आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न भरना आसान बनाने के लिए अब पहले से भरे फॉर्म उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। लेकिन आपके पास जरूरी दस्तावेज होने ही चाहिए ताकि आप जांच सकें कि फॉर्म में पहले से भरी जानकारी सही है या नहीं।
हालांकि आपको दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं है मगर आपके फॉर्म की कर निर्धारण अधिकारी द्वारा पड़ताल की गई तो सारे कागज दिखाने पड़ सकते हैं।
विक्टोरियम लेगलिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में सीनियर एसोसिएट अमय जैन का कहना है, ‘सभी जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें ताकि आपको फौरन मिल सकें। इससे कर रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाएगा और आप रिटर्न में किसी भी तरह की कटौती का जिक्र करने या गलती का पता लगाने से नहीं चूकेंगे।’
फॉर्म 16, 16ए और दूसरे सर्टिफिकेट
फॉर्म 16 स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का सर्टिफिकेट है, जो नियोक्ता से मिलता है। फॉर्म 16ए वेतन के अलावा आय पर टीडीएस काटने वाली संस्था जारी करती है। इसके अलावा संपत्ति की बिक्री पर टीडीएस के लिए फॉर्म 16बी और किराये पर टीडीएस के लिए फॉर्म 16सी मिलता है।
जैन की सलाह है, ‘देख लीजिए कि टीडीएस सर्टिफिकेट में बतौर कर काटी गई पूरी राशि दी गई है या नहीं। यह भी देखना होगा कि यह रकम आपके बैंक स्टेटमेंट और दूसरे जरूरी दस्तावेजों में बताए गए ब्योरे से मेल खा रही है या नहीं। यह भी देख लीजिए कि सभी टीडीएस सर्टिफिकेट आपके कर रिटर्न में शामिल हैं ताकि काटा गया कर वापस पाने के लिए दावा किया जा सके।’
कर्मचारी देख लें कि फॉर्म 16 पर डिजिटल हस्ताक्षर हैं या नहीं और पार्ट ए तथा बी ठीक से भरे गए हैं या नहीं। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह कहते हैं, ‘करदाता को ट्रेसेस पोर्टल से टीडीएस सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि नियोक्ता या कर काटने वाली दूसरी संस्था ने इसे साझा किया है या नहीं।’
ब्याज आय और ब्याज के सर्टिफिकेट
आयकर अधिनियम की धारा 80टीटीए और 80टीटीबी के तहत छूट पानी है तो बैंकों और डाकघरों से ब्याज सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। 10,000 रुपये या 50,000 रुपये से अधिक रकम पर कर वसूला जाता है।
करंजावाला ऐंड कंपनी, एडवोकेट्स में प्रिंसिपल एसोसिएट अंकित राजगढ़िया बताते हैं, ‘कर रिटर्न भरते समय ब्याज से होने वाली सभी प्रकार की आय बताना जरूरी है और इसके लिए ब्याज के सर्टिफिकेट महफूज रखना और भी जरूरी है।’ ध्यान रहे कि वित्त वर्ष 2021-22 से यदि आपको कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के अंशदान पर 2.5 लाख रुपये से अधिक ब्याज मिल रहा है तो उस पर कर लगेगा।
फॉर्म 26एएस
इसमें आपकी स्थायी लेखा संख्या (पैन) पर काटे गए और सरकार के पास जमा किए गए सभी प्रकार के कर का ब्योरा दिया जाता है। 26एएस में दी गई जानकारी का मिलान टीडीएस सर्टिफिकेट और ब्याज सर्टिफिकेट में दी गई जानकारी से करना बेहद जरूरी है। फॉर्म 26एएस आयकर ऑडिट में लॉग इन करने के बाद ट्रेसेस पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। जैन का कहना है, ‘देख लीजिए कि फॉर्म 26एएस में दिकाया गया टीडीएस आपके टीडीएस सर्टिफिकेट से मेल खाता है या नहीं। इस फॉर्म में दिए गए दूसरे वित्तीय लेनदेन भी जांच लें ताकि पक्का हो जाए कि आपके रिटर्न में उनका जिक्र है।’
वार्षिक वित्तीय विवरण
वार्षिक वित्तीय विवरण (एआईएस) फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारी को और विस्तार से दिखाता है। एआईएस में दी गई सभी जरूरी जानकारी रिटर्न फॉर्म में पहले से भरी होती है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में पार्टनर विपुल जैन समझाते हैं, ‘आयकर विभाग के पास करदाता के जिन वित्तीय लेनदेन की सूचना होती है, उन सभी का पूरा ब्योरा एआईएस में होता है। इसीलिए यह बहुत जरूरी दस्तावेज है, जिसका इस्तेमाल रिटर्न भरते समय किया जा सकता है ताकि रिटर्न में एकदम सही जानकारी भरी जाए।’
एआईएस भी आयकर पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके लिए आपको पोर्टल पर अपने अकाउंट में लॉग इन करना होगा। एआईएस में टीडीएस, स्रोत पर एकत्र किए गए कर (टीसीएस), 53 विशेष वित्तीय लेनदेन (एसएफटी) और चुका गए दूसरे करों की जानकारी होती है। एआईएस में कोई चूक है या एआईएस में बताई गए कोई आय करदाता की नहीं है तो उसे इसकी ऑनलाइन शिकायत करनी चाहिए।
निवेश के सबूत और पूंजीगत लाभ का ब्योरा
पुरानी कर प्रणाली चुनी हो तो निवेश पर कर बचत का दावा किया जा सकता है। कर बचत के सबूत नियोक्ता के पास जमा किए जाते हैं। लेकिन अगर आप चूक गए हों तो रिटर्न में इसका दावा कर सकते हैं। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर अंकित जैन का कहना है, ‘पात्र धर्मार्थ संगठनों को दान दिया गया हो तो वहां से रसीद या फॉर्म 10बीई की शक्ल में सर्टिफिकेट ले लेना चाहिए।’ फॉर्म 10बीई धारा 80जी के तहत होने वाली कटौती का सबूत होता है।
सिंह समझाते हैं कि इसके अलावा संपत्ति, शेयर और म्युचुअल फंड की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ की जानकारी भी रिटर्न दाखिल करते समय दी जानी चाहिए। इसके लिए आपको खरीद में हुए खर्च, बिक्री से मिली रकम और खर्च (ब्रोकरेज शुल्क, स्टांप शुल्क और कानूनी फीस) का पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए।