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Income Tax: पति से मिला फ्लैट, फिर उसी से खरीदा घर—ITAT ने कहा टैक्स फ्री है ये लेनदेन

Income Tax: पति से गिफ्ट में मिले फ्लैट को बेचकर नया घर खरीदने पर महिला को ITAT ने सेक्शन 54 के तहत कैपिटल गेन टैक्स में छूट दी, लेनदेन को वैध माना।

Last Updated- July 30, 2025 | 9:29 AM IST
Income Tax Return
Representative Image

Income Tax: मुंबई की आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने एक अहम फैसले में एक टैक्सपेयर को बड़ी राहत दी है। ITAT ने कहा कि यदि पति से गिफ्ट में मिले फ्लैट को बेचकर पत्नी ने नया घर खरीदा है, तो वह Section 54 के तहत लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट की हकदार हैं।

क्या है पूरा मामला?

मुंबई की निवासी कविता दमानी को उनके पति ने दो फ्लैट गिफ्ट किए थे। बाद में कविता ने ये फ्लैट बेचकर लगभग 6 करोड़ रुपये हासिल किए और वही पैसा इस्तेमाल कर एक नया फ्लैट खरीद लिया। दिलचस्प बात यह रही कि नया फ्लैट भी उन्होंने अपने पति से ही खरीदा।

कविता ने इन लेन-देन पर Section 54 के तहत टैक्स छूट का दावा किया। लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने इसे खारिज कर दिया। विभाग का तर्क था कि ये लेन-देन परिवार के भीतर हुए हैं और इसमें टैक्स बचाने की मंशा है।

ITAT ने क्या कहा?

ITAT ने कविता दमानी के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि—

  • फ्लैट गिफ्ट करने की प्रक्रिया वैध थी और सभी कागजात सही थे।

  • गिफ्ट मिलने के बाद प्रॉपर्टी की कानूनी मालिक कविता ही थीं।

  • पुराने फ्लैट को बेचने के बाद जो पैसा मिला, उसे तय समय में नए फ्लैट की खरीद में लगाया गया।

  • नया घर पति से खरीदा गया, लेकिन यह कानूनन मना नहीं है।

इसलिए Section 54 की शर्तें पूरी होने के चलते टैक्स छूट देना बनता है।

टैक्स बचाव नहीं, वैध प्रक्रिया: ITAT

ITAT ने साफ कहा कि यह कोई फर्जी या दिखावटी लेन-देन (colourable device) नहीं था। सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था, और पत्नी को उसका लाभ मिलना चाहिए।

पति से मिले फ्लैट को बेचकर महिला ने नए घर में किया निवेश, ITAT से मिली टैक्स में छूट

एक महिला को आयकर अपीलीय अधिकरण (ITAT) से बड़ी राहत मिली है। ITAT ने अपने फैसले में कहा कि महिला को कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलेगी क्योंकि उन्होंने आयकर कानून की धारा 54 के तहत जरूरी शर्तें पूरी की हैं।

इस केस की अहम बातें:

  • महिला के पास जो फ्लैट था, वह उसके नाम पर व्यक्तिगत रूप से दर्ज था।

  • 2017 में उनके पति ने एक रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड के ज़रिए अपनी हिस्सेदारी पत्नी को दे दी थी।

  • गिफ्ट मिलने के बाद महिला उस फ्लैट से किराया लेती रहीं और बाद में उसे बेच भी दिया।

  • फ्लैट की बिक्री से मिली रकम उनके अपने बैंक अकाउंट में जमा हुई और उससे जुड़े पूंजीगत लाभ (capital gains) उन्होंने अपने नाम से घोषित कर टैक्स भी चुकाया।

  • इसके बाद महिला ने अपने पति से एक नया आवासीय फ्लैट खरीदा। यह खरीदारी रजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट के ज़रिए हुई, जिसमें TDS भी कटा और स्टांप ड्यूटी भी दी गई।

क्या कहता है कानून?

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 54 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपना पुराना आवासीय प्रॉपर्टी (जो लॉन्ग टर्म हो) बेचकर एक साल पहले या दो साल बाद तक नए घर में निवेश करता है, तो उसे कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिल सकती है।

इस केस में महिला ने इन सभी शर्तों को पूरा किया। ITAT ने माना कि नई प्रॉपर्टी की खरीद असली और दस्तावेजों से सिद्ध है, इसलिए धारा 54 के तहत टैक्स में छूट मिलनी चाहिए।

रिश्तेदार से खरीदी गई प्रॉपर्टी पर भी मिल सकती है टैक्स छूट, ITAT के फैसले से साफ

अगर आपने अपनी पुरानी रिहायशी प्रॉपर्टी बेची है और उसके बाद टैक्स बचाने के लिए नई प्रॉपर्टी खरीदी है, तो यह जरूरी नहीं कि वो किसी अनजान व्यक्ति से ही खरीदी जाए। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT), मुंबई की ओर से दिए गए एक अहम फैसले में साफ किया गया है कि यदि प्रॉपर्टी की खरीददारी पूरी तरह असली और दस्तावेजों के साथ हो रही है, तो आप अपने रिश्तेदार या यहां तक कि जीवनसाथी से भी प्रॉपर्टी खरीदकर सेक्शन 54 के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं।

क्या है मामला?

यह मामला कविता दमानी नाम की महिला का है, जिन्होंने अपनी एक रिहायशी प्रॉपर्टी बेचने के बाद, उसी पैसे से दूसरी रिहायशी प्रॉपर्टी खरीदी और इनकम टैक्स की धारा 54 के तहत टैक्स में छूट का दावा किया। टैक्स विभाग ने दावा किया कि यह लेनदेन टैक्स बचाने की एक तरकीब (Tax Avoidance) है क्योंकि नई प्रॉपर्टी किसी नजदीकी रिश्तेदार से खरीदी गई थी।

हालांकि, ITAT ने विभाग की इस आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि जब तक लेनदेन असली है और सभी दस्तावेज सही तरीके से दर्ज किए गए हैं, तब तक यह मायने नहीं रखता कि प्रॉपर्टी किसी रिश्तेदार से खरीदी गई है या किसी और से।

टैक्स छूट पाने के लिए किन शर्तों का पालन जरूरी?

एडवोकेट अलाय रज़वी, मैनेजिंग पार्टनर, Accord Juris के मुताबिक, सेक्शन 54 के तहत छूट पाने के लिए कुछ शर्तों का पालन जरूरी है:

  • पुरानी रिहायशी प्रॉपर्टी बेचने के एक साल पहले या दो साल बाद नई रिहायशी प्रॉपर्टी खरीदी जाए

  • या फिर तीन साल के भीतर नई प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो

  • यदि पूरा पैसा उपयोग नहीं हो पाया है, तो उसे कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम (CGAS) में जमा कराना होगा, लेकिन ये जमा राशि रिटर्न भरने से पहले करनी होगी

कविता दमानी ने इन सभी शर्तों को पूरा किया, इसलिए उन्हें टैक्स छूट मिली।

पति से खरीदी फ्लैट पर टैक्स छूट का दावा सही ठहरा, ITAT ने दी राहत

एक महिला टैक्सपेयर्स को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) से बड़ी राहत मिली है। महिला ने अपने पति से खरीदा फ्लैट सेक्शन 54 के तहत टैक्स छूट के लिए दिखाया था, जिसे आयकर अधिकारी ने खारिज कर दिया था। लेकिन ITAT ने महिला के दावे को वैध माना और छूट को मंजूरी दी।

दरअसल, यह फ्लैट पहले महिला और उनके पति के संयुक्त नाम पर था। लेकिन वर्ष 2017 में पति ने यह संपत्ति महिला को गिफ्ट डीड के जरिए दे दी थी, जिसे रजिस्टर्ड भी कराया गया था। इसके बाद से महिला को ही किराये की आमदनी मिलने लगी और उसी ने इस फ्लैट को बेचा। बिक्री की पूरी रकम महिला के बैंक खाते में आई और उस पर कैपिटल गेन टैक्स भी महिला के नाम पर ही आंका गया।

बिक्री से हुई रकम को महिला ने अपने पति से नया फ्लैट खरीदने में इस्तेमाल किया। यह सौदा 18 मार्च 2021 को रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के जरिए ₹3.85 करोड़ में हुआ। इस पर पूरी तरह से TDS काटा गया और स्टांप ड्यूटी भी अदा की गई। महिला ने भुगतान 12 मार्च 2021 तक पूरा कर दिया था, जो कि कोविड से जुड़ी राहत कानून TOLA के तहत बढ़ी हुई समयसीमा के भीतर था।

आयकर अधिकारी ने इस सौदे पर आपत्ति जताई थी और कहा कि यह सिर्फ फंड्स का घुमाव है जो महिला, उनके पति और उनकी निजी कंपनी के बीच हुआ। लेकिन ITAT ने पाया कि महिला ने फ्लैट की बिक्री से प्राप्त रकम का उपयोग किया, भुगतान का समय और पैसे का प्रवाह स्पष्ट था और इसमें टैक्स बचाने की कोई मंशा नहीं दिखी।

इस तरह, ITAT ने माना कि सेक्शन 54 के तहत दी गई टैक्स छूट का लाभ महिला को मिलना चाहिए, भले ही संपत्ति पति से ही क्यों न खरीदी गई हो। कानून में रिश्तेदार से संपत्ति खरीदने पर रोक नहीं है, जब तक सौदा वास्तविक और नियमों के अनुसार हो।

रियल एस्टेट डील में टैक्स छूट पाने के लिए अपनाएं ये जरूरी कदम, विशेषज्ञों की सलाह

अगर आप किसी करीबी को संपत्ति गिफ्ट करने या बेचने की सोच रहे हैं और चाहते हैं कि इस पर टैक्स का बोझ न पड़े, तो आपको कुछ बेहद अहम बातों का ध्यान रखना होगा। वरिष्ठ लीगल एक्सपर्ट और टैक्स सलाहकारों का कहना है कि इनकम टैक्स की नजर में ‘गिफ्ट’ और ‘सेल’ के बीच फर्क सिर्फ कागजों का नहीं, बल्कि टाइमिंग और इरादे का भी होता है।

साल दर साल अलग करें गिफ्ट और बिक्री
सिंघानिया एंड कंपनी में प्राइवेट क्लाइंट हेड केशव सिंघानिया की सलाह है कि संपत्ति को गिफ्ट और फिर बेचना हो, तो इन दोनों लेनदेन को अलग-अलग वित्त वर्ष में किया जाए। इससे टैक्स विभाग को इरादे पर शक नहीं होगा और पूरे ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता बनी रहेगी।

गिफ्ट डीड कराएं रजिस्टर्ड
भले ही किसी-किसी मामले में गिफ्ट डीड का रजिस्ट्रेशन जरूरी न हो, लेकिन लीगल दृष्टिकोण से इसे रजिस्टर्ड कराना बेहद जरूरी है। इससे भविष्य में विवाद की संभावना खत्म हो जाती है।

गिफ्ट के बाद किराये की आय पर भी ध्यान दें
अगर आपने कोई प्रॉपर्टी गिफ्ट की है और वह किराये पर दी गई है, तो अब उसकी इनकम गिफ्ट पाने वाले के नाम पर टैक्स योग्य होगी, न कि गिफ्ट देने वाले के नाम पर।

गिफ्ट और बिक्री के बीच रखें पर्याप्त अंतर
अगर गिफ्ट के तुरंत बाद वही प्रॉपर्टी बेची जाती है, तो टैक्स विभाग इसे टैक्स बचाने की रणनीति मान सकता है। इसलिए दोनों के बीच एक अच्छा-खासा वक्त रखा जाना जरूरी है।

हर ट्रांजैक्शन का रखें पूरा रिकॉर्ड
पैसे का लेनदेन चाहे गिफ्ट का हो या बिक्री का, हर चीज का बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेजों में साफ रिकॉर्ड होना चाहिए।

First Published - July 30, 2025 | 9:29 AM IST

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