लंबी अवधि के डेट फंड पिछले साल प्रतिफल के चार्ट पर शीर्ष पर रहे। इन फंडों को गिरती ब्याज दरों के परिवेश से मदद मिली।
चार ऐसी श्रेणियों- लॉन्ग ड्यूरेशन, 10 वर्षी अवधि के साथ गिल्ट, गिल्ट और मध्यावधि से दीर्घावधि- ने दो अंक में प्रतिफल दिया। संक्षिप्त अवधि के फंडों का प्रदर्शन कमजोर रहा, जबकि क्रेडिट रिस्क फंड महज 0.3 प्रतिशत के प्रतिफल के साथ सबसे खराब श्रेणी थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नीतिगत दरों में कटौती और बैंकिंग व्यवस्था में पूंजी डालकर 2020 में अपनी मौद्रिक नीति को नरम बनाए रखा। रीपो दर में 115 आधर अंक तक की कमी हुई और रिवर्स रीपो दर में 155 आधार अंक की कटौती की गई। इससे पहले 2019 में नीतिगत दरों में 135 आधार अंक की कमी हुई थी। दरों में कटौती से खासकर लंबी अवधि के बॉन्ड फंडों को फायदा हुआ, क्योंकि जब ब्याज दरों में नरमी आई तो बॉन्ड कीमतें बढ़ गईं।
कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट में अध्यक्ष एवं मुख्य निवेश अधिकारी (डेट) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, ‘वर्ष 2020 पहली छमाही तक दर कटौती के लिहाज से आकर्षक था और इससे निर्धारित आय प्रतिफल में पूंजीगत लाभ को बढ़ावा मिला। अतिरिक्त नकदी की स्थिति बनी रही और इससे प्रतिफल की राह को मदद मिली। हम आरबीआई द्वारा ओपन मार्केट परिचालन का प्रयास भी देखा जिससे सरकारी प्रतिभूतियों की राह मजबूत बनी रहेगी।’
रीपो दर मौजूदा समय में 4 प्रतिशत के आसपास और रिवर्स रीपो दर 3.35 प्रतिशत पर है। सुंदरम एमएफ में निर्धारित आय के सीआईओ द्विजेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार, बैंकिंग एवं पीएसयू फंडों के साथ साथ कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों ने लंबी अवधि के फंडों के मुकाबले बेहतर जोखिम समायोजित प्रतिफल दिया है और वे क्रेडिट तथा अवधि दोनों में सुरक्षित विकल्प हैं। उन्होंने कहा, ‘इनमें से ज्यादातर फंड मध्यावधि के होंगे, अक्सर 3-4 वर्ष के। उदाहरण के लिए, लगभग 80 प्रतिशत कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों ने स्वयं को एएए-रेटिंग वाली योजनाओं के तौर पर स्थापित किया है।’
वर्ष 2021 में प्रवेश के साथ, निर्धारित आय प्रदर्शन के वाहक बदलने की संभावना है, क्योंकि और ज्यादा दर कटौती की गुंजाइश सीमित रह सकती है। क्वांटम एएमसी में फिक्स्ड इनकम के फंड प्रबंधक पंकज पाठक ने कहा, ‘बॉन्ड बाजार की बड़ी तेजी अब पीछे छूट चुकी है। मौजूदा समय में, बॉन्ड प्रतिफल वर्ष के निचले स्तरों पर हैं और पूंजीगत लाभ की गुंजाइश सीमित दिख रही है। इसलिए, नए साल में निवेशकों को फिक्स्ड इनकम फंडों से प्रतिफल को लेकर अपनी उम्मीदें कम रखने की जरूरत होगी।’
पाठक का मानना है कि आरबीआई मौद्रिक नीति को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगी और 2021 के मध्य तक अतिरिक्त नकदी घटाएगी। उनका कहना है कि ऐसे परिवेश में, ओवरनाइट और अल्पावधि ब्याज दरों में तेजी शुरू हो सकती है,जो लिक्विड फंडों से संभावित प्रतिफल के लिए सकारात्मक है। अय्यर ने कहा, ‘2021 के लिए थीम ‘चेज द कैरी’ रहेगा, पूंजीगत वृद्घि बॉन्ड बाजारों के लिए दूसरी संभावना हो सकती है।’ श्रीवास्तव ने कहा कि एक साल के निवेश नजरिये वाले निवेशक 1-3 वर्षों की अवधि के साथ अल्पावधि फंडों में निवेश कर सकते हैं।
