facebookmetapixel
फंडिंग का विस्तार: आईपीओ निवेश और शेयर के बदले लोन की सीमा बढ़ेगीटाटा मोटर्स ने हैरियर, सफारी के लिए बदली रणनीतिकारोबार विभाजन के बाद टाटा मोटर्स के शेयरों में उठा-पटक संभवमहाराष्ट्र में एक नवंबर से चीनी मिलें शुरू करेगी गन्ना पेराई, ₹3,550 प्रति टन के हिसाब से मिलेगी एफआरपीRBI के फैसले के बाद क्या करें निवेशक? MF के जरिए बॉन्ड में लगाएं पैसा या बना लें दूरीCabinet Decisions: असम में NH-715 के कलियाबोर-नुमालीगढ़ खंड को चौड़ा करने को मिली मंजूरी, खर्च होंगे ₹6,957 करोड़अमेरिकी सरकार का शटडाउन: वीजा और प्रवासन आवेदकों पर असरअगली पॉलिसी में RBI सस्ता कर सकता है कर्ज! एनॉलिस्ट का अनुमान- आगे 25-75 bps घट सकती हैं ब्याज दरेंGST रेट कट का दिखा असर, सितंबर में कलेक्शन 9% बढ़कर ₹1.89 लाख करोड़ के पार निकलाRabi Crops MSP Hike: किसानों को दिवाली तोहफा! सरकार ने रबी फसलों की MSP बढ़ाई, गेहूं पर ₹160/ क्विंटल का इजाफा

टाटा स्टील-चक्के पर सवार

Last Updated- December 07, 2022 | 8:01 AM IST

अब जबकि स्टील की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं तो इसमें हमें शंका नहीं होनी चाहिए कि 131,535.8 करोड़ की टाटा स्टील ने मार्च 2008 की मार्च तिमाही में बेहतर वापसी अर्जित की है।


विशेषकर कंपनी ने भारी मात्रा में उच्च मूल्य के उत्पादों की बिक्री ऑटोमोटिव और कंस्ट्रक्सन कंपनियों को की है। कंपनी के प्रबंधकों का मानना है कि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था में इसी प्रकार की मंदी जारी रहती है तो स्टील की मांग में भी कमी आएगी लेकिन स्टील की कीमतों के स्थिर बने रहने के आसार हैं।

टाटा स्टील के एक चौथाई सौदे सालाना आधार पर हैं और जब कंपनी के ये सौदे अप्रैल 2008 में समाप्त होंगे तो कंपनी इन सौदों पर ठीक प्रकार से पुन: विचार कर सकती है। यद्यपि मार्च 2008 की तिमाही में टाटा स्टील का स्टैंडएलोन उत्पादन थोड़ा ही बढ़ा है। लेकिन कंपनी ने इस बार ऊंची औसत बिक्री अर्जित की और यह 44,850 रुपये केस्तर पर रही जो पिछले साल के स्तर की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा है। इस वजह से कंपनी का राजस्व 15 फीसदी बढ़कर 5,737 करोड़ पर पहुंच गया।

ऊर्जा खपत पर नियंत्रण और लागत को कम करने के लिए उठाए गए कदमों की वजह से कंपनी को बेहतर ऑपरेटिंग मार्जिन अर्जित करने में मदद मिली। कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 3.6 फीसदी बढ़कर 42 फीसदी के स्तर पर रहा। सबसे बड़ी बात यह रही कि कच्चे माल की कीमतों का बिल सपाट स्तर पर रहा। हालांकि कंपनी की अनुषंगी कंपनी कोरस का मार्च 2008 की तिमाही का परिणाम अच्छा नहीं रहा क्योंकि इसका अपनी मूल कंपनियों की तरह कोई इंटीग्रेटेड ऑपरेशन नहीं है।

कंपनी के पास लौह अयस्क की तरह के कच्चे माल भी उपलब्ध नहीं हैं। कीमतों में वृध्दि के जरिए कोरस कच्चे माल की कीमतों से निपटने में सफल रही और भविष्य में कंपनी अपनी कीमतें बढ़ा सकती है। कंपनी ने अपने फ्लैट रोल उत्पादों के दाम को 20 फीसदी से 30 फीसदी तक बढ़ाने की घोषणा की है। इससे कंपनी को अपना लाभ बरकरार खने में मदद मिलेगी। कोरस का आपरेटिंग मार्जिन पिछले साल की तुलना में इस साल बेहतर स्तर पर रहा। कंपनी के प्रबंधन का मानना है कि यूरोप में मांग बढ़ सकती है।

टाटा स्टील में शामिल होने के बाद कोरस को प्रति साल 450 मिलियन डॉलर की बचत का भरोसा है और यह आगे और बढ़ सकती है। स्टील कंपनियां कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के बोझ का सामना कर रही हैं विशेषत: कोक की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। टाटा स्टील ने खानों के अधिग्रहण का फैसला लिया है चाहे वह कोयले की खान हो या अयस्क या लाइमस्टोन की। उसने कुछ परिसंपत्तियों को खरीदना भी शुरु कर दिया है। टाटा कंपनी केकुछ हिस्से की पुन: संरचना कर रही है। कंपनी कुछ नगदी जुटाने के लिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच भी सकती है।

कंपनी का प्रबंधन चाहता है कि कंपनी अपनी जरुरतों का 45 से 50 फीसदी हिस्सा अपनी खानों से प्राप्त करे। टाटा स्टील की शेयरों की कीमतों में पिछले महीने के दौरान 20 फीसदी की गिरावट आई थी। यद्यपि यह गुरुवार को हुए कारोबार में दो फीसदी ज्यादा रहकर 757 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी केस्टॉक का इस समय कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से सात गुना के स्तर पर हो रहा है और इसके आउटपरफार्म करने की संभावना है। सेल, जिसने भी मार्च की तिमाही में बेहतर वापसी प्राप्त की,का कारोबार 155 रुपये के स्तर पर हो रहा है और यह वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 5.5 गुना के स्तर पर हो रहा है।

First Published - June 27, 2008 | 10:56 PM IST

संबंधित पोस्ट