प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
इस साल भारत के बुजुर्गों के लिए सेवानिवृत्ति पर निवेश से मिले-जुले नतीजे आए। ज्यादातर फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में रिटर्न स्थिर रहे, जबकि शेयर बाजार से जुड़े निवेश में काफी उतार-चढ़ाव दिखा। यह सब निवेश की मात्रा और सही समय पर निर्भर करता रहा।
सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले सुरक्षित विकल्पों में रिटर्न अच्छे और स्थिर रहे। पेंशनबाजार के हेड विश्वजीत गोयल के मुताबिक, EPF ने 2024-25 के लिए 8.25 फीसदी ब्याज दिया। वहीं सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी सरकारी छोटी बचत योजनाओं में 8.2 फीसदी का रिटर्न मिला।
पोस्ट ऑफिस की जमा योजनाएं 6.9 से 7.5 फीसदी तक ब्याज दे रही थीं, जबकि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में बुजुर्गों को 7 से 7.5 फीसदी के बीच मिला। कुल मिलाकर सुरक्षित विकल्पों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया।
मार्केट लिंक्ड विकल्पों की बात अलग थी। विश्वजीत गोयल बताते हैं कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के इक्विटी स्कीमों ने एक साल में मिड-20 से लो-30 फीसदी तक रिटर्न दिया। कॉर्पोरेट बॉन्ड स्कीमों में करीब 9 फीसदी और सरकारी बॉन्ड स्कीमों में 4 से 6 फीसदी तक मिला।
एक आम रिटायरमेंट के करीब व्यक्ति जिसने NPS में बैलेंस्ड तरीके से पैसा लगाया, उसे कुल 8 से 12 फीसदी रिटर्न हाथ लगा। लेकिन शेयर बाजार इंडेक्स ने बहुत कम दिया। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के हेड अमर राणू के अनुसार, निफ्टी और सेंसेक्स TRI ने वित्त वर्ष 2025 में महज करीब 6 फीसदी रिटर्न दिया।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई बुजुर्गों ने गलतियां कीं। विश्वजीत गोयल बताते हैं कि ज्यादातर लोग बैंक डिपॉजिट में ही ज्यादा पैसा रखे रहे, टैक्स बचत वाले विकल्पों का फायदा नहीं उठाया या गलत एन्युटी प्लान चुन लिया, जिससे पेंशन कम हो गई या जीवनसाथी को कोई सुरक्षा नहीं मिली।
सबसे बड़ी समस्या यह रही कि मेडिकल महंगाई 12-15 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है, जबकि ज्यादातर बुजुर्गों को सिर्फ 7-8 फीसदी रिटर्न मिल रहा है। अमर राणू ने ऑनलाइन ठगी का खतरा बताया। उदाहरण के तौर पर पुणे के एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर ने गारंटीड रिटर्न का लालच देकर चलाए जा रहे ऑनलाइन स्कैम में पूरा 2.2 करोड़ रुपये गंवा दिए।
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दोनों एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि अब धीरे-धीरे ऐसा पोर्टफोलियो बनाएं जिसमें नियमित आय भी आए और थोड़ी ग्रोथ भी बनी रहे। विश्वजीत गोयल कहते हैं कि मिड और स्मॉल कैप में ज्यादा निवेश कम करें, डेट हिस्से को मजबूत बनाएं और 3 से 5 साल की जरूरत के लिए लिक्विडिटी अलग रखें।
अमर राणू की सलाह है कि SCSS, EPF, शॉर्ट से मीडियम टर्म डेट फंड्स, रीट्स/इनविट्स, लैडर्ड फिक्स्ड डिपॉजिट और थोड़ा सा इक्विटी हिस्सा मिलाकर चलें। साथ ही 6 से 12 महीने का इमरजेंसी फंड जरूर रखें।
विश्वजीत गोयल को लगता है कि लंबे समय के ब्याज दरें नीचे आएंगी, इसलिए अभी जो अच्छे स्थिर रिटर्न मिल रहे हैं, उन्हें लॉक कर लेना चाहिए। अमर राणू का अनुमान है कि 2026 में बैंक FD पर 5.5 से 7.5 फीसदी और जी-सेक पर 6 से 6.5 फीसदी तक मिल सकता है। अगर ब्याज दरें गिरेंगी तो एन्युटी की पेआउट भी कम हो सकती है।
2024-25 में कई बड़े नियम बदले। यूनिफाइड पेंशन स्कीम शुरू हुई, NPS वात्सल्य लॉन्च हुआ, NPS/UPS/APY के चार्जेस बदले गए और इंश्योरेंस टैक्स व GST में भी बदलाव आए। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि 2026 की प्लानिंग करते समय इन सब पर नजर रखनी जरूरी है।