ELSS Funds: वित्त वर्ष 2023-24 की समाप्ति में अब कुछ ही दिन बचे हैं। बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो निवेश पर बेहतर रिटर्न के साथ साथ टैक्स में छूट भी चाहते हैं। ऐसे लोग फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स के बजाय इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं। क्योंकि इक्विटी में निवेश कर आप मीडियम टू लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन इक्विटी में निवेश पर क्या डिडक्शन (कटौती) का फायदा मिलेगा? उत्तर है हां। इक्विटी में भी निवेश कर आप डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं।
ईएलएसएस (Equity Linked Savings Scheme यानी ELSS), एनपीएस (NPS) और यूलिप (ULIP) ऐसी ही तीन स्कीम हैं । लेकिन ईएलएसएस (Equity Linked Savings Scheme यानी ELSS) और यूलिप (ULIP) में निवेश पर डिडक्शन का फायदा आपको सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था यानी old tax regime में मिलेगा। जबकि NPS में निवेश पर टैक्स बेनिफिट नई और पुरानी दोनों व्यवस्थाओं में मिलता है।
इन तीनों में सबसे ज्यादा इक्विटी में एक्सपोजर म्युचुअल फंड की एक खास टैक्स सेविंग स्कीम ELSS में है। इस स्कीम के तहत निवेश की रकम का कम से कम 80 फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में होता है। साथ ही लॉक-इन पीरियड (lock-in period) के मामले में भी ईएलएसएस पहले नंबर पर है। ईएलएसएस का लॉक- इन पीरियड महज 3 साल है।
रिटर्न के मामले में भी इन फंडों का प्रदर्शन शानदार रहा है। इस कैटेगरी के फंडों ने पिछले 1 साल, 3 साल और 5 साल में औसतन 38 फीसदी, 18 फीसदी और 19 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है।
Quant ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +60.87%
SBI Long Term Equity Fund Direct Plan Growth: +59.61%
Bank of India ELSS Tax Saver Direct Growth: +54.17%
ITI ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +51.69%
Motilal Oswal ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +50.62%
Franklin India ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +46.01%
HDFC ELSS Tax Saver Direct Plan Growth: +45.59%
WhiteOak Capital ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +44.79%
JM ELSS Tax Saver Fund Direct Plan Growth: +44.11%
Invesco India ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +42.54%
(Source: Value Research)
आप चाहते हैं कि टैक्स में छूट के साथ-साथ लॉन्ग टर्म में इक्विटी में निवेश से बेहतर रिटर्न भी मिले तो आप म्युचुअल फंड की इस खास स्कीम यानी ELSS (Equity Linked Savings Scheme) में निवेश कर सकते हैं। वैसे लोग जिन्होंने अभी तक इक्विटी में निवेश नहीं किया है उनके लिए तो यह इक्विटी में निवेश शुरू करने का बेहतर जरिया है।
जब से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (asset management companies यानी AMC) को सेबी (SEBI) की तरफ से पैसिव स्कीम (passive scheme) लॉन्च करने की अनुमति मिली है, निवेशकों के पास एक्टिव के साथ-साथ पैसिव ELSS स्कीम में भी निवेश का विकल्प खुल गया है। इसलिए वैसे निवेशक जो कम जोखिम लेना चाहते हैं, पैसिव ELSS के साथ जा सकते हैं। पैसिव ELSS में फंड मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होती है, इसलिए टोटल एक्सपेंस रेश्यो (total expense ratio) भी एक्टिव स्कीम के मुकाबले कम है। निवेश की रणनीति में निरंतरता (continuity) और पारदर्शिता (transparency) की वजह से भी निवेशक इस नए विकल्प को पसंद कर सकते हैं।
अभी मार्केट में सिर्फ 3 पैसिव फंड ही लॉन्च हुए हैं – 360 ONE ELSS निफ्टी 50 टैक्स सेवर इंडेक्स फंड, Navi ELSS टैक्स सेवर निफ्टी 50 इंडेक्स फंड और Zerodha ELSS Tax Saver Nifty Large Midcap 250 Index Fund। बाकी जो भी फंड उपलब्ध हैं वे एक्टिव ELSS हैं।
बहुत सारे जानकार अभी भी रिटर्न के लिहाज से एक्टिव विकल्प को बेहतर मानते हैं। वैसे भी पैसिव ELSS के पिछले प्रदर्शन को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर आपके सामने नहीं है। ये तीनों पैसिव फड पिछले ही साल लॉन्च हुए हैं। इसलिए एक्टिव फंडों के प्रदर्शन से इनकी तुलना नहीं हो सकती। पिछले छह महीने के प्रदर्शन को ध्यान में रखा जा सकता है। पिछले छह महीने में इन पैसिव फंडों ने तकरीबन 15 फीसदी का रिटर्न दिया है जबकि इसी अवधि के दौरान एक्टिव फंडों ने 14 फीसदी से लेकर 32 फीसदी तक का रिटर्न दिया है। इसलिए रिटर्न के मामले में पैसिव फंड एक्टिव फंडों के मुकाबले काफी पीछे हैं। समान अवधि के दौरान बेंचमार्क Nifty 50 ने 14 फीसदी का रिटर्न दिया है।
Navi ELSS Tax Saver Nifty 50 Index Fund Direct Growth : +14.89%
360 ONE ELSS Tax Saver Nifty 50 Index Fund – Direct Plan: +14.88%
Zerodha ELSS Tax Saver Nifty Large Midcap 250 Index Fund: +18.71% (since its launch on Oct 20, 2023)
Quant Tax Plan Direct Growth: +32.26%
Bandhan ELSS Tax Saver Fund Direct Plan Growth: +16.71%
Parag Parikh Tax Saver Fund Direct Growth: +18.90%
Kotak ELSS Tax Saver Fund Direct Growth: +18.16%
SBI Long Term Equity Fund Direct Plan Growth: +29.88%
DSP Tax Saver Direct Plan Growth: +20.87%
Mirae Asset Tax Saver Fund Direct Growth: +16.16%
Canara Robeco ELSS Tax Saver Direct Growth: +16.96%
HDFC ELSS Tax Saver Direct Plan Growth: +23.38%
ICICI Prudential ELSS Tax Saver Direct Plan Growth: +16.68%
Edelweiss Long Term Equity Fund (Tax Savings) Direct Growth: +18.18%
Axis Long Term Equity Direct Plan Growth: +14.56%
(Source: Value Research)
मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की तरफ से जून 2022 में आए सर्कुलर के मुताबिक फंड हाउस 1 जुलाई 2022 से इंडेक्स-आधारित यानी पैसिव टैक्स-सेविंग ELSS फंड लॉन्च कर सकते हैं। इससे पहले, भारत में सभी इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम एक्टिव रहे हैं जहां फंड मैनेजर फंड के पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं। पैसिव ELSS फंड के मामले में, पोर्टफोलियो केवल एक अंडरलाइंग इंडेक्स को रिफ्लेक्ट करता है। रिटर्न भी कमोबेश उसी इंडेक्स को ट्रैक करता है।
सेबी के सर्कुलर के अनुसार पैसिव ELSS फंड उन चुनिंदा सूचकांकों पर आधारित होंगे जो मार्केट कैप के मामले में टॉप-250 कंपनियों के शेयरों को ट्रैक करते हैं। लेकिन एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के ईएलएसएस फंड नहीं हो सकते। उन्हें दो विकल्पों में से एक को चुनना होगा।
पिछले साल की शुरुआत यानी जनवरी 2023 में SEBI ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को पैसिव ELSS शुरू करने से पहले अपनी एक्टिव इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएं बंद करने के निर्देश दिए। मतलब जिन AMC के पास ऐक्टिव ELSS हैं, वे इसमें नया निवेश बंद करने के बाद ही पैसिव ELSS शुरू कर सकते हैं।
एक्टिव ELSS एक डाइवर्सिफाइड (diversified) /मल्टीकैप इक्विटी MF स्कीम है जिसमें आपकी रकम को अलग अलग साइज की कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है। किसी भी अन्य MF की तरह आप 500 रुपये से इसमें निवेश प्रारंभ कर सकते हैं। जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था में हैं तो एक वित्त वर्ष में 80C के तहत deduction का फायदा अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश (अन्य विकल्पों में निवेश की राशि को मिलाकर) पर ही मिलेगा। नई टैक्स व्यवस्था में ELSS पर इस तरह की कोई छूट नहीं है।
अन्य MF स्कीम की तरह इसे जब चाहें रिडीम यानी बंद नहीं कर सकते हैं। ELSS का अनिवार्य लॉक-इन पीरियड 3 वर्ष है। मतलब आप तीन वर्ष से पहले इस स्कीम से नहीं निकल सकते हैं। लेकिन निवेश के उन सारे विकल्पों जिन पर पुरानी टैक्स व्यवस्था में 80C के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है की तुलना में ELSS का lock-in period सबसे कम है।
उदाहरण के तौर पर पीपीएफ का lock-in period 15 वर्ष है जबकि NSC, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS), टैक्स सेविंग एफडी बैंक/पोस्ट ऑफिस FD, ULIP का 5 वर्ष है। जबकि NPS तो खासकर रिटायरमेंट के लिए है। Lock-in period के बाद भी आप ELSS में निवेश जारी रख सकते हैं।
ELSS एक इक्विटी MF स्कीम है क्योंकि इस स्कीम में मिनिमम 80 फीसदी निवेश इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट में होता है। अन्य MF स्कीम की तरह इस स्कीम में भी निवेश के दो प्लान — ग्रोथ (growth) और डिविडेंड (dividend) — में से एक चुनने का विकल्प है। ग्रोथ प्लान में रिटर्न स्कीम के बीच नहीं मिलता है। कहने का मतलब रिटर्न रिडेम्शन से पहले नहीं। लेकिन अनिवार्य lock-in period के बाद 1 लाख रुपये से ज्यादा के सालाना रिटर्न पर 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG/एलटीसीजी) टैक्स का प्रावधान है।
अगर आप dividend प्लान लेते हैं तो निवेश की अवधि के दौरान (lock-in period से पहले और बाद दोनों), जो रिटर्न dividend के रूप में मिलता है वह आपके सालाना इनकम में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस रकम पर टैक्स अदा करना होगा।
ELSS में वही जोखिम हैं जो इक्विटी MF में निवेश के हैं। इसमें फिक्स्ड रिटर्न जैसी कोई चीज नहीं है। लेकिन अगर आप लांग टर्म में यानी कम से कम 7 से 10 वर्ष के लिए निवेश करेंगे तो आपको फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलेगा। इसलिए बेहतर होगा कि 3 वर्ष के अनिवार्य lock-in period के बाद भी ELSS में निवेश को बरकरार रखें। कुल मिलाकर कहें तो टैक्स में छूट पाने से कहीं ज्यादा यह लांग-टर्म इन्वेस्टमेंट का बेहतर विकल्प है।
एकमुश्त (lump sum) के बजाए सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी या SIP) —यानि एक निश्चित मासिक, तिमाही, छमाही, या सालाना अंतराल पर एक निश्चित रकम का निवेश — के जरिए MF में निवेश करना हमेशा बेहतर माना जाता है। क्योंकि इसमें मार्केट को टाइम करने का जोखिम नहीं है। साथ ही मार्केट से संबंधित उतार-चढाव का एवरेजिंग (averaging) भी हो जाता है। लेकिन अगर आप SIP के माध्यम से निवेश करेंगे तो हर किस्त का lock-in period अलग अलग होगा।