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मोदी सरकार का दांव पड़ गया उल्टा… अब नहीं बेचेगी सोना! इस वजह से बंद होने जा रही यह स्कीम, निवेशकों में मायूसी

Sovereign Gold Bond: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पेपर गोल्ड में निवेश का साधन है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सरकार की ओर से जारी किया जाता है।

Last Updated- August 22, 2024 | 7:02 PM IST
Modi government's bet backfires… now it will not sell gold! Due to this reason this scheme is going to be closed, investors are disappointed मोदी सरकार का दांव पड़ गया उल्टा… अब नहीं बेचेगी सोना! इस वजह से बंद होने जा रही यह स्कीम, निवेशकों में मायूसी

Sovereign Gold Bond: केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की बिक्री को बंद कर सकती है। सरकार का मानना है कि यह एक “महंगा और जटिल” इंस्ट्रूमेंट है। CNBC-TV18 ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। सरकार ने नवंबर 2015 में देश में सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पेश किया था। बता दें कि बॉन्ड एक प्रकार का लोन इंस्ट्रूमेंट होता है, जिसे किसी सरकार या निगम द्वारा किसी विशेष आवश्यकता के लिए धन जुटाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

सरकार पर निवेशकों का 85,000 करोड़ रुपये बकाया

रिपोर्ट के अनुसार, बॉन्ड निवेशकों ने SGB के 67 किस्तों या सीरीज में 72,274 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इनमें से चार किस्तें पूरी तरह से मेच्योर हो चुके हैं और बॉन्ड खरीदने वाले निवेशकों को उनका पैसा वापस कर दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2015 और 2017 के बीच जारी पहले चार किस्तों में निवेशकों द्वारा SGB में लगाया गया पैसा पैसा दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। निवेशकों को रिटर्न सरकार को अपनी जेब से देना पड़ रहा है।

केंद्रीय बजट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सरकार पर निवेशकों का 85,000 करोड़ रुपये बकाया है, जो मार्च 2020 के अंत में 10,000 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है।

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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्या है?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पेपर गोल्ड में निवेश का साधन है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सरकार की ओर से जारी किया जाता है। इसे नवंबर 2015 में देश में सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए पेश किया गया था।

SGB को कई ग्राम सोने में दर्शाया जाता है, जिसकी इकाई एक ग्राम सोने पर निर्धारित होती है। इस गोल्ड बॉन्ड की होल्डिंग अवधि आठ साल है और पांचवें वर्ष के बाद समय से पहले निकासी का एक अतिरिक्त विकल्प है।

एक व्यक्तिगत निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम और अधिकतम 4 किलोग्राम गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है। हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) 4 किलोग्राम तक और ट्रस्ट तथा इसी तरह की संस्थाएं हर वित्तीय वर्ष में 20 किलोग्राम तक गोल्ड बॉन्ड खरीद सकती हैं।

First Published - August 22, 2024 | 6:09 PM IST

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