ईएसजी फंड की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) पिछले दो साल में 4.7 गुना बढ़कर 12,300 करोड़ रुपये हो गईं जो नवंबर 2019 में 2,630 करोड़ रुपये थीं।
वैश्विक स्थायित्व एयूएम के लिहाज से भारत में ईएसजी निवेश का आकार फिलहाल नगण्य है लेकिन उसमें लगातार वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 ने स्थायी निवेश की मांग को बढ़ावा दिया है। यही कारण है कि 10 ईएसजी फंडों में 7 ऐसे फंड हैं जिन्हें पिछले साल जनवरी के बाद लॉन्च किया गया है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज ने एक नोट में कहा है कि भारत में ईएसजी फंडों की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 30 नवंबर 2021 तक म्युचुअल फंड उद्योग के कुल एयूएम के मुकाबले महज 0.3 फीसदी थी। इसमें 62 फीसदी स्थायी निवेश परिसंपत्तियों के साथ कनाडा की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। उसके बाद 42 फीसदी हिस्सेदारी के साथ यूरोप, 38 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ऑस्ट्रेलिया, 33 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अमेरिका और 24 फीसदी हिस्सेदारी के साथ जापान का स्थान रहा। जापान को छोड़कर एशिया की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम रही।
संयुक्त राष्ट्र स्थायी विकास रिपोर्ट 2021 के अनुसार, सभी स्थायी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में कुल प्रगति के मामले में भारत 120वें स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हाल में भारत ने शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए अपनी प्रतिबद्धता को हासिल करने के लिए 2070 की समयसीमा निर्धारित की है। आगामी वर्षों में स्थायित्व के मामले में तेजी से प्रगति होने की उम्मीद है।’
वैल्यू रिसर्च के अनुसार, ईएसजी फंडों ने सालाना 33.5 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है। ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, चूंकि अधिकतर ईएसजी फंड हाल में ही शुरू हुए हैं, इसलिए बेंचमार्क सूचकांकों के साथ उनके प्रदर्शन का आकलन करना उचित नहीं होगा।
ब्रोकरेज ने कहा, ‘विकासशील क्षेत्रों में पूंजी बाजार के शैशव अवस्था को देखते हुए ईएसजी फंडों दमदार प्रदर्शन कहीं अधिक होना चाहिए क्योंकि अग्रणी और कमजोर ईएसजी के बीच का अंतर बड़ा है। यही भारत पर भी लागू होता है। इसकी झलक एमएससीआई इंडिया ईएसजी लीडर्स इंडेक्स बनाम एमएससीआई इंडिया इंडेक्स में दिखती है।’
