बगैर जोखिम लिए बैंक एफडी (bank FD) के मुकाबले ज्यादा रिटर्न और नियमित तौर पर आमदनी को ध्यान में रखकर ज्यादातर लोग आम तौर पर सरकार की दो बेहद लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं – सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme) और पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) का चुनाव करते हैं। लेकिन जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) में सिर्फ सीनियर सिटीजन ही पैसा जमा कर सकते हैं। फिर बारी आती है, पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम की। इस स्कीम में उम्र को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। यह स्कीम भी वन-टाइम इन्वेस्टमेंट स्कीम पर है। इस पर फिलहाल ब्याज 7.4 फीसदी है।
लेकिन अगर आप नियमित आमदनी के साथ 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज चाहते हैं तो आपके लिए एक और विकल्प है – आरबीआई की फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड 2020 (Floating Rate Savings Bonds, 2020)। सरकार ने जुलाई 2020 में फिक्स्ड 7.75 फीसदी आरबीआई सेविंग बॉन्ड की जगह पर फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड लॉन्च किया था। सरकार (RBI) द्वारा जारी होने के कारण ये बॉन्ड बेहद सुरक्षित है।
इस बॉन्ड पर फिलहाल (जनवरी-जून छमाही) ब्याज/कूपन रेट 7.35 फीसदी है। लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि 1 जुलाई से इस पर ब्याज दर बढ़कर 8.05 फीसदी हो जाएगी।
क्यों 1 जुलाई से फ्लोटिंग रेट बॉन्ड पर बढ़ जाएगी ब्याज दर
यह एक फ्लोटिंग रेट बॉन्ड है। इसलिए पूरे टेन्योर के दौरान ब्याज इस पर एक समान नहीं मिलता। इस बॉन्ड पर ब्याज का निर्धारण हर छह महीने पर यानी 1 जुलाई और 1 जनवरी को किया जाता है। जबकि इस बॉन्ड पर ब्याज के निर्धारण के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (National Savings Certificate) यानी NSC को बेंचमार्क माना गया हैं। 1 जुलाई और 1 जनवरी को जो ब्याज NSC पर होता है उससे 35 बेसिस प्वाइंट अधिक ब्याज संबंधित छमाही के लिए बॉन्ड धारकों को मिलता है। जनवरी-मार्च तिमाही के लिए NSC पर सरकार 7 फीसदी ब्याज दे रही थी, इसलिए मौजूदा छमाही (जनवरी -जून ) के लिए सरकार इस बॉन्ड पर 7.35 फीसदी ब्याज दे रही है।
वहीं क्योंकि अप्रैल-जून तिमाही के लिए NSC पर सरकार ने 7.7 फीसदी ब्याज निर्धारित किया है, इसलिए इतना तय है कि NSC पर मिलने वाले मौजूदा ब्याज दर के हिसाब से अगली छमाही (जुलाई –दिसंबर) के लिए सरकार इस बॉन्ड पर 8.05 फीसदी ब्याज देगी ।
अगर सरकार जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए NSC पर ब्याज दर में और इजाफा करती है तो इस बॉन्ड पर 8.05 फीसदी से भी ज्यादा ब्याज मिल सकता है। यह बात तो तय है कि सरकार अगर अगली तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं (small savings schemes) पर ब्याज दरों में बढोतरी नहीं भी करती है तो कम से कम ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बरकरार तो जरूर रखेगी। जानकारों के अनुसार अगली तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती की तो कोई संभावना नहीं है।
इस बॉन्ड को लेकर अब कुछ और बात कर लेते हैं :
कैसे करें निवेश
आरबीआई ने सभी सरकारी (राष्ट्रीयकृत) बैंकों, चुनिंदा निजी बैंकों जैसे, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और आईडीबीआई बैंक के अलावा स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) को इस बॉन्ड को जारी करने के लिए अधिकृत किया है। वर्ष के दौरान कभी भी इस बॉन्ड में निवेश इंडिविजुअल, ज्वाइंट या नाबालिग के अभिभावक के तौर पर किया जा सकता है। बॉन्ड में निवेश के लिए आप अप्लाई ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं।
निवेश की सीमा व लॉक-इन पीरियड
आप कम से कम 1000 रुपये मूल्य का बॉन्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद आपको 1000 रुपए के गुणक (multiples) में ही निवेश करना होगा, जबकि अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। बॉन्ड का लॉक-इन पीरियड (मैच्योरिटी) इसके जारी होने की तारीख से सात साल है। सात साल से पहले आप इस बॉन्ड को रिडीम नहीं कर सकते।
प्रीमैच्योर रिडेम्पशन (premature redemption)
60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की सुविधा है। नियमों के अनुसार 60 से 70 साल के निवेशक 6 वर्ष के बाद, 70 से 80 साल के निवेशक 5 वर्ष के बाद, जबकि 80 साल से ऊपर के निवेशक 4 वर्ष के बाद प्रीमैच्योर रिडेम्पशन कर सकते हैं। लेकिन प्रीमैच्योर रिडेम्पशन पर पेनाल्टी का भी प्रावधान किया गया है। पेनाल्टी के रूप में होल्डिंग पीरियड के अंतिम छह महीने के लिए देय ब्याज का 50 फीसदी वसूला जाता है।
ब्याज क्युमुलेटिव या नॉन – क्युमुलेटिव (cumulative or non-cumulative)
इस बॉन्ड पर क्युमुलेटिव ऑप्शन यानी मैच्योरिटी के साथ ब्याज देय नहीं है। मतलब ब्याज हर छह महीने पर बॉन्ड धारक के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
टैक्स के प्रावधान
इस बॉन्ड पर न तो जमा करने पर और न ही अर्जित रिटर्न पर टैक्स की छूट है। ब्याज की रकम निवेशक की इनकम में जुड़ जाती है और निवेशक को उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 193 के मुताबिक इस बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी टीडीएस का भी प्रावधान है। लेकिन टीडीएस (TDS) तभी कटेगा, जब ब्याज एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपए से ज्यादा हो।
लिक्विडिटी (liquidity) की सुविधा
इस बॉन्ड की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं हो सकती। इस बॉन्ड को ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता। यानी इसके साथ लिक्विडिटी की सुविधा नहीं है। साथ ही इस बॉन्ड को लोन लेने के लिए कोलैटरल/ सिक्योरिटी की तरह इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता।
किनके लिए बेहतर
वैसे निवेशक जिन्हें सात वर्ष के लॉक-इन पीरियड को लेकर कोई दिक्कत नहीं है, उनके लिए यह निवेश का बेहतर विकल्प है।