Tax clearance certificate: विदेश जाने के लिए कर चुकता प्रमाणपत्र (Tax clearance certificate) को अनिवार्य करने के बजट प्रस्ताव पर सोशल मीडिया में आक्रोश के बाद सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संशोधन सभी के लिए नहीं है। सरकार ने कहा कि ये प्रस्ताव केवल वित्तीय अनियमितताओं के आरोपियों या बड़े बकायदारों के लिए है और उन्हें ही इस तरह की मंजूरी लेनी होगी।
वित्त मंत्रालय ने वित्त विधेयक, 2024 में काला धन अधिनियम, 2015 का संदर्भ उन अधिनियमों की सूची में जोड़ने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को कर चुकता प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए अपनी देनदारियों को चुकाना होगा।
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘प्रस्तावित संशोधन में सभी निवासियों को कर चुकता प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है।’’ आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 230 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को कर चुकता प्रमाणपत्र हासिल करने की जरूरत नहीं है। केवल कुछ व्यक्तियों के मामले में ही ऐसा करना जरूरी है।
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मंत्रालय ने कहा कि आयकर विभाग ने 2004 की अधिसूचना के जरिये स्पष्ट किया है कि कर चुकता प्रमाणपत्र केवल कुछ परिस्थितियों में भारत में रहने वाले व्यक्तियों को लेना होगा।
ऐसे मामलों में, जहां व्यक्ति गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल है और आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत मामलों की जांच में उसकी उपस्थिति जरूरी है और संभव है कि उसके खिलाफ कर की मांग उठाई जाएगी, कर चुकता प्रमाणपत्र लेना होगा।
इसके अलावा जहां व्यक्ति के पास 10 लाख रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष कर बकाया है, जिसपर किसी भी प्राधिकरण ने रोक नहीं लगाई है, वहां भी ये प्रस्ताव लागू होंगे।