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Arbitrage Fund: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का उठाएं फायदा

आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर रिटर्न जेनरेट करते हैं।

Last Updated- June 07, 2023 | 11:53 AM IST
Stock Market Today

इन दिनों शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। लेकिन इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में निवेश का एक ऐसा भी विकल्प है जहां वोलैटिलिटी (volatility) का इस्तेमाल रिटर्न जेनरेट करने के लिए किया जाता है। यह विकल्प है आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund)।

आंकड़े भी आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund) के प्रति निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाते हैं। आर्बिट्राज फंड में अप्रैल महीने के दौरान नेट 3,700 करोड़ रुपये का निवेश आया जो पिछले 12 महीने में सबसे ज्यादा था। हाइब्रिड फंड (hybrid fund) की श्रेणी में आने वाले जितने भी फंड हैं उनमें आर्बिट्राज फंड अप्रैल में निवेश के मामले में अव्वल रहा। डेट फंड (debt fund) को लेकर टैक्स नियमों में आए बदलाव के चलते भी इस फंड में निवेश बढा है।

Income Tax Rebate : शेयर और म्युचुअल फंड से हुई कमाई पर क्या आपको मिलेगा रिबेट का फायदा?

1 अप्रैल 2023 से डेट फंड पर इंडेक्सेशन (indexation) के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स के पुराने प्रावधान को हटा लिया गया है। मतलब डेट फंड से जो भी कैपिटल गेन होगा वह शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा जो आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।

अब बात करते हैं इस फंड की।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर में कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए आर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प है। ये हाइब्रिड फंड टैक्स ट्रीटमेंट के मामले में इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। मतलब इनमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है। जबकि बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है।

आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर रिटर्न जेनरेट करते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर यानी स्प्रेड (spread) बढ़ जाता है। जब बाजार में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) बढ़ती है, तब ये फंड ज्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो रिटर्न में भी कमी आती है।

आर्बिट्राज फंड कैसे काम करता है?

इसमें एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच दिया जाता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है।

मान लीजिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 100 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 105 रुपये है। इस कीमत पर (आर्बिट्राज) फंड मैनेजर कंपनी के 100 शेयर (100X100 =1,000 रुपये) 1,000 रुपये में कैश सेगमेंट में खरीदता है और 10,500 (105×100=10,500) रुपये में डेरिवेटिव सेगमेंट में बेच देता है। इस तरह से फंड मैनेजर को प्रति शेयर 5 रुपये का यानी कुल 500 रुपये का प्रॉफिट होता है। बशर्ते फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के समय या एक्सपायरी की तारीख से पहले किसी भी समय कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयर की यही कीमत बनी रहे। एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का निपटान (सेटलमेंट) एक्सपायरी की तारीख से पहले किसी भी समय किया जा सकता है।

लेकिन मान लीजिए फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के वक्त कैश सेगमेंट में शेयर की कीमत घटकर 95 रुपये और डेरिवेटिव सेगमेंट में 90 रुपये तक आ जाए। ऐसा होने पर कैश मार्केट में प्रति शेयर 5 रुपये यानी 500 रुपये का नुकसान होगा जबकि डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रति शेयर 15 रुपये यानी कुल 1,500 रुपये का मुनाफा। यानी फंड मैनेजर को 1,000 रुपये का नेट मुनाफा हुआ।

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इस तरह आर्बिट्राज फंड कैश सेगमेंट और फ्यूचर सेगमेंट में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है। कैश सेगमेंट और डेरिवेटिव सेगमेंट के बीच फिलहाल स्प्रेड 63 आधार अंक का है जो पिछले साल इसी महीने में 40 आधार अंक (basis points) था। स्प्रेड में बढ़ोतरी इस बात को दर्शाता है कि इस समय वोलैटिलिटी ज्यादा है जो आर्बिट्राज फंड के लिए बेहतर है।

क्या हैं टैक्स प्रावधान?

ये फंड टैक्स ट्रीटमेंट के मामले में इक्विटी म्यूचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह ही लगता है। यहां हम इसके दोनों ऑप्शन ग्रोथ (growth) और डिविडेंड (dividend) में टैक्स प्रावधान की बात करेंगे:

ग्रोथ ऑप्शन (growth option): एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शार्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। एक लाख से कम की इनकम पर कोई टैक्स देय नहीं होगा।

डिविडेंड ऑप्शन (dividend option) : आर्बिट्राज फंड से मिलने वाला डिविडेंड निवेशकों के इनकम में जुड़ जाता है और निवेशकों को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस डिविडेंड पर टैक्स चुकाना होता है।

First Published - June 7, 2023 | 11:53 AM IST

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