भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में भारतीय बैंकों से खुदरा यानी छोटे कर्ज देते समय सावधान रहने के लिए कहा है। उसने बिना कुछ रेहन रखे लिए जा रहे (अनसिक्योर्ड) कर्ज के बारे में खास तौर पर आगाह रहने की सलाह दी है क्योंकि इनमें कुछ ज्यादा ही तेजी आ रही है। पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन के जरिये आपको जरूरत पड़ने पर फौरन रकम हाथ लग जाती है मगर कर्ज लेने वाले को भी इसमें खतरा हो सकता है।
जिन लोगों के पास रेहन या जमानत रखने के लिए कुछ भी नहीं होता उन्हें अनसिक्योर्ड लोन का रास्ता पकड़ना पड़ता है। सहीबैंक के मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) कमलजीत रस्तोगी कहते हैं, ‘जिनके पास रखने के लिए कुछ नहीं होता, उनके पास भी कर्ज पाने के अब अच्छे विकल्प आ गए हैं। अगर आपको दस्तावेज दिए बगैर ही तुरंत नकदी की जरूरत है तो आप अनसिक्योर्ड लोन की तरफ जा सकते हैं। अगर आपको कोई बड़ी खरीदारी करनी है या किसी कार्यक्रम के लिए रकम की जरूरत है, घर की मरम्मत करानी है या ऊंचे ब्याज वाला कोई कर्ज निपटाना है तो आप पर्सनल लोन के लिए अर्जी डाल सकते हैं।’
तुरंत मिलती है रकम
पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन का विकल्प चुनने पर होम लोन और कार लोन जैसे सिक्योर्ड (मकान या गाड़ी के कागज रखकर लिया जाने वाला) लोन के मुकाबले रकम जल्दी मिल जाती है।
पैसाबाजार के वरिष्ठ निदेशक साहिल अरोड़ा समझाते हैं, ‘क्रेडिट कार्ड के लोन प्री-अप्रूव्ड यानी पहले से मंजूर होते हैं, इसलिए आवेदन करने के दिन ही रकम आपके खाते में आ जाती है। पर्सनल लोन की रकम आम तौर पर 2 से 7 दिन के बीच मिलती है। कई बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC) चुनिंदा ग्राहकों को उनके क्रेडिट प्रोफाइल की वजह से प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन भी देते हैं। ऐसे पहले से मंजूरी वाले पर्सनल लोन की रकम आम तौर पर फौरन या उसी दिन खाते में पहुंच जाती है।’
अहम है क्रेडिट स्कोर
वेतनभोगी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर यदि अच्छा है तो उसे अनसिक्योर्ड लोन बहुत आसानी से मिल सकता है। अरोड़ा बताते हैं, ‘कर्ज देने वाले देखते हैं कि आवेदक रकम लौटा पाएगा या नहीं। आम तौर पर उन्हें ऐसे लोग पसंद आते हैं, जिनकी कुल EMI देनदारी पर्सनल लोन लेने के बाद भी मासिक आय की 50-55 फीसदी से ज्यादा नहीं होती। जिनकी देनदारी इससे ज्यादा बन रही होती है, उन्हें पर्सनल लोन मिलने की संभावना कम ही होती है।’ आदर्श स्थिति तो यही है कि आपकी सभी EMI की कुल रकम आपके हाथ में आने वाले वेतन की 40 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
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महंगा कर्ज
बैंक इन कर्जों को जोखिम भरा मानते हैं क्योंकि ग्राहक मुकर जाए तो अपनी रकम वसूलने के लिए उनके पास कुछ भी रेहन नहीं होता। इसीलिए प्रमुख बैंक और NBFC पर्सनल लोन पर 24 फीसदी तक ब्याज वसूलते हैं।
बैंकबाजार डॉट कॉम के CEO आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘अनसिक्योर्ड कर्ज पर सिक्योर्ड कर्ज के मुकाबले ज्यादा ब्याज वसूला जाता है ताकि कर्ज देने वाले का जोखिम कम से कम हो सके। चूंकि ऊंचे ब्याज के साथ ही कर्ज चुकाने के लिए केवल 12 से 60 महीने दिए जाते हैं, इसलिए इनकी EMI ज्यादा बनती हैं।’
चुका पाएंगे क्या?
इतने महंगे कर्ज लेते समय ग्राहकों को सावधान रहना चाहिए। शेट्टी की सलाह है, ‘जिन लोगों को सिक्योर्ड लोन नहीं मिल सकता मगर कर्ज लौटाने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन हैं, वैसे लोग अनसिक्योर्ड लोन ले सकते हैं। लेकिन उन्हें ध्यान रखना होगा कि EMI ज्यादा बनेगी और चूकने पर जुर्माना भी देना होगा। कर्ज की अवधि कम होती है और प्री-पेमेंट शुल्क भी होते हैं, इसलिए उन्हें कर्ज चुकाने के लिए पुख्ता इंतजाम करके चलना चाहिए।’
अनसिक्योर्ड लोन में समय पूर्व भुगतान यानी प्री-पेमेंट पर शुल्क ज्यादा ही होता है। जिनके पास आय का स्थिर जरिया नहीं है, वे इनसे दूरी ही बरतें। समय पर EMI नहीं चुका पाए तो जुर्माना लगेगा और क्रेडिट स्कोर भी बिगड़ेगा। रस्तोगी कहते हैं कि क्रेडिट स्कोर कम होने पर आगे कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा।
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ढूंढें अच्छा सौदा
अगर अनसिक्योर्ड लोन के अलावा कोई दूसरा रास्ता न हो तो अच्छा सौदा तलाशें। शेट्टी समझाते हैं, ‘ब्याज दरों की तुलना करें। प्रोसेसिंग शुल्क, प्री-पेमेंट शुल्क और लेट पेमेंट फी भी देख लें। साथ ही सभी शर्तें भी बारीकी से समझ लें।’ कर्ज चुकाने के लिए अवधि भी ऐसी चुनें, जो आपकी जेब पर बारी नहीं पड़े और आपको नकदी की तंगी नहीं होने दे।
विकल्प तलाशें
अनसिक्योर्ड लोन लेने से पहले दूसरे तरीकों से रकम जुटाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके पास फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है तो उसके बदले सस्ता लोन ले लें। गोल्ड लोन या शेयर-बॉन्ड के बदले लोन भी जल्दी मिल जाता है। होम लोन पर टॉप-अप लोन पाने में समय लग जाता है। लेकिन ऐसा कोई भी विकल्प देखभाल कर ही चुनें।