Union Budget 2024: सरकार ने राजस्व बढ़ाने, सट्टा कारोबार पर लगाम लगाने और स्थिर निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इक्विटी ट्रेडिंग पर कर बढ़ा दिया है। सभी संपत्ति वर्गों पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) 12.5 प्रतिशत कर दिया गया हैजो अभी 10 प्रतिशत है। कम अवधि के पूंजीगत लाभ कर (एसटीसीजी) को बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया हैजो अभी 15 प्रतिशत है। नए कर 23 जुलाई से लागू हो गया है।
2018 में सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों को एलटीसीजी के दायरे में लाया गया था और इन पर 10 प्रतिशत कर लगाया गया। बढ़े कर का असर कम करने के लिए सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर एलटीसीजी से मिलने वाली छूट की राशि बढ़ाकर 1,25,000रुपये सालाना कर दी गई हैजो पहले 1,00,000 रुपये सालाना थी।
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि बजट में पूंजीगत लाभ कर की दरों में प्रस्तावित बदलावों से खजाने में 15,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आने की संभावना है।
कानून के जानकारों ने कहा कि बढ़ा हुआ कर म्युचुअल फंडों सहित पुराने निवेश पर भी लागू होगान कि सिर्फ नए निवेशों पर ही लागू होगा। बहरहाल अगर लाभ अब तक लिया जा चुका है तो पुराने कर की दरें ही लागू होंगी। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, ‘पूंजीगत लाभ कर में प्रस्तावित बदलाव का मकसद व्यवस्था को सरल बनाना है, लेकिन इससे करदाताओं पर बोझ बढ़ सकता है।’
डेरिवेटिव सेग्मेंट में भागीदारी कम करने के मकसद से फ्यूचर्स ऐंड ऑप्शन (एफऐंडओ)में कारोबार में भारी वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए उन पर एसटीटी बढ़ा दिया गयाहै, जो 1 अक्टूबरसेप्रभावीहोगा। ऑप्शंस पर अब 0.1 प्रतिशत एसटीटी लगेगाजबकि फ्यूचर्स पर यह 0.03 प्रतिशत होगा। अभी ऑप्शंस पर एसटीटी 0.062 प्रतिशत और फ्यूचर्स पर 0.0125 प्रतिशत है।
एफऐंडओ को सामान्यतया जहां हेजिंग के अवसर के रूप में देखा जाता है। लेकिन यह ‘जुए’ की तरह हो गया है। इससे खुदरा निवेशकों को नुकसान की अधिक संभावना रहती है। बजट के एक दिन पहले आई आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है। इसी तरह की चिंता कई वित्तीय नियामक जता चुके हैं।
ब्रोकरों का मानना है कि ज्यादा शुल्क लगने से एफऐंडओ में दाव लगाने में संभवतः निवेशकों के कदम नहीं रुकेंगेलेकिन इससे कुछ गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती हैक्योंकि ब्रेक इवन की सीमा बढ़ा दी गई है। कुछ का मानना है कि ज्यादा एसटीटी होने से एक्सचेंज टर्नओवर शुल्क में कमी की भरपाई हो जाएगी।
कोटक सिक्योरिटीज में डिजिटल बिजनेस के प्रेसीडेंट और हेड आशीष नंदा ने कहा, ‘यह वही तिथि है (1 अक्टूबर)जब एक्सचेंज टर्नओवर शुल्क घट जाएगा। मेरे विचार से इसका कुल मिलाकर ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा। ऑप्शंस पर एसटीटी प्रति 10,000 रुपये राउंड ट्रिप प्रीमियम टर्नओवर पर 3.75 रुपये बढ़ेगा, जबकि एक्सचेंज टर्नओवर शुल्क करीब 3.50 से 4 रुपये तक घट सकता है।’
कुछ ब्रोकरेज ने संकेत दिए हैं कि अगर मात्रा मौजूदा स्तर पर बनी रहती है तो एसटीटी संग्रह में दो तिहाई वृद्धि हो सकती है।
देश में सबसे ज्यादा मुनाफे में चल रही ब्रोकरेजजीरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामत ने कहा, ‘पिछले साल 1,500 करोड़ रुपये के करीब एसटीटी का संग्रह हुआ था। अगर मात्रा में कमी नहीं आती है तो नई दरों पर यह बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये हो जाएगा।’
सरलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए सरकार ने पूंजीगत लाभ को दो होल्डिंग अवधियों में वर्गीकृत किया है। सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के लिए यह 12 महीने और अन्य सभी संपत्तियों के लिए यह 24 महीने रखा गया है।
इस बदलाव से डेट म्युचुल फंडों और रीट्स/इनविट्स को लाभ होगाजहां दीर्घावधि अब 12 महीने और इसके ऊपर होगाजो पहले 36 महीने था। अगर इसे 12 महीने से ज्यादा रखा जाता है तो इस तरह की डेट संपत्तियों पर 12.5 प्रतिशत कर लगेगा।
एलटीसीजी को लेकर नए बदलाव गैर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर भी लागू होंगेवहीं इस तरह के निवेशों पर कर की दर 20 प्रतिशत से घटकर 12.5 प्रतिशत रह जाएगी। बहरहाल संभवतः इससे बहुत फायदा नहीं होगा।
गांधी ने कहा, ‘एक बड़े बदलाव के तहत, रियल एस्टेट सहित गैर-सूचीबद्ध परिसंपत्तियों को मिलने वाले इंडेक्सेशन कालाभ पूरी तरह समाप्त कर दिया गयाहै। इससे दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत किए जाने का फायदा कुछ हद तक कम हो जाएगा।’