बेंचमार्क सूचकांकों में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज हुई लेकिन हफ्ते की समाप्ति इसने 2.5 फीसदी की बढ़त के साथ की। वैश्विक निवेशकों की अवधारणा यूरोपीय केंद्रीय बैंक की आक्रामक टिप्पणी, अमेरिकी टेक्नोलॉजी दिग्गज की निराशाजनक आय और यू्क्रेन सीमा पर गहराते संकट से प्रभावित हुई।
सेंसेक्स 143 अंक टूटकर 58,645 पर बंद हुआ। इस हफ्ते सेंसेक्स में 2.5 फीसदी यानी 1,444 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई जब आम बजट में पूंजीगत खर्च पर जोर दिए जाने से आर्थिक रफ्तार मेंं सुधार और कंपनियों की आय में मजबूती की उम्मीद बढ़ी। उधर, निफ्टी 44 अंक फिसलकर 17,516.3 पर बंद हुआ।
पिछले दो हफ्तोंं में देसी बाजारोंं में 7 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी, जिसका कारण महंगाई में नरमी के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरोंं में इजाफे की शुरुआत का फैसला रहा। गुरुवार को ईसीबी ने आक्रामक रुख अपनाया और इस तरह से फेड की सूची में शामिल हो गया क्योंकि ईसीबी अध्यक्ष क्रिस्टिन लेगार्ड ने इस साल ब्याज दरोंं में बढ़ोतरी की संभावना को खारिज नहीं किया। इस बीच, बैंक ऑफ इंगलैंड ने गुरुवार को साल 2004 के बाद पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी क्योंकि उसने मात्रात्मक सख्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी।
देसी बाजारों की शुरुआत इस हफ्ते मजबूती के साथ हुई लेकिन इन अवरोधों के बीच उसने कुछ बढ़त गंवा दी।
इस हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च 35 फीसदी बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये करने की योजना का ऐलान किया ताकि अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो, जहां महामारी के कारण अवरोध पैदा हुआ था।
जियोजित फाइनैंंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, हफ्ते के पहले हिस्से में देसी सूचकांकों में तेजी दिखी क्योंकि बजट घोषणा बाजार की उम्मीद के मुताबिक हुई। जैसे ही वैश्विक संकेतक मंदडिय़ों के हक में आए, देसी बाजारों में उतारचढ़ाव हफ्ते के आखिरी दिनोंं में नजर आने लगे। मेटा की तरफ से कमजोर आय की घोषणा से अमेरिकी बाजारों में दबाव रहा। यूरोपीय बाजार में भी मजबूती नहीं रही क्योंंकि बैंक ऑफ इंगलैंड ने लगातार ब्याज दरोंं में इजाफा किया, वहीं यूरोपीय केंद्रीय बैंंक ने बढ़ती मंहगाई के जोखिम का संज्ञान लिया और भविष्य में ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया।
आगामी हफ्तोंं में आरबीआई की नीतिगत बैठक अहम घटनाक्रम रहेगी, जिसका देसी निवेशक इंतजार कर रहे हैं। आरबीआई रिवर्स रीपो में इजाफा कर सकता है जबकि रीपो दरें अपरिवर्तित रख सकता है।
विदेशी निवेशकों ने 2,268 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, वहींं देसी संस्थान 622 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, बाजार में भले ही ज्यादा उतारचढ़ाव हो लेकिन बजट के बाद अवधारणा सुधरी है। अब वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी और इसके कारण बॉन्ड प्रतिफल में इजाफे पर नजर रहेगी। तेल की कीमतें सात साल के उच्चस्तर 92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से भी महंगाई के लिए चुनौती पैदा होगी। दिसंबर तिमाही के नतीजे अभी तक अच्छे रहे हैं और कंपनियों ने महंगाई के बढ़ते दबाव के बीच अच्छे नतीजे पेश किए हैं।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, निफ्टी-50 की 33 कंपनियोंं ने अब तक नतीजे पेश किए हैं और 18 ने या तो विश्लेषकों का अनुमान पूरा कर लिया या फिर उसके पार निकल गई। उधर, 13 कंपनियां विश्लेषकों के अनुमान से पीछे रही और दो की तुलना नहीं की जा सकती।
वेदांत फैशंस के आईपीओ को 14 फीसदी आवेदन मिले
वेदांत फैशंस के आईपीओ को शुक्रवार को 14 फीसदी आवेदन मिले, जो इस इश्यू का पहला दिन था। आईपीओ की खुदरा श्रेणी में 22 फीसदी जबकि संस्थागत व धनाढ्य निवेशकों की श्रेणी में 6-6 फीसदी आवेदन प्राप्त हुए। इस आईपीओ में 3,149 करोड़ रुपये की द्वितीयक बिक्री शामिल है। कंपनी एंकर निवेशकों से 945 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। इसका कीमत दायरा 824 से 866 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। कीमत दायरे के ऊपरी स्तर पर कंपनी का मूल्यांकन 21,017 करोड़ रुपये बैठता है। बीएस