Market Outlook 2026: भारतीय शेयर बाजार 2026 में तेजी के लिए पॉजिटिव सेंटीमेंट है। कॉर्पोरेट अर्निंग्स में स्थिरता, वित्त वर्ष 2027 में मजबूत ग्रोथ का अनुमान और स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक माहौल भारतीय बाजार को मजबूत सपोर्ट देंगे। निफ्टी के आउटलुक की बात करें, तो निफ्टी की अर्निंग का अनुमान और मजबूत हुआ है। बुल केस में दिसंबर 2026 तक निफ्टी 32,032 तक जा सकता है। कोटक सिक्युरिटीज ने ‘मार्केट आउटलुक 2026’ में यह अनुमान जताया है। रिपोर्ट में वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय शेयर बाजार और कमोडिटी (जैसे सोना) में मजबूती की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट में आने वाले साल में मैक्रो ट्रेंड्स, सेक्टर के अवसर और कमोडिटी के अनुमान बताए गए हैं, निवेशकों को इन पर नजर रखने की सलाह भी है।
कोटक सिक्युरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में अब तक ऑटो, बैंक और मेटल्स ने मजबूत रिटर्न दिए, जबकि आईटी, FMCG और रियल एस्टेट सेक्टर ने कमजोर प्रदर्शन किया। इसी तरह, 2026 के लिए ब्रोकरेज ने BFSI (बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज), टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और हॉस्पिटैलिटी को 2026 के लिए अपना पसंदीदा सेक्टर बताया है।
कोटक सिक्युरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी की अर्निंग का अनुमान और मजबूत हुआ है। उम्मीद है कि निफ्टी का मुनाफा FY27 में 17.6% और FY28 में 14.8% बढ़ेगा। बेस केस में दिसंबर 2026 तक निफ्टी के 29,120 तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें FY28 की अनुमानित EPS 1,456 रुपये पर निफ्टी का P/E अनुपात 20.0 लिया गया है। वहीं, बुल केस में निफ्टी का लक्ष्य 32,032 तक (P/E 22.0) जा सकता है । दूसरी ओर, बियर केस यानी नीचे जाने वाली स्थिति में निफ्टी 26,208 तक लुढ़क (P/E 18.0) सकता है।
कोटक सिक्योरिटीज के एमडी एंड सीईओ श्रीपाल शाह का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत ग्रोथ का दमदार सेंटर बना हुआ है। इक्विटी पर राय पॉजिटिव है, क्योंकि कॉर्पोरेट अर्निंग अच्छी रहने की उम्मीद है और नीतिगत माहौल भी सपोर्टिव है। 2026 में सोना एक सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में अपनी चमक बनाए रखेगा। युवा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से बाजार और मजबूती पकड़ेगा और वेल्थ क्रिएशन के नए अवसर पैदा होंगे।
इंडस्ट्री के मोर्चे पर उन्होंने आगे कहा कि सेबी के हालिया सर्वे के अनुसार, 63% परिवार कम से कम एक सिक्योरिटीज मार्केट प्रोडक्ट के बारे में जानते हैं, लेकिन सिर्फ 9.5% परिवार ही असल मायने में निवेश करते हैं। इसका मतलब है कि भारत के इक्विटी बाजार में अभी भी बहुत बड़ी संभावना मौजूद है। ब्रोकरेज हाउसेस को आगे आकर निवेश को आसान और सभी के लिए सुलभ बनाना चाहिए।
रिपोर्ट में कोटक सिक्युरिटीज के हेड (इक्विटी रिसर्च) श्रीकांत चौहान का कहना है, साल 2025 में अब तक भारतीय इक्विटी बाजार ज्यादातर सीमित दायरे में रहे और अधिकांश विकसित बाजारों (DMs) व उभरते बाजारों (EMs) की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया। हालांकि सितंबर 2024 के हाई से 17% की गिरावट के बावजूद, निफ्टी 50 इंडेक्स ने साल के अंत तक सभी नुकसान की भरपाई कर ली और एक नया ऑल-टाइम हाई छू लिया।
उन्होंने कहा कि BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने बड़ी कंपनियों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया। इस साल अबतक ऑटो, बैंक और मेटल्स ने मजबूत रिटर्न दिए, जबकि आईटी, FMCG और रियल एस्टेट सेक्टर ने कमजोर प्रदर्शन किया। भारतीय बाजार में FPI की तरफ से अधिकांश अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अधिक निकासी दर्ज की गई। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने FPI की बिकवाली के दबाव को काफी हद तक सामान्य किया।
श्रीकांत चौहान का कहना है कि कॉर्पोरेट अर्निंग्स में स्थिरता, FY27E में मजबूत ग्रोथ की संभावना और स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक माहौल भारतीय बाजार को मजबूत सपोर्ट दे सकते हैं। नियर टर्म में घरेलू ग्रोथ को GST दरों के सरलीकरण, ब्याज दरों में कमी, अच्छे मानसून, कई सालों के निचले स्तर की महंगाई, और तेल कीमतों में नरमी जैसे फैक्टर्स से मदद मिलने की संभावना है। हालांकि इस दौरान वैश्विक चुनौतियां और बढ़ता व्यापार घाटा, जो खासकर अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए शुल्कों के कारण है, एक रिस्क फैक्टर बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर मीडियम टू लॉन्ग टर्म में, भारतीय अर्थव्यवस्था मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता, डेमोग्रोफिक डिविडेंड, इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगातार निवेश, तेज तकनीकी अपनाने और सहायक सरकारी नीतियों से लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है। इन सभी फैक्टर्स से देश को सस्टेनेबल डेवलपमेंट के मौके मिलेंगे।
उनका कहना है कि भारतीय बाजार पर अपने पहले के रुख की तुलना में अब अधिक पॉजिटिव नजरिया है। हाई वैल्यूएशन और अर्निंग्स में कटौती के जोखिम पिछले 12–15 महीनों में काफी हद तक सामने आ चुकी हैं, जिससे डाउनसाइड रिस्क कम हुए हैं और बाजार सेटअप में सुधार हुआ है। भारतीय बाजार पिछले 12–15 महीनों में ज्यादातर स्थिर रहा है और पिछले वर्ष के दौरान अधिकांश विकसित और उभरते बाजारों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है।
हालांकि FY26E में कमाई में केवल मॉडरेट सुधार की उम्मीद हैं। FY27E में निफ्टी-50 इंडेक्स के नेट प्रॉफिट में मजबूत रिकवरी की उम्मीद है। सबसे अहम यह कि FY27E में नेट प्रॉफिट ग्रोथ अलग-अलग सेक्टर्स से भी आ सकती है। निफ्टी-50 इंडेक्स का नेट प्रॉफिट FY25 में 6.6% बढ़ा, और FY26E में यह बढ़ोतरी 8.2% रहने की उम्मीद है। FY27E में इसके बढ़कर 17.6% होने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कोटक सिक्युरिटीज के हेड (करेंसी एंड कमोडिटीज) अनिंदय बनर्जी ने कहा कि 2025 में सोने ने मजबूत प्रदर्शन किया। इसकी कीमत 55% से ज्यादा बढ़ी और 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार चली गई। इसका वजह वैश्विक अनिश्चितता, जियो-पॉलिटिकल टेंशन और सेंट्रल बैंकों की बड़ी खरीदारी रही। भारत में यानी घरेलू स्तर लेवल पर सोने की कीमतें 60% बढ़ीं, जिसमें रुपया कमजोर होने का भी असर शामिल था। दूसरी ओर, इस साल चांदी ने सोने से भी बेहतर किया, और 100% तक बढ़त दर्ज की। इसकी वजह सेफ-हेवन मांग, सप्लाई की कमी, और स्ट्रक्चरल मुद्दे थे। हालांकि इंडस्ट्रियल टैक्स से जुड़ी चुनौतियां बनी रहीं।
बनर्जी के मुताबिक, लेबर-मार्केट में नरमी और नॉमिनल ग्रोथ धीमी बनी हुई है। इसलिए फेडरल रिजर्व 3 फीसदी की महंगाई के बावजूद लंबी अवधि में ब्याज दरों में नरमी का रुख बनाए रख सकता है। लगातार फिस्कल घाटे, धीमी ग्लोबल ग्रोथ और बढ़ती जियोपॉलिटिकल चिंताओं से संकेत हैं कि सोना ‘हायर फार लॉन्गर’ रिजीम में जा रहा है, और अगले साल $5,000 तक पहुंच सकता है।
दूसरी ओर, 2026 में चांदी की कीमतें मजबूत रहने की उम्मीद है। चांदी के लिए $48 और $70 प्रति औंस के बीच एक बड़ी रेंज होगी और आक्रामक मॉनेटरी ढील या उम्मीद से ज्यादा इंडस्ट्रियल कंजम्प्शन की स्थिति में चांदी $75 तक जा सकती है। मार्केट का स्ट्रक्चरल बेस लंबे समय के लिए तेजी की ओर इशारा करता रहता है।
(डिस्क्लेमर: बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक समूह के नियंत्रण वाली इकाइयों की बहुलांश हिस्सेदारी है।)