पिछले नौ महीनों में बाजार में कमजोर मनोबल के कारण नकदी बाजार की मात्रा और मार्जिन ट्रेडिंग खातों में लगातार गिरावट आई है। जून 2024 में अपने सर्वोच्च स्तर से कैश मार्केट वॉल्यूम में 45 फीसदी की गिरावट आई है जबकि मार्जिन खाते (जिसका इस्तेमाल कारोबारी शेयर खरीद के लिए करते हैं) सितंबर 2024 के अपने उच्चतम स्तर से 16 फीसदी नीचे आ गए हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरावट के कारण पस्त मनोबल और नियामकीय परिवर्तन दोनों हैं। इस वजह से ऑप्शन प्रीमियम के वॉल्यूम में भी कमी आई है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि मार्जिन खातों में सिकुड़न और लेवरेज में कमी से बाजार में तरलता और निवेशक भागीदारी को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं।
हालांकि इस महीने शेयर कीमतों में थोड़ी बहाली हुई है लेकिन नकदी बाजार में रोजाना का औसत कारोबार मासिक आधार पर 3 फीसदी घटा है। यह लगातार गिरावट का तीसरी महीना है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, एनएसई में नकदी में कारोबार का घटना जारी रहा और मार्च के पहले दो सप्ताह में रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम (एडीटीवी) 5.7 फीसदी घटा जबकि बीएसई में वॉल्यूम स्थिर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑप्शन प्रीमियम में गिरावट नियमन लागू होने से पहले ही हो गई थी। इसके साथ-साथ नए डीमैट खातों में कमी आई और सक्रिय ट्रेडरों की संख्या भी घटी। मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (एमटीएफ) वॉल्यूम (जो ट्रेडरों को प्रतिभूतियां खरीदने के लिए ब्रोकरों से उधार की सुविधा देता है) भी फरवरी की तुलना में इस महीने 3 फीसदी से अधिक नीचे आया है।
शेयर के मूल्य के एक हिस्से के अग्रिम भुगतान के बाद निवेशक एमटीएफ के लिए पात्र हो जाते हैं। इस में ब्रोकर ब्याज पर शेष राशि देते हैं। हालांकि, बाजार की अनिश्चितता ने इस लेवरेज के प्रति ट्रेडरों की इच्छा कम कर दी है। हेज्ड डॉट इन के सीईओ राहुल घोष ने कहा, सिकुड़ते मार्जिन खातों से जोखिम उठाने की इच्छा में बदलाव का पता चलता है। बाजार में गिरावट के दौरान व्यापारी मार्जिन पोजीशन बेच देते हैं जो या तो ज्यादा मार्जिन मांग के कारण या अपनी इच्छा से जोखिम सीमित करने के लिए की जाती है।
उन्होंने कहा कि एक बार स्थिरता वापस आने के बाद ऐसे दौर ज्यादा टिकाऊ, बुनियादी बातों से प्रेरित सहभागिता को बढ़ावा दे सकते हैं। जबकि पारंपरिक ब्रोकर मजबूत एमटीएफ लोन बुक पर निर्भर रहते हैं। ग्रो और जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकरों ने डेरिवेटिव आय पर नियामकीय दबाव को कम करने के लिए पिछले साल ही यह सुविधा शुरू की थी।
ऊंची ब्याज दरों ने खुदरा निवेशकों को सतर्क बना रखा है जिससे खरीदारी सीमित हुई है। उद्योग के एक सूत्र ने बताया, एमटीएफ से निवेशकों को गिरावट के दौरान औसत लागत नीचे लाने में मदद मिलती है, लेकिन उधार लेने की लागत ने डिस्काउंट ब्रोकरेज ग्राहकों में सहभागिता को रोक दिया है।
बोनान्जा समूह के वरिष्ठ तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक कुणाल कांबले ने कहा, अक्टूबर से मुनाफावसूली और स्मार्ट मनी निकासी ने मंदी की भावना को बढ़ावा दिया है। बाजार में गिरावट के कारण घाटा हुआ है, जिससे कारोबारियों की आक्रामक तरीके से दोबारा प्रवेश की इच्छा घटी है और इससे कुल मिलाकर तरलता प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि साप्ताहिक सूचकांक एक्सपायरी को सीमित करने जैसी नियामकीय पाबंदियों ने भी एमटीएफ वॉल्यूम और कम कर दिया है, जिससे एक्सपायरी संचालित मार्जिन गतिविधियों से जुड़े ब्रोकरेज के राजस्व पर असर पड़ा है। विश्लेषक आशावादी बने हुए हैं और उन्हें यकीन है कि बाजार में भरोसा बहाल होने पर वॉल्यूम में फिर से उछाल आ सकती है।