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ITR Filing: जरूरी है भरना आयकर रिटर्न, आय कम हो तो भर दें निल रिटर्न

किसी व्यक्ति या संस्था की आय कर योग्य सीमा से कम हो जाती है तो दाखिल किए गए आईटीआर को शून्य आईटीआर कहा जाता है

Last Updated- July 25, 2023 | 11:40 PM IST
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जब आयकर रिटर्न दाखिल करने की बात आती है तो विशेषज्ञ करदाताओं की आय स्तर की परवाह किए बिना एक ही सलाह देते हैं कि अपना रिटर्न दाखिल करें। भले ही आपकी कर योग्य आय आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के लिए निर्धारित सीमा से कम ही क्यों न हो।

जब किसी व्यक्ति या संस्था की आय कर योग्य सीमा से कम हो जाती है तो दाखिल किए गए आईटीआर को शून्य आईटीआर कहा जाता है। करंजावाला ऐंड कंपनी के प्रधान सहायक अंकित राजगढ़िया ने कहा, ‘इस रिटर्न को दाखिल करते हुए करदाता यह प्रदर्शित करते हैं कि वित्त वर्ष के दौरान उनकी आय उतनी नहीं हुई जिससे उन्हें आयकर का भुगतान करना पड़े।’

फायदे अनेक

आयकर अधिनियम, 1961 के तहत निल रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य नहीं है, मगर ऐसा करने से कई फायदे होते हैं। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के पार्टनर मनीत पाल सिंह ने कहा, ‘पासपोर्ट या वीजा के लिए आवेदन करते समय पते के वैध प्रमाण के रूप में निल रिटर्न को स्वीकार किया जाता है।’

यह खास तौर पर प्रवास की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए फायदेमंद है जिनकी आय कर योग्य नहीं होती है। एमएकेवी ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर विकल्प बोथरा भी निल रिटर्न दाखिल करने के फायदे बताते हैं।

उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी संभावित जुर्माने या कानूनी अड़चन से बचने में मदद करता है। इससे कर विभाग के पास आपका एक साफ-सुथरा रिकॉर्ड सुनिश्चित होता है। साथ ही यह आय का एक वैध प्रमाण भी होता है।’

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किसी व्यक्ति की आय कर योग्य सीमा से कम होने के बावजूद बैंक कई बार सावधि जमा से ब्याज पर टीडीएस काट (ब्याज आय टीडीएस कटौती की सीमा के पार जाने पर) लेते हैं। सिंह ने कहा, ‘टीडीएस या किसी अतिरिक्त कर भुगतान के रिफंड का दावा करने के लिए निल आईटीआर दाखिल किया जाना चाहिए।’

अगर आप किसी कारोबार से जुड़े हुए हैं या पर्याप्त निवेश कर रहे हैं तो आपको निल आईटीआर अवश्य दाखिल करना होगा। यदि करदाता को नुकसान होता है तो उस नुकसान को आगे बढ़ाने के लिए भी आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है। जब आप ऋण के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक भी आपसे आईटीआर मांगते हैं।

बोथरा ने कहा, ‘ऋण के लिए आवेदन करते समय या आकस्मिक मृत्यु अथवा विकलांगता की स्थिति में मुआवजा हासिल करते समय भी आईटीआर उपयोगी होता है। यह संभावित कारोबारी सहयोगियों के साथ विश्वास बहाली में भी सहायक है। यहां तक कि सरकारी निविदाओं के लिए आवेदन करते समय भी पिछले पांच वर्षों के आईटीआर की आवश्यकता हो सकती है।’

संक्षेप में कहें तो निल रिटर्न सहित लगातार आईटीआर दाखिल करने से व्यक्ति की वित्तीय विश्वसनीयता बढ़ जाती है। आयकर अधिनियम के तहत भी कुछ खास श्रेणियों के करदाताओं के लिए भी निल रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है।

पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज ने कहा, ‘कुछ खास कारोबार के लिए निल रिटर्न दाखिल करना आईटी अधिनियम के तहत अनिवार्य है। भले ही वित्त वर्ष के दौरान उस कारोबारी इकाई में कोई गतिविधि न हुई हो, मगर उसके लिए आईटीआर दाखिल करना आवश्यक है।’

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दाखिल करना जरूरी

आम तौर पर यह एक गलतफहमी होती है कि यदि कोई कर बकाया नहीं है तो निल रिटर्न दाखिल करना आवश्यक नहीं है। राजगढ़िया ने कहा, ‘अगर आप आईटीआर दाखिल करने के मानदंडों को पूरा करते हैं तो आपको रिटर्न जमा करना होगा भले ही वह निल रिटर्न क्यों न हो। रिटर्न दाखिल न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है अथवा जांच एवं कानूनी अड़चनों से जूझना पड़ सकता है।’

निल रिटर्न दाखिल कैसे करें

निल रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया सामान्य आईटीआर दाखिल करने जैसी ही है। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा ने कहा, ‘बिना किसी विदेशी संपत्ति वाला भारतीय व्यक्ति आईटीआर-1 दाखिल कर सकता है। मगर अनिवासी या विदेशी संपत्ति वाले भारतीय को आईटीआर-2 दाखिल करना होगा।’

अन्य शर्तें

इस बात का ध्यान रखें कि क्या आपकी वित्तीय स्थिति के लिए निल रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है। वाधवा ने कहा, ‘आपकी आय बुनियादी छूट की सीमा से कम होने के बावजूद आपको रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि आप विदेश यात्रा पर खर्च या निर्धारित सीमा से अधिक बिजली बिल होने जैसी शर्तों को पूरा करते हैं।’

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निल रिटर्न दाखिल करते समय विसंगतियों से बचने के लिए दी गई जानकारियों की दोबारा जांच करें। अन्यथा आपको जुर्माना या प्रॉसेसिंग में देरी का सामना करना पड़ सकता है। बोथरा ने कहा, ‘सभी आय स्रोतों को दर्ज करें, भले ही उनकी रकम शून्य क्यों न हो। इस प्रकार वैधानिक अनुपालन करने का फायदा भविष्य में मिल सकता है।’

व्यापक वित्तीय रिकॉर्ड बनाएं। अगर आपकी आय शून्य है तो भी भविष्य के ऑडिट में इसकी जरूरत पड़ सकती है। रिटर्न दाखिल करने के बाद पावती और सत्यापन फॉर्म, फॉर्म 26एएस और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां अपने पास रखें। रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा का पालन करें। सिंह ने कहा, ‘निल रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई, 2023 है। ‘

First Published - July 25, 2023 | 11:40 PM IST

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