Mutual Fund Overlap: आपने म्युचुअल फंड में अलग-अलग स्कीम में पैसा लगाकर सोचा होगा कि आपका निवेश सुरक्षित और डाइवर्सिफाई हो गया है। जब कि यह पूरी तरह सही नहीं है। एक्सपर्ट मानते हैं कि कई बार यह तरीका या स्ट्रैटेजी धोखा भी दे सकती है। ऐसे में म्युचुअल फंड ओवरलैप से बचने के लिए अलग-अलग स्ट्रैटेजी और टारगेट वाले फंड्स का पोर्टफोलियो बनाना बेहतर रहता है। दरअसल, जब आपकी स्कीम में एक जैसी कंपनियां या स्टॉक्स शामिल होते हैं, तो यह समस्या म्युचुअल फंड ओवरलैप कहलाती है। यहां समझते हैं कि ओवरलैप क्या होता है, इससे क्या नुकसान हो सकते हैं, और कैसे आप अपने पोर्टफोलियो को इस खतरे से बचा सकते हैं।
जब आप दो या उससे ज्यादा म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं और उनमें एक जैसी कंपनियों के स्टॉक्स, बॉन्ड्स या सिक्योरिटीज होती हैं, तो इसे म्युचुअल फंड ओवरलैप कहा जाता है। इससे डाइवर्सिफिकेशन का फायदा घट जाता है क्योंकि आप बार बार एक ही शेयर में निवेश कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपने दो बड़े यानी लार्ज कैप फंड्स में पैसा लगाया है और दोनों में TCS और रिलायंस जैसे शेयर शामिल हैं, तो आपका पैसा एक ही शेयर में दो बार लग रहा है। इससे आपका पोर्टफोलियो ठीक से बैलेंस नहीं रह पाता।
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Moneyfront के को‑फाउंडर और सीईओ मोहित गांग कहते हैं, अगर एक ही शेयर कई म्युचुअल फंड्स में मौजूद हो, तो आपके पूरे निवेश पर एक साथ असर पड़ सकता है। जैसे ही वह शेयर गिरता है, कई फंड्स की वैल्यू एक साथ नीचे आ सकती है। इससे आपका पूरा पोर्टफोलियो ज्यादा रिस्की हो जाता है। ऐसे में आपको लगता है कि आपने अलग-अलग फंड्स में पैसा लगाकर रिस्क को कम किया है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता। यह सिर्फ एक भ्रम है। साथ ही, जब आप एक ही शेयर में कई फंड्स के जरिए निवेश करते हैं, तो हर फंड पर लगने वाली अलग-अलग फीस भी बेकार जाती है। आप सोचते हैं कि आपने डाइवर्सिफाई किया है, लेकिन असल में आपने एक ही एक्सपोजर पर बार-बार पैसा खर्च किया है।
Optima Money के फाउंडर और MD पंकज मठवाल बताते हैं, आप हर म्युचुअल फंड की टॉप होल्डिंग्स यानी जिन शेयरों में सबसे ज़्यादा पैसा लगाया गया है, उनकी लिस्ट देख सकते हैं। इन लिस्टों को आपस में मिलाकर यह पता लगाया जा सकता है कि कौन-कौन से शेयर दो फंड्स में एक जैसे हैं। अगर दो फंड्स की 30 से 40 प्रतिशत तक होल्डिंग्स एक जैसी हों, तो यह म्युचुअल फंड ओवरलैप का संकेत होता है। जब आपको यह पता चल जाए कि कौन से फंड्स में कितनी समानता है, तो आप अपने पोर्टफोलियो की जांच बेहतर ढंग से कर सकते हैं।
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मोहित गांग और पंकज मठवाल मानते हैं कि ओवरलैप से बचने के लिए ऐसे फंड्स चुनें जिनकी स्ट्रैटेजी और टारगेट अलग-अलग हों। जैसे अगर आपने लार्ज कैप फंड में पैसा लगाया है, तो साथ में मिड कैप या स्मॉल कैप फंड को जोड़ सकते हैं। इससे आपका पैसा अलग-अलग जगह फैलेगा।
एक्सपर्ट का कहना है, Flexi Cap या Multi Cap फंड ऐसे होते हैं जो खुद ही अलग-अलग साइज की कंपनियों में निवेश करके अच्छी विविधता देते हैं। इसके अलावा, समय-समय पर अपने पूरे पोर्टफोलियो की जांच करना भी जरूरी है। अगर आपको लगे कि आपके फंड्स में बहुत ज़्यादा एक जैसे शेयर हो गए हैं, तो उनमें बदलाव कर सकते हैं। इस तरह आप यह पक्का कर सकते हैं कि आपका निवेश संतुलित और सुरक्षित बना रहे।
(डिस्क्लमेर: म्युचुअल फंड में निवेश जो खिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)