चांदी (silver) का भाव इस समय करीब 62,110 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है। पिछले 3 महीने में इसके भाव करीब 11.7 फीसदी चढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आगे भी चांदी की चमक बरकरार रहने वाली है और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) अथवा फंड ऑफ फंड्स के जरिए चांदी में रकम लगाने का यह अच्छा मौका है।
पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर के शेयर बाजार दौड़ गए हैं क्योंकि माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व पहले लगाए गए अनुमानों के मुकाबले धीमी रफ्तार से ब्याज दर बढ़ाएगा।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, ‘आम तौर पर बेहद जोखिम वाली संपत्तियों जैसे शेयरों के साथ चांदी का बड़ा तालमेल होता है। सोने की चाल चाल शेयरों से उलटी होती है यानी जब शेयर गिरते हैं तो सोना उठ जाता है।मगर चांदी तभी अच्छा प्रदर्शन करती है जब शेयर बाजार दौड़ते हैं।’
पिछले दो साल से चांदी का प्रदर्शन काफी फीका रहा है। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया बताते हैं, ‘अगस्त 2020 में चांदी का भाव तकरीबन 71,200 रुपये के करीब था और इस समय यह केवल 62,110 रुपये है। इतने लंबे समय तक कमजोर प्रदर्शन के बाद अब इसमें उछाल आने की पूरी उम्मीद है।’
उद्योगों में चांदी की मांग जोर पकड़ रही है। इलेक्ट्रिक वाहन (चार्जिंग स्टेशन और बैटरी), सोलर पैनल और 5जी तकनीक में चांदी की बहुत जरूरत होती है। इस समय दुनिया भर में इसका स्टॉक भी 2 साल के सबसे कम स्तर पर है। केडिया कहते हैं, ‘खानों से उत्पादन लगातार कम हो रहा है और उद्योगों में इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसलिए चांदी आकर्षक हो गई है।’
भारत में बर्तन, सिक्के, ईंट और गहनों के रूप में चांदी की मांग तथा ईटीएफ में निवेश की मांग बढ़ती जा रही है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख (कमोडिटी एवं करेंसी) नवनीत दमानी बताते हैं, ‘भारत में 2022 के पहले 9 महीनों में लगभग 8,200 टन चांदी का आयात किया है, जो इसके कुल वैश्विक उत्पादन का करीब एक तिहाई है। इस साल के अंत तक चांदी का आयात बढ़कर 10,000 टन के पार पहुंच सकता है।’
इस समय महंगाई का माहौल ही चांदी के लिए बढ़िया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड में उत्पाद एवं रणनीति प्रमुख चिंतन हरिया कहते हैं, ‘कीमतों का पिछला रिकॉर्ड बताता है कि जब भी महंगाई बढ़ती है, चांदी का भाव भी चढ़ सकता है। यह महंगाई की जोखिम से बचाने का काम करती है क्योंकि इसके भाव अर्थव्यवस्था में सामान्य मूल्य स्तर के बेहद करीब होते हैं।’
विशेषज्ञों को चांदी में अच्छी खासी संभावनाएं नजर आ रही हैं। दमानी का कहना है, ‘ हमारे हिसाब से अगले 12 से 18 महीनों में चांदी का भाव 20 से 22 फीसदी ऊपर जा सकता है।’
इस समय सात फंड कंपनियां सिल्वर ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स दे रही हैं – आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, निप्पन इंडिया, आदित्य बिरला सन लाइफ, एचडीएफसी, ऐक्सिस, डीएसपी और कोटक। यह श्रेणी अपेक्षाकृत नई है और इसमें तकरीबन 2,056 करोड़ रुपये की रकम संपत्ति प्रबंधन अधीन है। इसमें एक्सपेंस रेश्यो 0.09 से 0.55 फीसदी के बीच होता है।
भारत के लोग परंपरागत तौर पर चांदी में निवेश सिक्के या सिल्ली के रूप में खरीदकर ही करते हैं। लेकिन इस तरह से निवेश करने पर भारी मात्रा में चांदी खरीदनी पड़ती है और उसे रखने की समस्या भी आती है। हरिया कहते हैं, ‘सिल्वर ईटीएफ का रास्ता पकड़ा जाए तो निवेशकों को चांदी की शुद्धता या उसे रखने की चिंता नहीं करनी पड़ती है इसमें चांदी या निवेश की हिफाजत का चक्कर भी नहीं होता।’
जब जोखिम का माहौल हो तो चांदी काफी काम आती है।वित्तीय योजनाकारों की सलाह है कि इसे अपने निवेश की ग्रोथ बास्केट में जगह दी जानी चाहिए (क्योंकि शेयर जैसी जोखिम भरी संपत्तियां जब गिरती हैं तो चांदी चढ़ती है)। धवन समझाते हैं, ‘चांदी के भाव में उतार-चढ़ाव होता है इसीलिए निवेशकों को तकरीबन 10 साल निवेश के लिहाज से इसमें रकम लगानी चाहिए।
साथ ही सिल्वर फंड में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये करना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।’ वह एक साथ भारी मात्रा में चांदी खरीदने से बचने की सलाह देते हैं क्योंकि पहले ही मंद पड़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में अभी और गड़बड़ होने के आसार हैं और माना जा रहा है कि 2023 में मंदी आ सकती है।
जो निवेशक जोखिम से घबराते हैं, उन्हें चांदी से दूरी ही बरतनी चाहिए क्योंकि इसकी कीमत में भारी उतार-चढ़ाव होता रहता है। जो निवेशक हल्का-फुल्का जोखिम उठा सकते हैं, उन्हें अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो का तकरीबन 5 फ़ीसदी हिस्सा चांदी में लगाना चाहिए और जिन्हें जोखिम से बिल्कुल भी डर नहीं लगता, वे 10 फ़ीसदी निवेश चांदी में कर सकते हैं।