भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में डिजिटल बैंकिंग ऐंड ट्रांसफॉर्मेशन के प्रमुख नितिन चुघ ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2024’ में कहा कि लालच के बजाय डर भी ऐसा मुख्य कारण बन गया है जिसकी वजह से लोग साइबर धोखाधड़ी का आसानी से शिकार बन रहे हैं।
चुघ ने कहा, ‘कई बार हम बहुत ज्यादा डर और भय का माहौल देखते हैं, जिसमें लोगों को फंसाने के लिए डराया जाता है। लोगों को बताया जाता है कि कुछ गलत हुआ है। ऐसा सुनकर लोग घबरा जाते हैं और अपने दिमाग को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसलिए नुकसान उठाते हैं।’
उन्होंने कहा कि भले ही लोग जागरूक हुए हों, लेकिन वे इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं और यह साबित करता है कि धोखेबाज लोगों की संवेदनशील भावनाओं के साथ खेल रहे हैं। चुघ ने कहा, ‘यह सोशल इंजीनियरिंग का एक अन्य स्वरूप है और यह अपेक्षाकृत नया है।’
साइबर सुरक्षा में सोशल इंजीनियरिंग का मतलब है किसी पीड़ित के साथ कंप्यूटर सिस्टम पर नियंत्रण पाने या व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी चुराने के लिए हेरफेर करना। उन्होंने कहा कि आमतौर पर ऊंचे मूल्य के लेनदेन के लिए डराने-धमकाने के तरीके भी अपनाए जाते हैं।
चुघ ने कहा, ‘हाई वैल्यू के मामले करोड़ में हो सकते हैं। वहीं छोटी वैल्यू के लिए ठगी के पारंपरिक स्कैम होते हैं, जिनमें लोग अपनी गोपनीय जानकारी या अकाउंट देने को तैयार हो जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि दुनिया में टेक्नोलॉजी के उभार के बीच लोगों को साइबर धोखाधड़ी से स्वयं को बचाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
चुघ ने कहा, ‘बैंक एक जिम्मेदार संस्था है, यह आपका पैसा सुरक्षित बनाए रखेगा। लेकिन यदि आप स्वयं ही अपनी निजी जानकारियों के साथ समझौता करते हैं तो कानून भी एक सीमा के परे आपकी मदद नहीं कर सकता है। हर किसी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन जब बात आपकी सुरक्षा और वित्तीय मामलों और आपकी मेहनत से कमाई गई बैंक खाते में जमा राशि की आती है, तो मुझे लगता है कि यह जानना जरूरी है कि क्या हो सकता है।’