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अब बिना OTP के होगा ऑनलाइन पेमेंट! फेडरल बैंक ने लॉन्च किया देश का पहला बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन पेमेंट सिस्टम

फेडरल बैंक ने फिनटेक कंपनियां M2P और MinkasuPay के साथ मिलकर यह पेश किया है। बैंक ने दावा किया है कि यह तकनीक RBI के टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन नियमों का पूरी तरह पालन करती है।

Last Updated- July 25, 2025 | 5:29 PM IST
biometric authentication
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा गया है। फेडरल बैंक ने देश में पहली बार ई-कॉमर्स कार्ड लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सुविधा शुरू की है। इस नई तकनीक के जरिए ग्राहक अब ऑनलाइन खरीदारी के लिए वन-टाइम पासवर्ड (OTP) की जरूरत के बिना केवल अपने फिंगरप्रिंट या फेस ID का इस्तेमाल करके पेमेंट कर सकते हैं। यह सुविधा न केवल लेनदेन को तेज और आसान बनाती है, बल्कि सुरक्षा को भी बढ़ाती है। फेडरल बैंक ने फिनटेक कंपनियां M2P और MinkasuPay के साथ मिलकर यह पेश किया है। बैंक ने दावा किया है कि यह तकनीक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन नियमों का पूरी तरह पालन करती है और यूजर्स को पेमेंट करने में आसानी होती है।

बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन: एक नई पहल

पारंपरिक रूप से, ऑनलाइन पेमेंट के लिए यूजर्स को OTP का इस्तेमाल करना पड़ता था, जो उनके मोबाइल पर SMS के जरिए आता था। हालांकि, OTP की प्रक्रिया में कई बार देरी हो जाती थी या तकनीकी समस्याओं के कारण यह यूजर्स तक नहीं पहुंच पाता था। इस वजह से कई बार ऐसा होता है कि यूजर्स पेमेंट नहीं कर पाते हैं।

फेडरल बैंक की नई बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सुविधा इस समस्या को खत्म करती है। अब यूजर्स को केवल अपने स्मार्टफोन पर फिंगरप्रिंट या फेस ID का उपयोग करना होगा। यह प्रक्रिया इतनी तेज है कि पेमेंट में केवल 3 से 4 सेकंड का समय लगता है। यह तकनीक न केवल समय बचाती है, बल्कि लेनदेन को और सुरक्षित भी बनाती है, क्योंकि बायोमेट्रिक डेटा हर व्यक्ति का अनोखा होता है और इसे नकली करना लगभग असंभव है।

फेडरल बैंक के नेशनल हेड (कंज्यूमर बैंकिंग) विराट सुनील दीवानजी ने इस लॉन्च को एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह यूजर्स के बैंकिंग अनुभव को पूरी तरह बदलने वाला कदम है। यह सुविधा यूजर्स को तेज, सुरक्षित और आसान पेमेंट का अनुभव देगी, जो आज के डिजिटल युग की सबसे बड़ी जरूरत है।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

इस बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सुविधा का उपयोग करना बेहद आसान है। यूजर्स को पहली बार पेमेंट करते समय केवल एक बार सहमति देनी होगी। इसके बाद, वे समर्थित मर्चेंट ऐप्स पर अपने फिंगरप्रिंट या फेस ID का उपयोग करके पेमेंट कर सकते हैं। यह तकनीक एंड्रॉइड और iOS दोनों तरह के स्मार्टफोन्स पर काम करती है। मर्चेंट्स इस सुविधा को अपने प्लेटफॉर्म पर एक हल्के सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (SDK) के जरिए आसानी से जोड़ सकते हैं। अगर किसी कारणवश बायोमेट्रिक डेटा कैप्चर नहीं हो पाता, तो सिस्टम खुद से ही OTP पर स्विच कर लेगा, जिससे लेनदेन में कोई रुकावट नहीं आएगी।

यह तकनीक RBI के टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन नियमों का पालन करती है, जिसमें लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए दो स्तर की पुष्टि जरूरी होती है। पहला स्तर है व्यक्ति का बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट या फेस ID) और दूसरा स्तर है डिवाइस की पहचान। इस तरह, यह तकनीक न केवल सुविधाजनक है, बल्कि अत्यधिक सुरक्षित भी है। MinkasuPay के CEO अंबु गौंडर ने कहा कि उनकी कंपनी का लक्ष्य दुनिया में सबसे सुरक्षित और आसान पेमेंट अनुभव देना है। उन्होंने इस साझेदारी को भारत के डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया।

डिजिटल पेमेंट में एक नया मानक

फेडरल बैंक की यह पहल भारत के डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित करती है। अभी यह सुविधा फेडरल बैंक के डेबिट और क्रेडिट कार्डधारकों के लिए चुनिंदा मर्चेंट प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है, लेकिन बैंक इसे धीरे-धीरे और विस्तार करने की योजना बना रहा है। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह यूजर्स को पूरी तरह नियंत्रण देती है। वे चाहें तो इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं या इसे बंद करके पारंपरिक OTP का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उन यूजर्स को भी कोई असुविधा नहीं होगी, जो नई तकनीक के साथ सहज नहीं हैं।

M2P फिनटेक के सह-संस्थापक मधुसूदनन आर ने इस साझेदारी को एक ऐसी उपलब्धि बताया, जो उनकी कंपनी के मूल मिशन को दर्शाती है—सुरक्षित और स्केलेबल तकनीकी ढांचा तैयार करना, जो यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाए। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के जरिए वे न केवल नवाचार कर रहे हैं, बल्कि डिजिटल पेमेंट में विश्वास और सुविधा को एक साथ जोड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह सुविधा खासकर उन यूजर्स के लिए वरदान साबित होगी, जो ऑनलाइन खरीदारी के दौरान तेज और सुरक्षित पेमेंट चाहते हैं। आज के समय में, जब साइबर धोखाधड़ी और डेटा चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं, बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन एक ऐसी तकनीक है, जो सुरक्षा और सुविधा के बीच सही संतुलन बनाती है। यह तकनीक न केवल यूजर्स का समय बचाती है, बल्कि बैंकों को भी धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने में मदद करती है।

भविष्य की संभावनाएं

फेडरल बैंक की इस पहल ने भारत के बैंकिंग और फिनटेक क्षेत्र में एक नई चर्चा शुरू कर दी है। एक्सपर्ट का मानना है कि बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन भविष्य में डिजिटल पेमेंट का एक अहम हिस्सा बनेगा। यह तकनीक न केवल ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए, बल्कि मोबाइल बैंकिंग, एटीएम और अन्य वित्तीय सेवाओं में भी क्रांति ला सकती है। फेडरल बैंक की इस शुरुआत से अन्य बैंक और फिनटेक कंपनियां भी प्रेरित हो सकती हैं, जिससे भारत में डिजिटल पेमेंट का परिदृश्य और मजबूत होगा।

यह सुविधा उन यूजर्स के लिए भी खास है, जो तकनीक के साथ सहज हैं और अपने दैनिक जीवन में तेजी और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। जैसे-जैसे यह तकनीक और व्यापक होगी, यह उम्मीद की जा रही है कि अधिक से अधिक मर्चेंट्स इसे अपने प्लेटफॉर्म पर अपनाएंगे। फेडरल बैंक की वेबसाइट पर इस सुविधा के बारे में और जानकारी उपलब्ध है, जहां ग्राहक इसके उपयोग और लाभों को विस्तार से समझ सकते हैं।

First Published - July 25, 2025 | 5:29 PM IST

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