनईएफ ने 30 देशों की वैश्विक लीथियम-आयन बैटरी आपूर्ति श्रृंखला की रैंकिंग में कनाडा को शीर्ष स्थान दिया है जो रैंकिंग एक सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला बनाने की क्षमता पर आधारित है। कनाडा के बाद चीन, अमेरिका, जर्मनी, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया का स्थान है। भारत इस साल पांच स्थान ऊपर चढ़कर 13वें स्थान पर पहुंच गया है।

विकासशील देशों के लिए जलवायु से जुड़े लक्ष्यों के लिए राशि आवंटित करने में अग्रणी माने जाने वाले विश्व बैंक समूह ने अगले साल वार्षिक फंडिंग बढ़ाकर 40 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है यानी विश्व बैंक जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए विकासशील देशों को अधिक सहायता प्रदान करेगा। उत्सर्जन कम करने या रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाई और जलवायु परिवर्तन से समायोजन के लिए यह राशि समान रूप से विभाजित की जाएगी।

विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने बीएनईएफ को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा, ‘इस राशि के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है और मुझे यह नहीं पता है कि यह सही है या नहीं।’ पूंजी का समान विभाजन दरअसल विकसित और विकासशील देश दोनों की चिंताओं को दूर करने के लिए किया गया है। यह विश्व बैंक के धरती को एक रहने लायक ग्रह और गरीबी मुक्त दुनिया बनाने के नए दृष्टिकोण के अनुरूप है। इसके लिए जलवायु परिवर्तन से जुड़े निवेशों में वृद्धि की आवश्यकता होगी। पिछले साल जलवायु परियोजनाओं को 38.5 अरब डॉलर की फंडिंग मिली थी।

बंगा की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में अफ्रीका में 10 करोड़ लोगों को अक्षय ऊर्जा देने वाली 15 अरब डॉलर की योजना शामिल है। इसमें कई देशों के सहयोग से कार्बन क्रेडिट को अधिक मूल्य पर बेचने के प्रयास के साथ मीथेन उत्सर्जन को सीमित करने की योजना और भारत में हरित हाइड्रोजन से जुड़े बुनियादी ढांचे को समर्थन देना शामिल है।

सौर ऊर्जा 2024 में एक और रिकॉर्ड बनाएगी और इस साल 520 गीगावॉट से अधिक क्षमता स्थापित किए जाने की उम्मीद है और यह पिछले साल की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि है। करीब 37 से अधिक बाजार एक गीगावॉट से अधिक क्षमता जोड़ेंगे। बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में बीएनईएफ ने कुछ इस तरह बयां किया, ‘सौर मॉड्यूल की कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं और सभी घटकों की आपूर्ति भी भरपूर है। अंतिम उपयोगकर्ता वाले बाजार फल-फूल रहे हैं जबकि निर्माता लाभ कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’

भारत सौर ऊर्जा स्थापित करने के मामले में विश्व में तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने की ओर अग्रसर है और इससे आगे अमेरिका और चीन है जबकि ब्राजील और जर्मनी इसके पीछे हैं। हालांकि, सौर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के स्थानीयकरण की महत्त्वाकांक्षा, कम कीमतों और कम या न के बराबर लाभ मार्जिन की वास्तविकता से टकराएगी।

इसका मतलब यह हो सकता है कि यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों में प्रस्तावित कई कारखाने कभी नहीं बन पाएंगे। भारत ने पिछले साल लगभग 23 गीगावॉट सौर ऊर्जा की नीलामी की थी जो ग्रिड कनेक्शन क्षमता को दर्शाता है। यह पिछले दो वर्षों में नीलाम की गई कुल क्षमता से भी अधिक है और यह एक नया रिकॉर्ड है।

First Published - March 3, 2024 | 11:02 PM IST

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