भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सात कृषि जिंसों के लिए डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार के निलंबन को 31 जनवरी, 2025 तक बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि कारोबारी सूत्रों का कहना है कि पिछले समय के विपरीत, इस बार कारोबार निलंबन में विस्तार एक महीने से ज्यादा समय का दिया गया है जिससे इसे लेकर उम्मीद जगी है कि कुछ कृषि जिंसों (खासकर एडिबल ऑयल कॉम्पलेक्स से संबंधित) में वायदा कारोबार निकट भविष्य में पुनः शुरू हो सकता है।
देर रात जारी अधिसूचना के अनुसार, सात जिंसों – धान (गैर-बासमती), गेहूं, चना, सरसों और उसके डेरिवेटिव, सोयाबीन और उसके डेरिवेटिव, क्रूड पाम तेल और मूंग के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध 20 दिसंबर, 2024 को समाप्त होना था। हालांकि एक्सपायरी के ठीक एक दिन पहले प्रतिबंध को आगे बढ़ा दिया गया।
सेबी ने इससे पहले दिसंबर 2021 में पांच जिंसों (गेहूं, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल, धान और मूंग) के लिए डेरिवेटिव कारोबार तुरंत प्रभाव से एक साल तक रोकने की घोषणा की थी। इन पांच जिंसों के अलावा, सेबी ने 17 अगस्त 2021 और 8 अक्टूबर 2021 को चना, मस्टर्ड सीड, मस्टर्ड ऑयल वायदा अनुबंधों को निलंबित कर दिया। तब से, बाजार नियामक नियमित रूप से प्रतिबंध को बढ़ा रहा है। आखिरी प्रतिबंध 20 दिसंबर 2024 तक था।
सेबी की प्रेस विज्ञप्ति में प्रतिबंध के कारणों और उसके बाद इसे आगे बढ़ाए जाने का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन यह माना गया कि यह प्रतिबंध वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए किया गया था। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग को प्रतिबंधित करने के लिए नियामक को भी दोषी ठहराया जाना चाहिए था और उसे मार्जिन और सर्किट ब्रेकर के मामले में और अधिक सख्त होना चाहिए था। हालांकि, अब जब घरेलू बाजारों में तिलहन की कीमतें गिर गई हैं, तो वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने से कीमतों को जरूरी सहारा मिलेगा।’