WeWork IPO: बॉम्बे हाईकोर्ट ने वीवर्क इंडिया (WeWork India) के आईपीओ को मंजूरी देने के मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से जवाब मांगा है। यह मामला एक रिटेल निवेशक विनय बंसल की तरफ से दायर याचिका से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) में कई अनियमितताएं हैं और सेबी ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे उसने अपने ही नियमों का उल्लंघन किया है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि कंपनी ने भारी घाटे और नकारात्मक नेटवर्थ के बावजूद भविष्य के ग्रोथ को लेकर जरुरत से ज्यादा पॉजिटिव आउटलुक दिखाया। लेकिन उससे जुड़े जोखिमों का सही तरीके से खुलासा नहीं किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि कंपनी ने ऐसे कई लंबित मामलों और शिकायतों की जानकारी छुपाई, जो निवेशकों के निर्णय को प्रभावित कर सकते थे।
लाइवलॉ के अनुसार, कंपनी के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं। इनमें 2014 की सीबीआई की भ्रष्टाचार से जुड़ी चार्जशीट शामिल है। इसके अलावा, ईडी की तरफ से PMLA के तहत जांच की जा रही है। नवंबर 2024 में ईओडब्ल्यू ने भी एक चार्जशीट दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2025 के DRHP में ईओडब्ल्यू का मामला शामिल नहीं था। यह जानकारी अगस्त 2025 में जोड़ी गई, जब याचिकाकर्ता ने इस पर आपत्ति जताई।
इसके अलावा, वीवर्क इंडिया पर वैश्विक वीवर्क ब्रांड के साथ अपने संबंधों को गलत तरीके से पेश करने का भी आरोप है। इससे निवेशकों को यह भ्रम हुआ कि कंपनी को पैरेंट फर्म की फाइनेंशियल सहायता और स्थिरता प्राप्त है। याचिका में कहा गया है कि वीवर्क इंडिया के पास ‘WeWork’ ट्रेडमार्क का स्वामित्व नहीं है, बल्कि यह केवल एक मैनेजमेंट लाइसेंस के तहत काम करती है, जो तभी तक वैध है जब तक प्रमोटर्स का कंपनी पर नियंत्रण बना रहता है।
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वीवर्क इंडिया का 3,000 करोड़ रुपये का आईपीओ 3 अक्टूबर 2025 को खुला और 7 अक्टूबर को बंद होने वाला है। इसके शेयरों की कीमत 615 से 648 रुपये के बीच है और लॉट साइज 23 शेयरों का है। लिस्टिंग एनएसई और बीएसई पर 10 अक्टूबर के आसपास होगी। यह आईपीओ पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) है, यानी इसमें कोई नया फंड कंपनी को नहीं मिलेगा, बल्कि मौजूदा शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे।