भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या पर तीन साल तक भारतीय बाजारों में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई 2006 से 2008 के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) के रास्ते से भारतीय प्रतिभूतियों में पैसा लगाने के लिए की गई है।
पूर्व शराब कारोबारी को तीन साल तक किसी भी लिस्टेड कंपनी से जुड़ने पर भी रोक लगा दी गई है। सेबी ने माल्या की सभी सिक्योरिटी होल्डिंग्स को फ्रीज करने का आदेश दिया है, जिसमें म्यूचुअल फंड यूनिट्स भी शामिल हैं।
माल्या ने मैटरहॉर्न वेंचर्स नाम की एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) कंपनी के जरिए अपने ही समूह की भारतीय कंपनियों के शेयरों में अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार किया। इस तरह से उन्होंने प्रतिभूति बाजार में अपने निवेश की असली पहचान को छिपाया।
सेबी ने कहा कि माल्या ने अपनी पहचान छिपाकर मैटरहॉर्न वेंचर्स नाम की एफपीआई कंपनी के जरिए निवेश किया, जो भारतीय कंपनियों के शेयरधारकों के हित के खिलाफ था। सेबी के आदेश के अनुसार, इस एफपीआई कंपनी का इस्तेमाल हरबर्टसन्स और यूनाइटेड स्पिरिट्स (यूएसएल) जैसी शराब कंपनियों के शेयरों में लेन-देन के लिए किया गया। सेबी ने पाया कि मैटरहॉर्न वेंचर्स के पास हरबर्टसन्स के 9.98 प्रतिशत शेयर थे, जो वास्तव में प्रमोटर श्रेणी के थे और पूरी तरह से माल्या द्वारा फंडेड थे।
कई विलय और अधिग्रहण के बाद हरबर्टसन्स यूनाइटेड स्पिरिट्स (USL) बन गई, जो अब ब्रिटिश कंपनी डायजियो के स्वामित्व में है। सेबी ने कहा कि माल्या के ऐसे काम न सिर्फ धोखाधड़ी और छलपूर्ण हैं, बल्कि सिक्योरिटीज बाजार की ईमानदारी के लिए खतरा भी हैं। इससे पहले, 1 जून 2018 के एक आदेश में, सेबी ने माल्या को तीन साल के लिए प्रतिभूति बाजार में प्रवेश करने से रोक दिया था। यह कार्रवाई यूएसएल के पैसों के गलत इस्तेमाल और अनुचित लेन-देन के लिए की गई थी।