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ईरान पर इजरायल के हमले के बाद शेयर बाजार में गिरावट, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी

ट्रंप शुल्क के बाद दुनिया में आर्थिक हालात को लेकर पहले ही अनिश्चितता बढ़ गई थी और अब ईरान-इजरायल युद्ध ने मामला और बिगाड़ दिया है।

Last Updated- June 13, 2025 | 11:11 PM IST
Iran Israel conflict

ईरान पर इजरायल के हवाई हमलों से दुनिया में खलबली मच गई है। ईरान में परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हवाई हमलों के बाद तेल के दाम में उफान आ गया और शेयर धड़ाम हो गए। ईरान ने भी हमलों के जवाब में इजरायल पर ड्रोन दागे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई वै​श्विक नेताओं से बात की।

ताजा घटनाक्रम के बाद निवेशक जोखिम लेने से घबरा रहे हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर ने निवेशकों का गणित बिगाड़ दिया है। ट्रंप शुल्क के बाद दुनिया में आर्थिक हालात को लेकर पहले ही अनिश्चितता बढ़ गई थी और अब ईरान-इजरायल युद्ध ने मामला और बिगाड़ दिया है।

कच्चा तेल 6 फीसदी से अधिक चढ़कर 75.2 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। इस साल 9 अप्रैल के बाद कच्चे तेल के दाम में यह दूसरी सबसे बड़ी उछाल है। जून में अब तक कच्चा तेल 20 फीसदी महंगा हो गया है। नवंबर 2020 के बाद किसी महीने तेल के दाम में यह सबसे बड़ी बढ़त है।

बीएसई सेंसेक्स 573 अंक (0.7 फीसदी) फिसल कर 81,119 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 170 अंक (0.7 फीसदी) लुढ़क कर 24,719 पर बंद हुआ। इस सप्ताह सेंसेक्स में 1.3 फीसदी और निफ्टी में 1.1 फीसदी गिरावट दर्ज हुई। निफ्टी मिडकैप 100 भी 0.4 फीसदी टूट गया जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 2.4 लाख करोड़ रुपये कम हो गया।

शेयरों में गिरावट के बीच निवेशकों ने सुरक्षित परिसंपत्तियों पर दांव खेला। सोना 1 फीसदी बढ़त दर्ज कर 3,420 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया। डॉलर की तुलना में रुपया 0.6 फीसदी कमजोर होकर 86.1 पर आ गया। एशिया और यूरोप में सभी शेयर सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई। ईरान और इजरायल दशकों से परोक्ष रूप से एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। पिछले साल भी दोनों देशों ने एक दूसरे पर दो बार हमले किए मगर यह पहला मौका है जब इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हवाई हमले किए हैं।

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘तेल के दाम बाजार का रुख तय करेंगे। अगर यह तनाव कम हो गया तो असर अस्थायी ही होगा मगर लंबा खिंचा तो तेल के दाम वापस 100 डॉलर के स्तर पर पहुंच सकते हैं।’ मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख (धन प्रबंधन) सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि दुनिया में मौजूदा घटनाक्रम के कारण बाजार कमजोर रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हालांकि उद्योग विशेष से जुड़ी खबरें संबंधित क्षेत्रों की चाल लगातार तय करती रहेंगी।’

First Published - June 13, 2025 | 10:42 PM IST

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