ITR Filing: अब धीरे-धीरे देश इनकम टैक्स फाइल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है। हर साल की तरह इस बार भी टैक्सपेयर्स को समय पर रिटर्न दाखिल करना है, लेकिन उन्हें उससे पहले उन्हें एक जरूरी काम निपटाना लेना चाहिए। यह जरूरी काम है एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की जांच और वेरिफिकेशन। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया है कि ITR फाइल करने से पहले AIS को वेरीफाई करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यही डॉक्यूमेंट आपके वित्तीय लेन-देन और आय की जानकारी को दर्शाता है।
अगर AIS में दी गई जानकारी और ITR में भरी गई डिटेल्स में कोई अंतर होता है, तो आपको टैक्स नोटिस या स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि AIS क्या है, इसमें क्या-क्या डिटेल्स होती हैं और इसे कैसे वेरीफाई करें। इस प्रक्रिया को समझकर न केवल आप गलती से बच सकते हैं, बल्कि ITR दाखिल करने में भी आसानी होती है। इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि AIS क्यों अहम है, इसमें क्या देखना चाहिए और कोई गड़बड़ी मिलने पर क्या कदम उठाने चाहिए।
एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट यानी AIS एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसमें टैक्सपेयर की वित्तीय लेन-देन का पूरा ब्योरा होता है। इसमें आपकी आय, TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स), बैंक खातों में जमा ब्याज, शेयरों से होने वाली आय और अन्य वित्तीय लेन-देन की जानकारी शामिल होती है। यह जानकारी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य स्रोतों से इकट्ठा की जाती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस डेटा का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए करता है कि टैक्सपेयर ने अपनी सारी आय को सही तरीके से ITR में दिखाया है या नहीं। अगर AIS में मौजूद जानकारी और आपके ITR में दी गई जानकारी में कोई अंतर होता है, तो डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है। इसलिए, ITR दाखिल करने से पहले AIS को जांचना जरूरी है ताकि कोई गलती न हो।
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कई बार ऐसा होता है कि AIS में कुछ ऐसी जानकारी दिखाई देती है जो आपके रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती। उदाहरण के लिए, अगर आपके नियोक्ता ने TDS काटा है लेकिन वह AIS में अपडेट नहीं हुआ है, तो यह एक मिसमैच की स्थिति पैदा करता है। ऐसी स्थिति में अगर आप बिना जांच किए ITR दाखिल कर देते हैं, तो टैक्स डिपार्टमेंट इसे गलत मान सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर AIS में कोई गलती दिखती है, तो टैक्सपेयर को संबंधित संस्थान, जैसे बैंक या नियोक्ता, से संपर्क करके इसे ठीक करवाना चाहिए। इसके लिए इनकम टैक्स पोर्टल पर एक फीडबैक मैकेनिज्म भी उपलब्ध है, जहां आप गलत जानकारी को सुधारने के लिए अनुरोध कर सकते हैं। इस तरह की सावधानी से आप भविष्य में नोटिस या पेनल्टी से बच सकते हैं।
AIS को वेरीफाई करने से न केवल गलतियों से बचा जा सकता है, बल्कि यह ITR दाखिल करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है। जब आप AIS में दी गई जानकारी को अपने रिकॉर्ड से मिलान कर लेते हैं, तो आपके पास सारी वित्तीय जानकारी एक जगह उपलब्ध होती है।
इससे आपको ITR फॉर्म भरते समय सही आंकड़े डालने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस साल AIS को और भी पारदर्शी और यूजर-फ्रेंडली बनाने की कोशिश की है। टैक्सपेयर्स अब आसानी से पोर्टल पर लॉग इन करके अपनी AIS डाउनलोड कर सकते हैं और इसे अपने रिकॉर्ड के साथ मिलान कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल समय बचाती है, बल्कि टैक्स फाइलिंग को और अधिक सटीक बनाती है।