अगर आप राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की टियर-1 इक्विटी योजनाओं के औसत श्रेणीगत रिटर्न की तुलना लार्जकैप म्युचुअल फंड की डायरेक्ट योजनाओं से करेंगे, तो फिलहाल एनपीएस में थोड़ी बढ़त दिखेगी। मगर वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि निवेशकों को केवल रिटर्न के आधार पर इन दो श्रेणियों के बीच चयन नहीं करना चाहिए।
एमएफ में होती है लिक्विडिटी
म्युचुअल फंड आम तौर पर निवेशकों को व्यापक परिसंपत्ति दायरे (सोना एवं अंतरराष्ट्रीय फंड) के अलावा फंड हाउस और फंड मैनेजरों की विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करते हैं। ईएलएसएस को छोड़कर अन्य ओपन-एंडेड फंड हमेशा लिक्विडिटी प्रदान करते हैं। म्युचुअल फंड में लगाई गई रकम बिना कराधान के चक्रवृद्धि होती है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) दीपेश राघव ने कहा, ‘अगर फंड मैनेजर अपनी हिस्सेदारी बेचता है तो उस पर कोई कर नहीं लगाया जाता है।’
निधि घटने का खतरा
निवेश समेटने का लचीलापन निवेशकों के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकता है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, ‘आपकी सेवानिवृत्ति निधि कम हो सकती है क्योंकि रकम का उपयोग लघु या मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।’
इसके अलावा अनुशासन एक मुद्दा बन सकता है। फिनस्कॉलर्ज वेल्थ मैनेजर्स की सह-संस्थापक एवं प्रधान सलाहकार और सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार रेनू माहेश्वरी ने कहा, ‘कई निवेशक उस दौरान बाजार में प्रवेश करते हैं जब बाजार तेजी होती है और बाजार के नीचे होने पर बाहर निकल जाते हैं।’ म्युचुअल फंड का व्यय अनुपात एनपीएस के फंड प्रबंधन शुल्क के मुकाबले अधिक होता है।
एनपीएस: विशेष कर लाभ
इस योजना को खास तौर पर सेवानिवृत्ति के लिहाज से तैयार किया गया है। माहेश्वरी ने कहा, ‘स्वरोजगार और कारोबारी लोगों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की सुविधा नहीं होती है, लेकिन एनपीएस का विकल्प सभी के लिए खुला है।’
एनपीएस से पहले ईपीएफ जैसी अन्य वैधानिक सेवानिवृत्ति योजनाएं निश्चित आय पर केंद्रित होती थीं। मगर एनपीएस में निवेशक 75 फीसदी तक रकम शेयर बाजार में निवेश करने का फायदा उठा सकते हैं।
इसके अलावा निवेशक को आयकर की धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस पर 50,000 रुपये तक कर योग्य आय में कटौती का विशेष लाभ मिलता है जो आयकर की धारा 80सीसीडी (1) के तहत इस तरह के 1.5 लाख रुपये के कर लाभ के अतिरिक्त है।
अगर नियोक्ता किसी कर्मचारी के एनपीएस खाते में योगदान करता है तो कर्मचारी आयकर की धारा 80सीसीडी (2) के तहत वेतन के 10 फीसदी तक कटौती का दावा कर सकता है। सेवानिवृत्ति पर प्राप्त करीब 60 फीसदी रकम कर के दायरे से बाहर होती है।
माहेश्वरी ने कहा, ‘एन्युटाइज होने वाली 40 फीसदी रकम से जीवन भर आय मिलती है। चूंकि एन्युटी आय कर के दायरे में होती है, मगर सेवानिवृत्ति में आय आम तौर पर कम हो जाती है।, इसलिए उस पर कर की निचली दर लागू होती है।’ राघव ने कहा कि एनपीएस में एक फंड से दूसरे फंड की रीबैलेंसिंग भी कर मुक्त होती है।
एनपीएस: कम नकदी प्रवाह
एनपीएस में रकम 60 साल की उम्र तक लॉक हो जाती है। राघव ने कहा, ‘अगर आप पहले सेवानिवृत्त हो जाते हैं और आपको एनपीएस वाली रकम की जरूरत होती है तो उसमें एक समस्या है। अगर आप 60 साल की उम्र से पहले रकम निकालते हैं तो 80 फीसदी रकम अनिवार्य तौर पर एन्युटाइज हो जाती है।’
जहां तक 40 फीसदी रकम का सवाल है जिसे अनिवार्यत: एन्युटाइज किया जाना है। यदि सेवानिवृत्ति पर उपलब्ध एन्युइटी दरें अच्छी नहीं हैं तो इससे समस्या हो सकती है। ऐसे में निवेशक रकम निकालने की योजना को टाल सकते हैं। एनपीएस सीमित दायरे में फंड (केवल एक इक्विटी फंड होता है और आपके पास लार्जकैप, मिडकैप अथवा स्मॉलकैप फंड जैसे विकल्प नहीं होते हैं) और फंड मैनेजर की पेशकश करती है।
आपके पास दोनों विकल्प हैं
अगर निवेशकों के पास साधन है तो उन्हें म्युचुअल फंड और एनपीएस में से किसी एक को चुनने के बजाय दोनों विकल्पों पर गौर करना चाहिए। लिक्विडिटी और फंड के विकल्प के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करें। कर लाभ, कर मुक्त रीबैलेंसिंग और सेवानिवृत्ति पर तय बचत के लिए एनपीएस में निवेश करें।
अगर आप किसी एक योजना को चुनना चाहते हैं तो पहले म्युचुअल फंड को चुनें। धवन ने कहा, ‘आपको एनपीएस में कितना निवेश करना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप 60 साल की उम्र तक कितनी रकम लॉक कर सकते हैं।’