वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री बढ़ रही है। इसका सबूत यह है कि टेस्ला ने पिछले साल 18 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की डिलिवरी करते हुए वर्ष 2022 के 13 लाख के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। इससे वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या के अच्छे संकेत मिल रहे हैं। हालांकि वार्षिक वृद्धि दर कम रहने की उम्मीद है लेकिन बाजार का विस्तार जारी है।
ब्लूमबर्गएनईएफ ने वर्ष 2024 में 1.67 करोड़ ईवी की बिक्री का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के लगभग 1.4 करोड़ वाहनों से अधिक है। इस साल दुनिया में बिकने वाली हर पांचवीं कार इलेक्ट्रिक होगी। इस बाजार में टेस्ला और चीन की बीवाईडी दो सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां हैं।
भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री पिछले साल 1 लाख के आंकड़े के करीब पहुंच गई थी। नए मॉडल, सस्ती बैटरियां और कारें इस बाजार को बढ़ावा दे रही हैं। इसके अलावा कैब ऑपरेटरों की बढ़ती मांग और टेस्ला का इस क्षेत्र में संभावित प्रवेश भी देश के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की तेजी को हवा दे रहा है।
भारत के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बाजार में अच्छी-खासी तेजी देखी जा रही है। हालांकि मार्च में सरकारी सब्सिडी खत्म होने पर इस उद्योग को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बीएनईएफ की प्रमुख ईवी विश्लेषक कमल करीर कहती हैं, ‘सब्सिडी खत्म होने से निजी उपयोगकर्ताओं को की जाने वाली बिक्री प्रभावित हो सकती है लेकिन व्यावसायिक बिक्री के लिहाज से यह पूरा अलग मामला है। दरअसल परिचालन लागत कम होने से व्यावसायिक क्षेत्र में इसकी मांग लगातार बढ़ेगी।’
वर्ष 2023 के आखिरी तीन महीनों में देश में 2,40,000 से अधिक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बिके जबकि एक साल पहले इसी अवधि के दौरान 2,19,000 वाहन बिके थे। ओला इलेक्ट्रिक अब भी इस बाजार में अग्रणी है।
देश के कुछ हिस्सों में नया बैटरी-स्वैपिंग मॉडल भी आजमाया जा रहा है। ताइवान की कंपनी गोगोरो ने पिछले महीने भारत में अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर और बैटरी-स्वैपिंग विकल्प शुरू किया जो शुरुआत में केवल कारोबारी ग्राहकों के लिए है।
बीएनईएफ की प्रमुख ईवी विश्लेषक कमल करीर का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए नीतिगत समर्थन अब भी मजबूत है, जिसके परिणामस्वरूप और अधिक निविदाओं और बिक्री की उम्मीद की जा सकती है। दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों में वृद्धि, वाहनों की बढ़ती ईंधन दक्षता जैसे अन्य कारकों के चलते तेल की मांग में स्पष्ट रूप से कमी देखी जा रही है।
बीएनईएफ ने इस वर्ष ईवी और स्वच्छ ईंधन से चलने वाले परिवहन से संबंधित 10 प्रमुख रुझान से जुड़ी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘ वर्ष 2024 में सभी तरह के इलेक्ट्रिक वाहन 20 लाख बैरल से ज्यादा तेल की जगह लेंगे।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुल मिलाकर परिवहन के लिए तेल की मांग के शीर्ष स्तर पर पहुंचने में लगभग चार साल और लगेंगे।
अमेरिका के एक राज्य टैक्सस में जल्द ही रोबोट्रक आम हो सकते हैं और कुछ स्टार्टअप को उम्मीद है कि जल्द ही सुरक्षा चालकों को हटाया जा सकता है। पिट्सबर्ग में मौजूद ऑरोरा कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी क्रिस उर्मसन ने जनवरी में एक साक्षात्कार में ब्लूमबर्ग न्यूज को बताया, ‘वर्ष के आखिर में ऐसी स्थिति भी आ सकती है जब बिना ड्राइवर के ट्रक चलाए जा सकेंगे।’ सौर ऊर्जा का स्थानीयकरण स्थानीय विनिर्माण वास्तव में पर्यावरण के लिहाज से काफी फायदेमंद होता है।
इसमें सामान लाने-ले जाने और इधर-उधर भेजने की मांग बहुत कम होती है। लेकिन बड़े स्तर पर उत्पादन न होने की लागत भी चुकानी पड़ती है। अमेरिका ने स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई तरीके से उदारतापूर्वक प्रोत्साहन दिए हैं। इसका नतीजा हुआ है कि मुंबई की कंपनी वारी एनर्जीज ने पिछले महीने टेक्सस में 5 गीगावॉट क्षमता वाला सौर सेल और पैनल का एक कारखाना लगाने के लिए 1 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है।
इस कारखाने की पहली इकाई 2024 के अंत तक तैयार हो जाएगी जिसकी क्षमता 3 गीगावॉट के मॉड्यूल बनाने की होगी। पूरी क्षमता से परिचालन 2027 तक चालू हो जाने की उम्मीद है। वारी एनर्जीज ने ओडिशा में भी 6 गीगावॉट क्षमता वाला संयंत्र लगाने और अन्य खर्च के वास्ते पूंजी जुटाने के लिए भारत में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के दस्तावेज दाखिल किए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका की कंपनी फर्स्ट सोलर ने भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत समर्थन हासिल किया है। यह योजना पूरी तरह से एकीकृत विनिर्माताओं के लिए है। इस कंपनी की एशिया और अमेरिका में कई विनिर्माण इकाइयां हैं। पिछले महीने फर्स्ट सोलर ने अमेरिका में उत्पादन कर क्रेडिट की बिक्री की घोषणा की। कर क्रेडिट से पैसे बनाने का यह नया तरीका है जो मुद्रास्फीति कटौती अधिनियम के तहत उपलब्ध कराया गया है।
दरअसल अमेरिकी सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों को कर छूट दे रही है। इसके खरीदार, फिसर्व को दो अलग-अलग कर क्रेडिट हस्तांतरण समझौतों के तहत 50 करोड़ डॉलर और 20 करोड़ डॉलर तक के क्रेडिट बेचने के लिए 1 डॉलर कर क्रेडिट पर 0.96 डॉलर का भुगतान करना होगा। यह कीमतों का अब तक का उच्चतम स्तर है।
हाल ही में हुए कॉप28 सम्मेलन के बाद दुनिया के देश 2030 तक अक्षय ऊर्जा को तीन गुना बढ़ा सकते हैं और ऊर्जा दक्षताओं में सुधार को दोगुना कर सकते हैं। इसके साथ ही कोयले से चलने वाले बिजलीघरों को चरणों में कम किया जाएगा और जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल भी धीरे-धीरे कम होगा। लेकिन ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि अलग-अलग देश इस सम्मेलन की बातों की व्याख्या किस तरह करते हैं और दुनिया के 8 अरब लोग इस मुद्दे पर कितनी सक्रियता दिखाते हैं।
वर्ष 2025 के नवंबर महीने में ब्राजील में आयोजित होने वाला कॉप30 एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन होगा क्योंकि विभिन्न देशों को नए वादों के साथ तैयार रहना होगा। कॉप28 के समापन के बाद संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक बयान में कहा गया है, ‘उन्हें इस तैयारी के साथ आना चाहिए कि वे राष्ट्रीय स्तर निर्धारित योगदान देंगे जो अर्थव्यवस्था के स्तर पर व्यापक हो और जिसमें सभी ग्रीनहाउस गैस शामिल हों और जो 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान सीमा के लक्ष्य के अनुरूप हो।’
इस साल का जलवायु सम्मेलन कॉप29 अजरबैजान में होगा और इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों के पैमाने और उसकी तात्कालिकता को दर्शाते हुए इससे निपटने के लिए धन जुटाने के तरीकों पर चर्चा होगी। दो दशक से अधिक समय तक सरकारी तेल और गैस कंपनी में काम कर चुके और वर्तमान में अजरबैजान के पारिस्थितिकी मंत्री मुख्तार बाबायेव को सम्मेलन का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।
(लेखिका न्यू यॉर्क में ब्लूमबर्गएनईएफ के लिए ग्लोबल पॉलिसी की वरिष्ठ संपादक हैं)