विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली के बीच बाजार तीसरे दिन भी गिरावट के शिकार हुए। रुपये में लगातार गिरावट और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीतिगत रुख को लेकर चिंताओं ने भी सुरक्षित दांवों को बढ़ावा दिया है।
बुधवार को सेंसेक्स 502 अंक या 0.6 प्रतिशत गिरकर 80,182 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 137 अंक या 0.6 प्रतिशत गिरकर 24,199 पर बंद हुआ। बुधवार को एफपीआई ने 1,317 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जिससे उनकी तीन दिन की बिकवाली बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये हो गई। इससे सेंसेक्स और निफ्टी में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
बाजार कारोबारी इक्विटी बाजारों में लगातार उतार-चढ़ाव को लेकर आगाह कर रहे हैं। इसके लिए वे घरेलू आय वृद्धि और जीडीपी में सुस्ती, रुपये में कमजोरी तथा महंगे मूल्यांकन जैसी चुनौतियों का हवाला दे रहे हैं। बाजार में तेजी आने पर निवेशक मुनाफावसूली कर सकते हैं।
अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 84.96 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ। रुपया इस साल डॉलर की तुलना में अब तक 2.06 फीसदी गिर चुका है। रुपये में कमजोरी भारत के व्यापार घाटे को लेकर चिंताओं की वजह से भी आई है। व्यापार घाटा सोने के आयात में वृद्धि और निर्यात में गिरावट के कारण नवंबर में बढ़कर 37.84 अरब डॉलर हो गया जो अक्टूबर में 27.14 अरब डॉलर था। सालाना आधार पर व्यापार घाटा 20.7 अरब डॉलर से लगभग दोगुना हो गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों से जुड़ी चिंताओं और उभरते बाजारों के निवेश प्रवाह पर उनके असर ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। इलारा कैपिटल की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी फंडों ने कई उभरते और विकसित बाजारों (ईएम और डीएम) से निकासी की है और डॉनल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने से पहले उन्होंने अमेरिका में निवेश पर जोर दिया है। इलारा की ग्लोबल लिक्विडिटी ट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह 41 ईएम और डीएम क्षेत्रों में से 39 से बिकवाली की। इसके विपरीत अमेरिकी इक्विटी में 8 अरब डॉलर का निवेश हुआ जो लगातार 10वें सप्ताह वहां मजबूत विदेशी निवेश दर्शाता है।
बैंक ऑफ अमेरिका ने मंगलवार को बताया कि कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) के प्रतिशत के रूप में नकदी का स्तर दिसंबर में गिरकर 3.9 प्रतिशत रह गया। यह ऐसा संकेत है जो अक्सर वैश्विक इक्विटी बिकवाली से पहले दिखता है। हालांकि, ताजा गिरावट से पहले दोनों सूचकांक अपने नवंबर के निचले स्तर से 6 प्रतिशत तक चढ़ गए थे।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘भारतीय बाजारों में शुरुआत में आई सांता क्लॉज तेजी में गिरावट दिख रही है, जिसका असर विकसित बाजारों की तुलना में भारत में ज़्यादा है क्योंकि डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है। नए अमेरिकी प्रशासन की संभावित नीतियों और टैरिफ बदलावों से पहले बाजार की धारणा काफी सतर्क बनी हुई है। भारत में महंगे मूल्यांकन ने भी धारणा को और सतर्क किया है क्योंकि यह पिछली दो तिमाहियों की मौजूदा आय वृद्धि के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसके अलावा, नवंबर में व्यापार घाटा बढ़ने से भी घरेलू धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।’
बुधवार को सेंसेक्स के दो-तिहाई से ज्यादा शेयरों में गिरावट आई। एचडीएफसी बैंक में 1.2 फीसदी की गिरावट आई जिसका सेंसेक्स की गिरावट में बड़ा योगदान रहा। आईसीआईसीआई बैंक में 1.5 फीसदी की गिरावट आई। बाजार धारणा कमजोरी बनी रही। गिरने वाले शेयरों की संख्या 2,614, जबकि चढ़ने वाले शेयरों की तादाद 1,391 दर्ज की गई।