भारत में मकान खरीदना निवेश का सबसे अच्छा विकल्प बनता जा रहा है। इसलिए खरीदार अब इसको खरीदने का निर्णय लेने में कम समय ले रहे हैं। कोविड के बाद से मकान लेने की इच्छा को खरीदने में बदलने में लगने वाले दिनों की संख्या में कमी आई है। बहुत महंगे मकानों के मामलों में खरीदार सबसे कम दिन का वक्त ले रहे हैं।
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में मकान लेने की सोच को मकान लेने के निर्णय में बदलने में 33 दिन लग रहे थे, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में दिनों की संख्या घटकर 26 रह गई है। हालांकि मकान लेने की योजना को बुकिंग में बदलने के ये दिन पिछले वित्त वर्ष के 25 दिनों से एक दिन अधिक है।
अल्ट्रा लग्जरी मकानों की बुकिंग में लग रहे हैं सबसे कम दिन
बजट श्रेणी के आंकड़ों के गहन विश्लेषण से पता चलता है कि खरीदार अल्ट्रा-लक्जरी मकानों ( 3 करोड़ रुपये से अधिक कीमत) को लेने की योजना को बुकिंग में तब्दील करने में सबसे कम समय लेते हैं। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में खरीदारों ने इन मकानों को लेने के निर्णय में केवल 15 दिन का वक्त लिया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में 22 दिन लिए थे।
एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी कहते हैं, “अल्ट्रा-लक्जरी घरों के खरीदार त्वरित निर्णय लेने के लिए वित्तीय रूप से सक्षम हैं। साथ ही हाई-एंड मकानों की वर्तमान में सबसे अधिक मांग भी है।
50 लाख से एक करोड़ रुपये कीमत के मकान में अधिक समय
एनारॉक के अनुसार खरीदार 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कीमत का मकान खरीदने का अंतिम निर्णय लेने में सबसे अधिक 30 दिन का समय लगा रहे हैं। खरीदारों ने एक करोड़ से 3 करोड़ रुपये कीमत के मकान खरीदने के निर्णय में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 27 दिन लगाए, दो से तीन करोड़ रुपये कीमत के मामले में इन दिनों की संख्या 26 रही।
खरीदारों ने पिछले वित्त वर्ष एक से दो करोड़ रुपये कीमत के मकान खरीदने का निर्णय लेने में सबसे अधिक 32 दिन का समय लिया। किफायती मकानों के संबंध में निर्णय लेने के दिनों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एक दिन घटकर 26 दिन रह गई।
खरीदारों को वित्त वर्ष 2021 में मकान बुक करने में आज की तुलना में अधिक समय लगा, जो वर्तमान में मकानों की मजबूत मांग की गति को दर्शाता है। यह देखते हुए कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रांडेड डेवलपर्स द्वारा नई आपूर्ति में वृद्धि देखी गई है।
पुरी ने कहा कि मकान खरीदने का निर्णय लेने में दिनों की संख्या में आई इस कमी से उल्लेखनीय बदलाव दिखने की संभावना नहीं है क्योंकि भारतीय मकान खरीदार खरीदारी का निर्णय हल्के में नहीं लेते हैं। इसकी वजह उनकी अधिकांश या सारी बचत इसमें लग जाती है। लक्जरी और अल्ट्रा-लक्जरी मकान खरीदारों के साथ ऐसा नहीं है। लेकिन इनकी आवासीय क्षेत्र में हिस्सेदारी 10 से 11 फीसदी ही है। बड़ा हिस्सा किफायती और मध्यम श्रेणी के मकान खरीदारों का रहता है।