देसी शेयर बाजार पिछले कुछ समय से भारी उतार-चढ़ाव झेल रहे हैं और 17 जनवरी, 2024 के दिन 1600 अंक से भी ज्यादा गिरकर सेंसेक्स ने निवेशकों को झकझोर दिया। पिछले मंगलवार को भी सेंसेक्स धड़ाम से 1053 अंक गिर गया। गिरावट इसलिए भी परेशान कर रही है क्योंकि बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं। इस गिरावट की सबसे ज्यादा मार इक्विटी म्युचुअल फंड में रकम लगाने वालों पर पड़ी है क्योंकि उनके पोर्टफोलियो की कीमत एकाएक कम हो गई। मगर म्युचुअल फंड की कुछ श्रेणियां और निवेश के तरीके उतार-चढ़ाव की तपिश को कम कर सकते हैं।
इन्हें डायनमिक ऐसेट अलोकेशन फंड भी कहा जाता है। बॉन्ड और शेयर जब किफायती भाव पर मिलते हैं, उस समय ये फंड उनमें निवेश कर देते हैं। शेयर और बॉन्ड में कितना-कितना निवेश करना है, इसका फैसला करने के लिए फंड कंपनियां कीमत और चाल जैसे अलग-अलग पहलुओं पर नजर रखने वाले मॉडलों का इस्तेमाल करती हैं। फंड मैनेजर इनके हिसाब से ही शेयर और बॉन्ड चुनकर पोर्टफोलियो तैयार करते हैं।
इस समय शेयरों के भाव अब तक की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर चल रहे हैं, इसलिए मूल्यांकन पर चलने वाले बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों ने शेयरों में आवंटन कम कर दिया है और बॉन्ड में ज्यादा रकम लगा रहे हैं। आगे चलकर बाजार बैठ गए और शेयरों के भाव नीचे आ गए तो वे शेयरों में ज्यादा निवेश कर देंगे। आवंटन घटाने-बढ़ाने का यह काम इन फंडों में लगातार चलता रहता है और निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित रिटर्न मिल जाता है।
वॉलेट वेल्थ के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) एस श्रीधरन कहते हैं, ‘बैलेंस्ड एडवांटेज फंड बाजार में तेजी या गिरावट के हिसाब से पोर्टफोलियो आवंटन बदलकर जोखिम कम कर देते हैं और रिटर्न बेहतर हो जाता है।’
शेयरों के भाव ऊंचे हैं और भविष्य में उठापटक की आशंका भी है, इसलिए निवेशक मल्टी-ऐसेट फंड पर भी विचार कर सकते हैं। ये फंड शेयरों, बॉन्डों, कीमती धातुओं और अंतरराष्ट्रीय शेयरों में रकम लगाते हैं।
गेनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट के संस्थापक रवि कुमार टीवी का कहना है, ‘अलग-अलग संपत्ति श्रेणी अलग-अलग समय पर बेहतरीन प्रदर्शन करती है, इसलिए निवेश में विविधता बरतना अंत में अच्छा ही रहता है। कई प्रकार की संपत्ति श्रेणियों में रकम लगाने से पोर्टफोलियो भी मजबूत होता है।’
ये फंड कम से कम 15 फीसदी और अधिक से अधिक 35 फीसदी रकम शेयरों में लगाते हैं। बाकी रकम बॉन्ड और आर्बिट्राज में इस्तेमाल की जाती है। इनका मकसद इक्विटी में ठीकठाक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों की थोड़ी रकम शेयरों में लगाना होता है। प्रमाणित वित्तीय योजनाकार पारुल माहेश्वरी की सलाह है, ‘जो निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं चाहते, वे इक्विटी सेविंग्स फंड चुन सकते हैं क्योंकि ये शेयर, आर्बिट्राज और फिक्स्ड इनकम में मिला-जुला निवेश करते हैं।’
इक्विटी सेविंग्स फंड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का शेयरों में शुद्ध निवेश बेशक कम हो, हाजिर और वायदा आर्बिट्राज के जरिये वे 65 फीसदी से अधिक रकम शेयरों में ही लगाते हैं। इसलिए इन योजनाओं पर इक्विटी म्युचुअल फंड की तरह ही कर लगता है और निवेशकों को कम दर पर पूंजीगत लाभ कर चुकाना पड़ता है।
डेट में ज्यादा निवेश करने से जोखिम बहुत कम हो जाता है और पूंजी भी महफूज रहती है। लंबे अरसे के लिए निवेश करने वाले अपनी 70 फीसदी रकम कम या मझोली अवधि के डेट फंड में लगा सकते हैं और बाकी रकम अच्छे मैनेजर वाले फ्लेक्सी-कैप फंड में डाली जा सकती है। यह 70 फीसदी रकम पांच साल में बढ़कर 100 फीसदी रकम के बराबर हो सकती है और इक्विटी में किए गए आवंटन से अलग रिटर्न हासिल हो सकता है।
माहेश्वरी समझाती हैं, ‘डेट से पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है और लगातार सधा हुआ रिटर्न हासिल होता है। निवेशक कम अवधि के फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, नॉन कन्वर्टिबल डीबेंचर तथा सरकारी बॉन्डों को मिलाकर तगड़ा डेट पोर्टफोलियो बना सकते हैं।’
बाजार बेशक तेज दौड़ा है मगर शेयरों को पूरी तरह तिलांजलि देना समझदारी नहीं होगी। अगर बाजार अभी और चढ़ा तो शेयरों से दूर रहने वाले निवेशक मुनाफा काटने का मौका गंवा देंगे।
श्रीधरन समझाते हैं, ‘महंगी कीमत और जरूरत से ज्यादा लिवाली कुछ ही समय के लिए होती हैं। लार्ज कैप शेयरों वाले फंडों में रकम लगाएं क्योंकि उनसे लंबे अरसे में अच्छा मुनाफा होता है।’
रवि कुमार कहते हैं, ‘कोई नहीं बता सकता कि शेयर बाजार कब चढ़ेंगे या गिरेंगे। लंबे अरसे के लिए निवेश का इरादा है तो इक्विटी फंडों में सिस्टमैटिक निवेश जारी रखें।’
बाजार कितना भी ऊपर हो, शेयरों और इक्विटी म्युचुअल फंडों में चरणबद्ध तरीके से निवेश जारी रखें। माहेश्वरी की राय है, ‘सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) का सहारा लें। एकमुश्त रकम लगानी हो तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या मल्टी-ऐसेट फंड चुनें।’ किस्तों में निवेश करने से महंगी यूनिट की औसत कीमत भी कम रहेगी और बाजार बहुत ऊंचाई पर होने से पैदा हो रहे खतरे भी कम हो जाएंगे।