SBI ने अपने तीसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड जारी (infrastructure bond issuance) करने के माध्यम से 7.54% की कूपन दर पर 10,000 करोड़ रुपये जुटाए, इसकी बोली सोमवार को लगी थी। इस निर्गम के लिए प्रतिफल (yield) जनवरी में बैंक द्वारा जारी इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड के लिए 7.7% प्रतिफल (yield) से कम था।
115 बोलियां प्राप्त हुईं, जिनमें भविष्य निधि, पेंशन निधि, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड और कंपनियों जैसे विभिन्न प्रकार के निवेशकों की व्यापक भागीदारी देखी गई।
इन्फ्रा बांड क्या हैं?
इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड विशेष रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए धन जुटाने के लिए सरकारों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा जारी किए गए वित्तीय साधन हैं।
आर्थिक विकास को सपोर्ट करने और जीवन की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बांड महत्वपूर्ण हैं। ये सड़कों, पुलों, हवाई अड्डों, बिजली प्लांट, रेलवे और दूरसंचार नेटवर्क जैसे प्रोजेक्ट को फंड करते हैं, जिससे देश या क्षेत्र की इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड के क्षेत्र में, दो अलग-अलग प्रकार उभर कर सामने आते हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर बांड के दो मुख्य प्रकार हैं: सरकार द्वारा जारी और कॉर्पोरेट इंफ्रास्ट्रक्चर बांड। सरकार द्वारा जारी बांड सरकार या उसकी विश्वसनीय एजेंसियों द्वारा समर्थित होते हैं, जो सरकार की मजबूत साख के कारण कम जोखिम वाले निवेश की पेशकश करते हैं। ये बांड राष्ट्रीय या क्षेत्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का समर्थन करते हैं। दूसरी ओर, कॉरपोरेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए समर्पित निजी फर्मों द्वारा जारी किए जाते हैं। ये थोड़ा ज्यादा जोखिम उठाते हैं लेकिन ज्यादा कमाई की संभावना वाले निवेशकों को आकर्षित करते हैं।
क्रेडिट रेटिंग क्यों मायने रखती है?
गोल्डनपी के सीईओ अभिजीत रॉय ने कहा, “इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड आमतौर पर 10 से 15 साल या उससे ज्यादा समय के लिए जारी किए जाते हैं। इन बांडों की क्रेडिट रेटिंग निवेशकों को उनकी वित्तीय सुरक्षा के स्तर और डिफ़ॉल्ट के जोखिम का आकलन करने में मदद करती है। सरकार द्वारा जारी बांड की क्रेडिट रेटिंग आमतौर पर ज्यादा होती है, जो उन्हें कॉर्पोरेट बांड की तुलना में अधिक सुरक्षित बनाती है। ये सरकारी बॉन्ड अक्सर 10 साल की अवधि और 5 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं। यदि सेकेंडरी बाजार आसानी से एक्सेसिबल नहीं है, तो निवेशक पूरे 10 साल की अवधि के लिए निवेश को रोक कर रख सकते हैं। कुछ जारीकर्ता अतिरिक्त आश्वासन के लिए गारंटीकृत बायबैक विकल्प भी प्रदान कर सकते हैं।”
इंडिया रेटिंग्स ने भारतीय स्टेट बैंक के इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स को ‘IND AAA’ (स्थिर) रेटिंग दी है। रेटिंग एजेंसी ने मौजूदा रेटिंग की पुष्टि भी कर दी है।
स्थिर दृष्टिकोण के साथ IND AAA की दीर्घकालिक जारीकर्ता रेटिंग की फिर से पुष्टि की गई है।
Rating Rationale रिपोर्ट बताती है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रेटिंग उसकी मजबूत फ्रेंचाइजी पर आधारित है, जिसमें भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एक प्रमुख बाजार हिस्सेदारी शामिल है। यह एसबीआई को देश की समग्र वित्तीय प्रणाली में अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
एजेंसी ने कहा, इंफ्रास्ट्रक्चर बांड की रेटिंग बैंक की दीर्घकालिक जारीकर्ता रेटिंग से जुड़ी होती है। AT1 बांड की रेटिंग बैंक की उसके कूपन भुगतान को पूरा करने और उसके डेट कैपिटल इंस्ट्रूमेंट (debt capital instruments) पर मूलधन को कम करने के जोखिम को मैनेज करने की क्षमता को दर्शाती है।
क्या ऐसे बांड एक योग्य निवेश हैं?
आय के विश्वसनीय स्रोत की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए बांड एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। भारत में बैंक अपनी पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने के लिए बांड का उपयोग करते रहे हैं। ये बांड एक पूर्व निर्धारित निश्चित ब्याज दर प्रदान करते हैं, जिस पर जारी करने के समय सहमति होती है।
इन बांडों द्वारा दी जाने वाली कूपन दर अपेक्षाकृत ज्यादा है और संपूर्ण बांड अवधि के दौरान स्थिर रहती है। जब कार्यकाल समाप्त होता है, तो निवेशकों को मूल राशि और कूपन का फाइनल भुगतान दोनों प्राप्त होते हैं। इन बांडों को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग दी जाती है, जो बांड जारी करने वाले बैंक की साख को दर्शाती है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा इन बांडों को दी गई रेटिंग निवेशकों को उनके निवेश से जुड़े जोखिम के स्तर का मूल्यांकन करने में मदद करती है। AAA रेटिंग वाला बैंक बेहद सुरक्षित माना जाता है, इसकी अच्छी साख और डिफ़ॉल्ट के कम जोखिम के कारण यह अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों निवेशकों के लिए एक रेकमंड किया जाता है।
निवेश के लाभ:
• वे ब्याज की एक निश्चित दर प्रदान करते हैं
• निवेशकों को अनुमानित आय का स्रोत मिलता है।
• AAA-रेटेड बैंक बहुत सुरक्षित होता है इसलिए आपका निवेश भी सुरक्षित रहता है।
• इन बांडों का उपयोग कर-बचत विकल्प के रूप में किया जा सकता है क्योंकि इनसे अर्जित ब्याज आय एक विशिष्ट लिमिट तक इनकम टैक्स से मुक्त होती है।
क्या आप इंफ्रा बॉन्ड में निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं?
पहले, करदाताओं को आयकर अधिनियम की धारा 80CCF के तहत दीर्घकालिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में 20,000 रुपये तक के निवेश पर आयकर कटौती का दावा करने की अनुमति थी। हालांकि, यह कटौती केवल सीमित अवधि के लिए दी गई थी और अब इसे बंद कर दिया गया है।
इनमें से ज्यादातर इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों की क्रेडिट रेटिंग हाई है और इन्हें कम जोखिम वाला निवेश विकल्प माना जाता है। परिणामस्वरूप, सेवानिवृत्त निवेशक या सेवानिवृत्ति के करीब वाले लोग इन्हें उपयुक्त पा सकते हैं और इन बांडों को चुनने पर विचार कर सकते हैं।
सैंक्टम वेल्थ के फिक्स्ड इनकम प्रमुख गौरव दमानी ने कहा, टैक्सेशन के संबंध में, ये बांड सालाना कूपन देंगे, जिस पर अधिकतम मार्जिनल दर पर कर लगाया जाएगा। यदि कोई निवेशक परिपक्वता से पहले और कम से कम 12 महीने तक रखने के बाद बांड बेचता है, तो उस पर 10% दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर ( long-term capital gains tax) लगेगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड पर अर्जित ब्याज निवेशकों के लिए पूरी तरह से टैक्सेबल है
ब्याज प्राप्त इनकम को निवेशक की कुल आय में जोड़ा जाता है और उनके कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है। वैल्यू रिसर्च ने एक नोट में कहा, इंफ्रास्ट्रक्चर बांड सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) की तरह EEE (छूट-छूट-छूट) कैटेगिरी के अंतर्गत नहीं हैं। राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) और 5-वर्षीय बैंक सावधि जमा जैसे अन्य कर-बचत विकल्पों के समान, इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड पर अर्जित ब्याज टैक्सेबल है।
क्या खुदरा निवेशक को इस पर दांव लगाना चाहिए?
विंट वेल्थ के सह-संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी अंशुल गुप्ता के अनुसार, “7.54% प्रति वर्ष की कूपन दर वाला एसबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर बांड खुदरा निवेशकों के लिए बहुत अच्छा नहीं है। कई बैंक अपनी 5-7 साल की फिक्सड डिपॉजिट पर समान ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं, जिसमें वे 5 लाख रुपये तक का डिपॉजिट इंश्योरेंस भी दे रहे हैं।
तुलनात्मक रूप से, बांड फिक्सड डिपॉजिट की तुलना में कम तरल होते हैं। क्योंकि महत्वपूर्ण तरलता चुनौतियों और दंड का सामना किए बिना उन्हें 15 साल की अवधि से पहले आसानी से निकाला नहीं जा सकता। इसके अतिरिक्त, निवेशकों को पता होना चाहिए कि बांड से अर्जित ब्याज आय लागू स्लैब दरों पर कराधान के अधीन है।”
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, “SBI बांड की सफलता भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड की मजबूत मांग को बताती है, और अन्य बैंक भी इसका अनुसरण कर सकते हैं। बांड 7.54% की कूपन दर पर जारी किए गए थे, जो लंबी अवधि में स्थिर और निश्चित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए एक अच्छी पेशकश है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड पर विचार करने वालों के लिए, कर-मुक्त बांड एक विकल्प हो सकता है, जो निश्चित आय के साथ कर लाभ ऑफर करता है। हालांकि, किसी भी बांड में निवेश करने से पहले क्रेडिट रेटिंग, अवधि, कूपन दरों और कर लाभों की सावधानीपूर्वक जांचना जरूरी है।”
निवेश की सुरक्षा
SBI इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश का एक बड़ा फायदा निवेश की सुरक्षा है। CA शरद कुमार शर्मा ने कहा, “ये बांड सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट हैं, क्योंकि ये भारत सरकार द्वारा समर्थित हैं। इसका मतलब है कि बांड के प्रदर्शन की परवाह किए बिना निवेशकों को उनका मूल निवेश वापस मिलने की संभावना है। इससे निवेशकों को यह जानकर मानसिक शांति मिलती है कि उनका निवेश सुरक्षित है।”
चूंकि ये बांड सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट हैं और भारत सरकार द्वारा समर्थित हैं, इसलिए डिफ़ॉल्ट का जोखिम काफी कम है।
कौन हिस्सा ले सकता है?
अभिजीत रॉय ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड निवेश में भागीदारी 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी भारतीय नागरिकों के साथ-साथ हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए भी उपलब्ध है। यह देश के विकास और उन्नति में लोगों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
घरेलू बांड बाजार ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 8.2 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, और चालू वित्त वर्ष में 9 लाख करोड़ रुपये जुटाकर एक नया रिकॉर्ड बनाने की उम्मीद है।