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दर्शक बढ़े, कंटेंट में सुधार से मल्टीप्लेक्स शेयर चढ़े

Last Updated- December 12, 2022 | 12:42 AM IST

फिल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंधों में महाराष्ट्र द्वारा ढील दिए जाने के बाद मल्टीप्लेक्स कंपनियों के शेयरों में 6-8 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। महाराष्ट्र के अलावा कई अन्य राज्यों द्वारा इस तरह के कदम उठाए जाने की संभावना है। महाराष्ट्र ने थिएटरों को 22 अक्टूबर से पूरी क्षमता के साथ परिचालन करने की अनुमति दी है और कर्नाटक तथा राजस्थान जैसे अन्य राज्यों ने भी 100 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ परिचालन की अनुमति प्रदान की है। 

जहां पीवीआर का शेयर सोमवार को 5.7 प्रतिशत चढ़ा, वहीं आईनॉक्स लीजर में 8.1 प्रतिशत की तेजी आई। विश्लेषकों ने यह भी कहा है कि मल्टीप्लेक्सों की रेटिंग में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है, क्योंकि मूल्यांकन पूर्व के स्तरों के मुकाबले नीचे थे।

मौजूदा समय में,कई अन्य राज्यों की ऑक्यूपेंसी यानी दर्शक दर (50-60 प्रतिशत) है। महाराष्ट्र सरकार का निर्णय त्योहारी सीजन से पहले एक मुख्य अल्पावधि कारक है, क्योंकि इस राज्य का हिन्दी फिल्मों के लिए कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में 25-30 प्रतिशत योगदान है। पीवीआर के 849 स्क्रीन में इस राज्य का 18 प्रतिशत और आईनॉक्स के 648 स्क्रीन में 20 प्रतिशत योगदान है।

पिछले डेढ़ साल के दौरान फिल्म रिलीज में सुस्ती को देखते हुए बड़ा कंटेंट उपलब्ध है, जिसमें बड़े बजट की फिल्में भी शामिल हैं, जिन्हें अगली कुछ तिमाहियों में रिलीज किया जाना है। 80 प्रतिशत आबादी को कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत तक टीका लगने से ब्रोकरों को मल्टीप्लेक्सों में दर्शकों की संख्या बढऩे की संभावना है, क्योंकि कई और राज्यों ने भी प्रतिबंधों में ढिलाई दी है। सूचीबद्घ कंपनियों के लिए कई सकारात्मक बदलाव आए हैं।

एडलवाइस रिसर्च के अबनीश रॉय और अमृतासाई सिस्ता का मानना है कि कार्निवल द्वारा पीवीआर और आईनॉक्स के लिए संभावनाएं पैदा किए जाने की संभावना है। उनका कहना है, ‘चौथी सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर को ऊंचे कर्ज की वजह से संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, जिससे टॉप-2 कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धी तीव्रता घट सकती है। कार्निवल का मौजूदा कर्ज 700 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।’

जहां फिल्में ओवर-द-टॉप या ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर लगातार रिलीज की जाएंगी, वहीं कई प्रोडक्शन हाउसों द्वारा बड़े बजट की फिल्मों को थिएटर में रिलीज करने के निर्णय और दर्शकों की संख्या बढऩे से मल्टीप्लेक्सों को मदद मिल सकती है। 

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के जयकुमार दोशी का कहना है, ‘फिल्मों की थिएंटर संबंधित और डिजिटल रिलीज बंद करने के डिज्नी के निर्णय से थिएटरों की महत्ता स्पष्ट हुई है और उसके लिए ओटीटी से ढांचागत जोखिम से संबंधित चिंताएं दूर हुई हैं।’

जहां इस सेक्टर के लिए टिकट संग्रह बड़ा राजस्व स्रोत है, वहीं बाजार की नजर मुनाफे पर दबाव को देखते हुए विज्ञापन एवं फूड/बेवरेज (एफऐंडबी) सेगमेंट पर लगी रहेगी। एफऐंडपी से मल्टीप्लेक्स ऑपरेटरों के लिए प्राप्तियों में सुधार आ रहा है। उदाहरण के लिए, पीवीआर के संदर्भ में प्रति दर्शक खर्च में एफऐंडबी की भागीदारी 6 साल पहले के 36 प्रतिशत से सुधरकर वित्त वर्ष 2021 में 55 प्रतिशत पर पहुंच गई।

First Published - September 27, 2021 | 11:50 PM IST

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