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खुदरा निवेश में बड़ी गिरावट नजर नहीं आएगी

Last Updated- December 11, 2022 | 7:42 PM IST

बीएस बातचीत
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी के चक्र को बाजार पहले ही समाहित कर चुका है। यह कहना है टाटा एआईजी लाइफ के मुख्य निवेश अधिकारी हर्षद पाटिल का। पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार के मुख्य अंश..
बाजारों के आउटलुक को लेकर आपकी क्या राय है?
भूराजनीतिक तनाव के कारण बाजारों मेंं हुए काफी उतारचढ़ाव से जिंसों की कीमतें बढ़ीं, लिहाजा अल्पावधि में आय पर असर पड़ रहा है। ऐसे में हमारा मानना है कि बाजार सीमित दायरे में रह सकता है और भूराजनीतिक तनाव खत्म होने और महंगाई का दबाव सामान्य होने के बाद ही फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। हम साल 2022 में बाजार से कम रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। कुल मिलाकर वित्तीय क्षेत्र खास तौर से बड़े बैंक निवेश का सुरक्षित गंतव्य हो सकता है क्योंंकि मूल्यांकन सस्ते हैं और परिसंपत्ति गुणवत्ता व बढ़त के परिदृश्य में सुधार हो रहा है।
क्या अभी कुछ निकासी सही रणनीति होगी?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी का चक्र पहले ही बाजार समाहित कर चुका है। हालांकि अगर अमेरिका में महंगाई में और बढ़ोतरी होती है तो बाजार उस पर प्रतिक्रिया जताने को बाध्य हो सकता है।

बाजार में हो रहे काफी उतारचढ़ाव के बीच क्या आपको खुदरा भागीदारी नरम होने की आशंका है?
खुदरा निवेश वाली रकम अन्य परिसंपत्ति वर्ग में आकर्षक वैकल्पिक निवेश गंतव्य के अभाव की वजह से आती है। किसी भी उभरते वैकल्पिक निवेश विकल्प से कुछ निकासी हो सकती है, लेकिन हमें अभी खुदरा निवेश में खास कमी नहीं दिखती। इसके अतिरिक्त हम एसआईपी व यूलिप आदि के जरिए रकम बाजार में लगातार आते देख रहे हैं।

साल 2022 में आपकी निवेश रणनीति क्या रही है?
पोर्टफोलियो का हमारा तरीका हमेशा से ही गिरावट में खरीदारी और फंडामेंटल व मूल्यांकन के आधार पर शेयरों का चयन रहा है, चाहे बाजार की चाल व उससे जुड़ा उतारचढ़ाव कैसा भी हो। मौजूदा समय में उतारचढ़ाव के देखते हुए सतर्क रहना बुद्धिमानी भरा कदम होगा।

मार्च तिमाही के नतीजों से आपको क्या उम्मीदें हैं?
भूराजनीतिक संकट के कारण विभिन्न क्षेत्रों में आपूर्ति शृंखला के अवरोध स्पष्ट तौर पर नजर आए हैं और मौजूदा तिमाही की आय के अनुमान में इन चीजों को समाहित किया जाएगा। हम आपूर्ति शृंखला के इन अवरोधों के समाधान पर नजर रखे हुए हैं और कंपनियों की उस क्षमता पर भी कि वे कैसे इन बढ़ी लागतों का भार ग्राहकों पर डालते हैं और वह भी मांग पर असर डाले बिना। बढ़ती इनपुट लागत के कारण तिमाही सुस्त रह सकती है, लेकिन वित्त वर्ष 23 के आंकड़े आय में थोड़ी बढ़ोतरी दिखा सकते हैं।

जिंस की बढ़ती कीमतों ने एक बार फिर महंगाई का डर पैदा किया है। विदेशी निवेशक सरकार से किस तरह की नीतिगत प्रतिक्रिया चाह रहे हैं?
जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी वैश्विक इक्विटी बाजारों के उतारचढ़ाव की मुख्य वजहों में से एक है। बाजार एक हद तक जिंसों की बढ़ी कीमतों को समाहित कर रहा है लेकिन इसका स्तर और कितने समय तक यह टिका रहता है, ये चीजें सामान्य तौर पर अर्थव्यवस्था व कंपनियों की आय पर कितना असर डालेंगी इसका आकलन करने के लिए अहम है।
 

First Published - April 20, 2022 | 1:15 AM IST

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