महंगे होते इलाज के खर्च को देखते हुए एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनी निवा बूपा चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम 8 से 9 प्रतिशत बढ़ा सकती है। कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) विश्वनाथ महेंद्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में यह जानकारी दी।
महेंद्र ने कहा, ‘मूल्य में बदलाव उत्पाद चक्र पर निर्भर करता है। पिछली तिमाही में हमने अपने रीएश्योर 2.0 उत्पाद के प्रीमियम में 7 प्रतिशत की वृद्धि की। पोर्टफोलियो के स्तर पर प्रीमियम में 8 से 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी की योजना है। विभिन्न उत्पादों के अलग अलग बदलाव के चक्र हैं। हर साल इलाज का खर्च बढ़ रहा है, ऐसे में हर साल प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी के बजाय इसे चरणबद्ध तरीके से किया जाना बेहतर है। ’ कंपनी ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में अपनी पॉलिसियों रीएश्योर 2.0 के प्रीमियम में 7 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की थी।
भारत की सबसे बड़ी एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनी स्टार हेल्थ ऐंड एलाइड इंश्योरेंस भी अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम बढ़ाने की योजना बना रही है। कंपनी इसके लिए छूट पर आधारित मूल्य निर्धारण मॉडल अपनाएगी। इसका मतलब है कि आधार मूल्य भले ही बढ़ सकता है, लेकिन ग्राहकों को स्वस्थ व्यवहार, नो-क्लेम के इतिहास या पॉलिसी के प्रकार आदि की स्थिति को देखते हुए छूट मिल सकती है। इससे पॉलिसियों की कीमत अधिक व्यक्तिगत हो जाएगी और कई लोगों के लिए प्रीमियम वृद्धि की भरपाई भी हो सकेगी।
चिकित्सा महंगाई दर का मतलब हेल्थकेयर सेवाओं और उपचार की बढ़ती लागत है। देश में चिकित्सा महंगाई दर 10 प्रतिशत से ज्यादा रफ्तार से बढ़ रही है और यह वित्त वर्ष 2025 में करीब 13 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2024 में यह 12 प्रतिशत थी।
स्वास्थ्य बीमा की लागत वहन करने की क्षमता लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे में निवा बूपा ने लागत वहन करने की क्षमता के आधार पर पॉलिसियां बनाई हैं। इसमें क्षेत्रीय मूल्य निर्धारण, तथा अन्य विभिन्न उपायों का प्रयोग किया गया है, जिससे व्यवसाय पर प्रभाव डाले बिना प्रीमियम पर प्रभाव कम किया जा सके।