बीएस बातचीत
अमेरिकी फेड द्वारा दर वृद्घि के बाद बाजार में तेजी संभावित थी। जेएम फाइनैंशियल ऐसेट मैनेजमेंट में इक्विटी के लिए मुख्य निवेश अधिकारी सतीश रामनाथन ने पुनीत वाधवा को एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने अस्थिरता की सवारी करते हुए सभी पोर्टफोलियो में नकदी स्तर बढ़ाया है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
भूराजनीतिक टकराव और मुख्य जिंसों पर उसके प्रभाव के संबंध में क्या बाजारों में दबाव का पूरा प्रभाव दिखा है?
बाजार यूक्रेन संकट के बाद कुछ हद तक स्थिर हुए हैं, लेकिन ये बदलाव ऊर्जा और उर्वरक जैसे कई क्षेत्रों में महसूस किए जा रहे हैं। इसलिए, सभी क्षेत्रों पर दबाव दिखने में समय लगेगा, और हम उम्मीद कर रहे हैं कि कॉरपोरेट मार्जिन कुछ हद तक प्रभावित होगा।
अमेरिकी फेड द्वारा ताजा बयानों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? क्या कोई अन्य बॉन्ड-बाजार संबंधित चिंता की आशंका दिख रही है?
अमेरिकी फेड के कदम से वैश्विक पूंजी प्रवाह कुछ हद तक प्रभावित होगा। भारत जैसे उभरते बाजार बड़ा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह नहीं देख सकते हैं। हालांकि इक्विटी परिसंपत्तियों में भारतीय निवेशक बड़ी बचत कर रहे हैं, जिससे एफपीआई का अभाव महसूस नहीं किया जाएगा।
जहां तक बॉन्ड में अनिश्चितता का सवाल है, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ी हैं, तो बाजारों में अस्थिरता पहले के मुकाबले कुछ हद तक ऊंचे स्तर पर होगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने अभी तक दरें नहीं बढ़ाई हैं, लेकिन भविष्य में उसे ऐसा करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। इसका इक्विटी बाजार धारणा पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है, क्योंकि बचत करने वालों के पास ग्रोथ परिसंपत्तियों में कम विकल्प हैं और कॉरपोरेट आय ताजा डेट में कमी से ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। भविष्य में अमेरिकी फेड दरों में भारी वृद्घि से हालांकि परिसंपत्ति कीमतों में कुछ अस्थिरता पैदा हो सकती है।
क्या आपने ताजा बाजार गिरावट में किसी क्षेत्र में निवेश बढ़ाया है?
यूक्रेन संकट अनुमान के मुकाबले लंबा खिंचता नजर आ रहा है। इसका कीमती धातुओं, कोयला और खाद्य एवं उर्वरक कीमतों पर दीर्घावधि असर पड़ सकता है। हम कुछ जरूरी निवेश आवंटन के अलावा अभी कोई ठोस निर्णय नहीं ले रहे हैं और आईटी जैसे अमेरिका-केंद्रित तथा वित्त, उपभोक्ता और इन्फ्रा जैसे घरेलू व्यवसायों पर अपने पोर्टफोलियो को बनाए रखने के अलावा कोई कोई अन्य बड़े निर्णय नहीं ले रहे हैं।
भारतीय उद्योग जगत के लिए आपका वित्त वर्ष 2023 का आय अनुमान क्या है?
सामान्य तौर पर, हमें वित्त वर्ष 2023 वित्त वर्ष 2021 में ऊंचे मार्जिन और वित्त वर्ष 2022 में गिरावट के बाद समेकन वाली अवधि रहने का अनुमान है। बढ़ती ऊर्जा लागत और खर्च की वजह से गिरावट की धारणा देखी जा सकता है, जिसका प्रभाव पड़ सकता है। तेल एवं गैस कंपनियां मुनाफे में बड़ी वृद्घि दर्ज नहीं कर सकती हैं, क्योंकि वे उपभोक्ताओं पर कीमत वृद्घि का बोझ डालने में सक्षम नहीं रही हैं।
मौजूदा हालात में निवेशकों को आपकी क्या सलाह है?
उतार-चढ़ाव का यह दौर वैश्विक नजरिये से कुछ और समय तक बना रहेगा। हालांकि भारत निर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में कोविड बाद सुधार दर्ज करने में सफल रहा है। अमेरिकी फेड के कदम के अलावा, कई नकारात्मक बदलावों से बाजार पहले ही प्रभावित हुआ है, जिनमें कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, एफपीआई बिकवाली और मुद्रास्फीति संबंधित जोखिम शामिल हैं। हमारा मानना है कि वृद्घि उम्मीद के मुकाबले कम रहेगी और बाजारों को इस वजह से निराशा हाथ लगेगी। इसके अलावा, भारत कॉरपोरेट आय के नरिये से भी अच्छी जगह है। हम निवेशकों को इस दौर में सभी परिसंपत्ति वर्गों से संबंधित पर्याप्त विविधता के साथ अपने पोर्टफोलियो तैयार करने में अनुशासित दृष्टिकोण बरकरार रखने का सुझाव दे रहे है।