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Explainer: क्यों महत्वपूर्ण है पीएम मोदी की Cyprus यात्रा? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा और संयुक्त घोषणा पत्र का विश्लेषण

Last Updated- June 16, 2025 | 5:47 PM IST
India Cyprus
India-Cyprus business roundtable meeting

15-16 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने भारत-साइप्रस संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा थी, जिसने न केवल दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों की पुष्टि की, बल्कि एक दूरदर्शी और बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूती प्रदान की।

भारत के UNSC स्थायी सदस्यता दावे का समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में अंर्तराष्ट्रीय कानून, लोकतंत्र, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, और स्थायी विकास के प्रति साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।

  • दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की आवश्यकता को दोहराया और इसे और अधिक प्रतिनिधिक, प्रभावशाली और दक्ष बनाने पर बल दिया। 
  • साइप्रस ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए अपना अटूट समर्थन पुनः व्यक्त किया। 
  • 2024 के Apia Commonwealth Ocean Declaration और Blue Charter Centre of Excellence की पृष्ठभूमि में महासागरीय शासन को वैश्विक स्थिरता का स्तंभ मानने की सहमति बनी। 

भारत ने फिर एक बार साइप्रस की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता के लिए अपने समर्थन को दोहराया। दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि साइप्रस प्रश्न का समाधान संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों और द्वि-क्षेत्रीय, द्वि-सामुदायिक संघीय ढांचे के तहत राजनीतिक समानता के आधार पर होना चाहिए।

Prime Minister Shri Narendra Modi arrived in Nicosia received by President of the Republic of Cyprus, H.E. Mr. Nikos Christodoulides & Foreign Minister of Cyprus, H.E. Mr. Constantinos Kombos at the airport

पहलगाम हमले की निंदा, आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ 

दोनों देशों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों में कड़ी निंदा की और यह स्पष्ट किया कि ऐसे कृत्यों के लिए कोई औचित्य स्वीकार्य नहीं है।

  • पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में अप्रैल 2025 में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए साइप्रस ने भारत के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता प्रकट की। 
  • UNSC 1267 प्रतिबंध सूची, FATF मानकों और वित्तीय नेटवर्कों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की प्रतिबद्धता साझा की गई। 
  • रक्षा उद्योग सहयोग, साइबर सुरक्षा, और नई प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। 
  • दोनों देशों ने सामुद्रिक डोमेन में सहयोग, जैसे पोर्ट कॉल, संयुक्त अभ्यास, और खोज व बचाव संचालन (SAR) में समन्वय को संस्थागत बनाने पर बल दिया। 

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भारत के लिए EU markets का Gateway होगा साइप्रस? 

भारत और साइप्रस ने India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEC) को क्षेत्रीय शांति और आर्थिक एकीकरण का प्रमुख साधन माना।

  • साइप्रस को यूरोप के लिए “Gateway” मानते हुए दोनों देशों ने भारतीय शिपिंग कंपनियों के साइप्रस में स्थापित होने को बढ़ावा देने की योजना बनाई। 
  • लॉजिस्टिक्स, ट्रांसशिपमेंट और समुद्री सेवाओं में संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने पर सहमति हुई। 

साइप्रस के 2026 की शुरुआत में EU अध्यक्षता ग्रहण करने के मद्देनज़र, दोनों नेताओं ने भारत-EU रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का संकल्प लिया।

  • भारत-EU मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को 2025 के अंत तक अंतिम रूप देने पर सहमति। 
  • EU-India Trade and Technology Council के तहत प्रगति को सराहा गया, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और डिजिटल सहयोग प्रमुख क्षेत्र हैं। 

दोनों नेताओं ने वाणिज्य, निवेश, स्टार्ट-अप्स, और अनुसंधान में साझेदारी को बढ़ावा देने का वादा किया।

  • Cyprus–India Business Forum और Business Round Table जैसे मंचों के आयोजन की योजना बनाई गई। 
  • AI, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, और इनोवेशन एक्सचेंज को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर कार्य किया जाएगा। 

लोगों के बीच संपर्क को रणनीतिक संपत्ति मानते हुए:

  • दोनों पक्षों ने Mobility Pilot Program Arrangement को 2025 के अंत तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा। 
  • प्रत्यक्ष हवाई संपर्क को बढ़ाने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य करने पर सहमति बनी। 

भारत- साइप्रस का 2025–2029 Action Plan

इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि भारत और साइप्रस के विदेश मंत्रालयों की निगरानी में एक पांच वर्षीय द्विपक्षीय कार्य योजना तैयार की जाएगी, जो भविष्य के सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों को दिशा देगी।

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प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और संयुक्त घोषणा पत्र ने भारत-साइप्रस संबंधों को केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ला खड़ा किया है। साझा मूल्यों, राजनीतिक समन्वय, आर्थिक पूरकता और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति समर्पण ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि आने वाले वर्षों में यह साझेदारी वैश्विक शांति, प्रगति और बहुपक्षीय सहयोग की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

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First Published - June 16, 2025 | 5:39 PM IST

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