Income Tax: परिवार के साथ जॉइंट बैंक अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) रखना आम बात है। कई लोग इसे सुविधा के लिए या भविष्य की प्लानिंग के तहत करते हैं। लेकिन टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करने से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आने का खतरा भी बढ़ सकता है।
असल में, इनकम टैक्स रूल्स के तहत बैंकों, एनबीएफसी और म्यूचुअल फंड कंपनियों को बड़े लेन-देन की जानकारी सरकार को देनी होती है। इसमें सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा का जमा या निकासी, 10 लाख से अधिक की एफडी, 2 लाख से ज्यादा के म्यूचुअल फंड निवेश और बड़ी क्रेडिट कार्ड पेमेंट शामिल हैं।
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नियम के मुताबिक, रिपोर्टिंग में सभी जॉइंट होल्डर्स का पैन नंबर दर्ज किया जाता है। नतीजतन, पूरे ट्रांजैक्शन की राशि हर होल्डर के AIS और TIS में दिखने लगती है। इससे टैक्स रिटर्न और डिपार्टमेंट के डेटा में अंतर आ जाता है और ऑटोमैटिक नोटिस जारी हो जाते हैं।
यह दिक्कत खासकर उन लोगों के लिए बड़ी समस्या है जिनकी कोई कमाई नहीं है। उदाहरण के तौर पर, एक 61 वर्षीय गृहिणी को 20 लाख रुपये की एफडी पर नोटिस मिला, जबकि यह रकम उनकी नौकरीपेशा बेटी ने जमा की थी। इसी तरह कई रिटायर और सीनियर सिटीज़न्स को भी ऐसी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि—
ITR भरने से पहले AIS/TIS को ध्यान से चेक करें।
अगर रकम आपकी नहीं है, तो AIS पोर्टल पर “belongs to another PAN” या “duplicate” का विकल्प चुनें।
बैंक स्टेटमेंट या गिफ्ट डीड जैसे दस्तावेज अपने पास रखें।
अगर नोटिस आए तो तुरंत कंप्लायंस पोर्टल पर जवाब दें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बड़े लेन-देन पर नज़र रखना सरकार का सही कदम है, लेकिन नियमों में कुछ बदलाव ज़रूरी हैं ताकि गैर-आय वाले जॉइंट होल्डर्स को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सके।